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शिकारी से पक्षी प्रेमी बने किसान के 40 साल खोज कार्यों के बाद लिख डाली पूरी किताब

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01:47 PM Feb 28, 2018 IST | Desk Team

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लुधियाना : पंजाब कला परिषद की ओर से आज यहां पंजाब कला भवन में लेखक, शायर और प्रसिद्ध पत्रकार जसवीर सिंह शमील के साथ रूबरू आयोजन किया गया। समागम की अध्यक्षता पंजाब कला परिषद के चेयरमैन और सरताज शायर सुरजीत पात्र ने की और परिषद के महा सचिव लखविन्दर सिंह जौहल, समाज सेवक एन.आर.आई एडवोकेट हरमिन्दर ढिल्लों, मैडम अमरजीत घूमण, डा. जसपाल सिंह, डा. मदनदीप, शायर सुखविन्दर अमृत, डा. मनमोहन सिंह दाओं, जसवीर मंड, पंजाब लेखक सभा चण्डीगढ़ के महा सचिव दीपक शर्मा चनारथल, एडवोकेट जे.एस तूर, बाबू शाही के संपादक बलजीत बल्ली, बीबीसी पंजाबी से खुशहाल लाली, बलवीर जंडू, कैनेडा से एडवोकेट किरण, डा. गुरमेल, डा. इन्दु धवन, इंजीनियर राजेश, राकेश शर्मा, जोगिन्द्र टाइगर, गुरदर्शन मावी, संजीव शारदा और मनजीत सिंह सिद्धू समेत बड़ी संख्या में पत्रकार और साहित्य प्रेमी मौजूद थे।

इस मौके पंजाब के करीब 300 पक्षियों पर राजपाल सिंह सिद्धू की ओर से दशकों से की खोज कार्यों पर आधारित ‘पंजाब के पक्षी ’ नाम की पंजाबी किताब को रिलीज किया गया, जिस को शमील ने संपादित और हरमिन्दर ढिल्लों की ओर से प्रकाशित किया गया।

इस संबंध में हरमिन्दर ढिल्लों ने बताया कि इस का मूल रचेता जालंधर जिले से सम्बन्धित एक कृषि का कार्य करने वाला साधारण परन्तु मेहनती मनुष्य राजपाल सिंह सिद्धू है। जिस का पक्षियों के साथ संबंध एक शिकारी के तौर पर पड़ा परन्तु बाद में पक्षियों के साथ ऐसा प्यार हुआ कि पूरी उम्र ही पक्षी जगत को समर्पित कर दी। परंतु चार दशकों के उपरांत पक्षी जगत पर खोज कार्य मुकम्मल करने के बावजूद वह अपने जीते जी किताब प्रकाशित नहीं करवा सके और शमील ने साल भर अनथक मेहनत कर उनके अधूरे कार्य को एक शानदार कौफी टेबल किताब के रूप को पूर्ण किया।

इस मौके डा. सुरजीत पात्र ने शमील के बारे में बोलते कहा कि विदेशी होना दुखदायक जरूर होता परन्तु महान भी होता है क्योंकि एक विदेशी को दोहरी नजर की बख्शीश हो जाती है। उन्होंने कहा कि पंजाब के पक्षी असल में ही संभालने योग्य और पुरुस्कार और इनाम के तौर पर देने वाली किताब है। उन्होंने कहा कि राजपाल सिंह सिद्धू के जनून और अनथक प्रयास को सलाम करते हुए पंजाब कला परिषद इस किताब को खरीदेगी। उन्होंने बताया कि इस किताब को पौने तीन सो पक्षियों को उन के मूल रंग वाले चित्रों और उनके पूरे विवरण समेत बेहद खूबसूरती और रोचकता के साथ छापा है।

इस मौके रूबरू होते शमील ने बताया कि ‘पंजाब के पक्षी ’ किताब पंजाबी साहित्य जगत के लिए जहां एक खूबसूरत गहने जैसी और निवेकली खोज है वहीं कुदरत और चांद तारों की अपेक्षा टूटे मनुष्यों को फिर से प्राकृती के साथ जोड़ेगी क्योंकि राजपाल सिंह सिद्धू ने इस किताब के लिए जितना कठिन प्रयास किया है वह कोई विरला ही कर सकता है।

इस मौके शमील ने बताया कि उनकी समाज सेवी संस्था दृष्टी पंजाब की तरफ से पंजाब में वातावरण, पशु – पक्षियों और प्रकृति पर राज्यपाल सिद्धू की तरह काम करने वाले जनून्नियों के लिए ‘राजपाल सिंह सिद्धू यादगिरी अवार्ड अगले साल से शुरू किया जायेगा। इसके साथ ही शमील ने बताया कि वह पिछले लम्बे समय से कैनेडा में पत्रकारिता कर रहे हैं और लगभग 10 सालों के बाद उनकी यह फेरी एक तीर्थ यात्रा की तरह हैं। शमील ने इस मौके रुक जा, जख्म और कुछ अन्य काविक रचनाएं सांझी की।

सवाल -जवाब दौरान शमील ने कहा कि उनको इस बात की भरपूर तसल्ली है कि पश्चिमी देशों में पंजाबी और पंजाबी भाषा ने जो तरक्की की है और तरक्कियों के सफर पर आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय और पाकिस्तानी पंजाब के बाद पश्चिमी मुल्कों में एक तीसरा नया पंजाब विकसित हो रहा है।

– सुनीलराय कामरेड

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