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26 साल Ban के बाद, South Korean clubs को Foreign Goalkeepers रखने की मिली इजाजत

2026 से K-League में विदेशी गोलकीपरों की एंट्री होगी आसान

09:21 AM Jun 22, 2025 IST | Anjali Maikhuri

2026 से K-League में विदेशी गोलकीपरों की एंट्री होगी आसान

26 साल ban के बाद  south korean clubs को foreign goalkeepers रखने की मिली इजाजत

South Korea ने एक बड़ा फैसला लेते हुए अपनी प्रोफेशनल फुटबॉल लीग K-League में विदेशी गोलकीपरों पर लगी पाबंदी को हटाने का ऐलान कर दिया है। यह बदलाव साल 2026 से लागू होगा। इससे पहले, 1999 में जब देश में फुटबॉल को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही थी, तब घरेलू गोलकीपरों को ज़्यादा खेलने का मौका देने के लिए विदेशी गोलकीपरों पर रोक लगा दी गई थी।उस समय सिर्फ आठ टीमें थीं, और मकसद यह था कि अपने देश के खिलाड़ी ज़्यादा अनुभव लें और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत बनें। लेकिन अब लीग में बदलाव हो चुका है। K-League 1 में अब 12 टीमें हैं और 2013 से K-League 2 के रूप में दूसरी श्रेणी की लीग भी शुरू हो चुकी है। यानि अब कुल मिलाकर टीमों की संख्या बढ़ गई है, जिससे घरेलू खिलाड़ियों को खेलने का पर्याप्त मौका मिलता रहेगा, भले ही विदेशी गोलकीपर भी टीमों में शामिल हो जाएं।

K-League के बोर्ड ने हाल ही में हुई बैठक में बताया कि विदेशी गोलकीपरों पर रोक की वजह से घरेलू गोलकीपरों की सैलरी काफी बढ़ गई थी। इसकी तुलना में फील्ड पर खेलने वाले अन्य खिलाड़ियों को उतनी ज्यादा तनख्वाह नहीं मिल रही थी। यह असंतुलन बना रहा था, जिसे ठीक करने के लिए यह फैसला जरूरी था।बोर्ड का मानना है कि गोलकीपर एक खास पोजीशन होती है और जब उस पर विदेशी खिलाड़ियों की पाबंदी होती है, तो घरेलू खिलाड़ियों की मांग और सैलरी दोनों बहुत बढ़ जाती हैं। अब जब टीमें ज़्यादा हो गई हैं, तो यह चिंता नहीं रही कि विदेशी खिलाड़ी आने से लोकल खिलाड़ियों को खेलने का मौका नहीं मिलेगा।

2026 से, K-League 1 और K-League 2 दोनों में कोई भी क्लब विदेशी गोलकीपर को अपनी टीम में शामिल कर सकेगा। इससे न सिर्फ लीग का स्तर बढ़ेगा, बल्कि प्रतियोगिता भी ज़्यादा दिलचस्प होगी। साथ ही घरेलू गोलकीपरों को भी अपने खेल में सुधार करने का मौका मिलेगा, क्योंकि उन्हें अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी।इस समय दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय टीम के गोलकीपर जैसे कि किम सियुंग-ग्यु, किम डोंग-ह्योन और ली चांग-ग्युन सभी घरेलू लीग में खेलते हैं। इससे यह भी साफ है कि लोकल लीग ने अच्छे गोलकीपर तैयार किए हैं। लेकिन अब विदेशी खिलाड़ियों के आने से इस पोजीशन पर मुकाबला और कड़ा होगा।

इस फैसले से K-League को और भी प्रोफेशनल बनाने में मदद मिलेगी और दर्शकों को भी ज़्यादा रोमांचक मुकाबले देखने को मिलेंगे।

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Anjali Maikhuri

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