Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

ड़ेढ दशक बाद पाकिस्तान की कुख्यात लखपत जेल की सलाखों से रिहा होकर मालेरकोटला पहुंचा गुलाम फरीद

पिछले डेढ़ दशक से अधिक वकत सरहद पार पाकिस्तान में गुजारकर वापिस भारत पहुंचे गुलाम फरीद को अपनी कर्मभूमि और जन्म भूमि मालेरकोटला में आने के बाद भी विश्वास नहीं हो रहा

04:15 PM Nov 28, 2019 IST | Shera Rajput

पिछले डेढ़ दशक से अधिक वकत सरहद पार पाकिस्तान में गुजारकर वापिस भारत पहुंचे गुलाम फरीद को अपनी कर्मभूमि और जन्म भूमि मालेरकोटला में आने के बाद भी विश्वास नहीं हो रहा

लुधियाना-मालेरकोटला : पिछले डेढ़ दशक से अधिक वकत सरहद पार पाकिस्तान में गुजारकर वापिस भारत पहुंचे गुलाम फरीद को अपनी कर्मभूमि और जन्म भूमि मालेरकोटला में आने के बाद भी विश्वास नहीं हो रहा कि वह अपने और अपनों के बीच पहुंच चुका है। मालेरकोटला के मुहलला चाने लोहारा का यह नौजवान आज प्रात: अपने घर पहुंचा तो नजारा करूणामयी था। गुलाम की 90 वर्षीय मां सदीकन अपने पुत्र को मिलने की खुशी में नम हो रही आंखों को पौछते कहती है कि मेरी तो आंखें थक चुकी थी, अपने जिगर के टुकड़े का इंतजार करते-करते। उन्होंने कहा कि अपने बेटे की जुदाई में भूख नहीं लगती थी और अब पुत्र के मिलने की खुशी में भूख मर गई है।
Advertisement
 
प्राप्त जानकारी के अनुसारस पंजाब का गुलाम फरीद 17 साल बाद पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर भारत पहुंचा। मालेरकोटला का गुलाम पाकिस्तान की कुख्यात कोट लखपत जेल में बंद था। मालेरकोटला के गुलाम फरीद ने बताया कि वर्ष 2002 में वह अपने रिश्तेदारों को मिलने पाकिस्तान गया था। वहां उसका पासपोर्ट गुम हो गया था। उसके बाद से उसका परिवार से संपर्क नहीं हो पाया। पाकिस्तान की अदालत ने उसे 13 साल कैद की सजा सुनाई थी।
इधर, परिजनों ने उसकी बहुत तलाश की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला तो थककर उसके लौटने की उम्मीद छोड़ दी। परिवार वालों ने एक दिन मालेरकोटला नगर पंचायत के पार्षद बेअंत किंगरा से बात की थी तो उन्होंने सोशल मीडिया पर गुमशुदगी की जानकारी डाली। इसे देख सांसद गुरजीत सिंह औजला ने परिवार के साथ संपर्क किया और तलाश के प्रयास शुरू कर दिए।
औजला को गुलाम के कोट लखपत जेल में बंद होने का पता चला तो उन्होंने परिवार को देश के विदेश मंत्री के साथ मिलवाया। इसके बाद रिहाई का रास्ता साफ हुआ। बुधवार को अटारी बार्डर पर पहुंचीं गुलाम की माता सदीकन की बेटे को जिंदा देख कर आंखें भर आई। 
– सुनीलराय कामरेड
Advertisement
Next Article