आखिर कौन था वो पहला विदेशी जिसे भारत में दी गई थी फांसी? फिर जेल में किया गया दफन
नई दिल्ली : भारत की केरल निवासी निमिषा प्रिया इन दिनों अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में हैं। उन्हें यमन की अदालत ने हत्या के मामले में फांसी की सजा सुनाई है, हालांकि फिलहाल उनकी फांसी पर अस्थायी रोक लगाई गई है। विदेश में किसी भारतीय नागरिक को फांसी दिए जाने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले 2022 में उत्तर प्रदेश की शहजादी खान को यूएई में चार महीने के बच्चे की हत्या के मामले में दोषी पाया गया और उन्हें 15 फरवरी 2025 को फांसी देने की तारीख तय की गई। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज़ाद भारत में पहला विदेशी नागरिक कौन था जिसे भारत की अदालत ने फांसी की सजा दी थी? और जिसे किसी कब्रिस्तान में नहीं, बल्कि जेल परिसर में ही दफन किया गया था?
26/11 का गुनहगार: अजमल कसाब
वह विदेशी था अजमल आमिर कसाब, जो 26 नवंबर 2008 को हुए मुंबई आतंकी हमले का मुख्य आरोपी था। पाकिस्तान से आए 10 आतंकवादियों ने समंदर के रास्ते भारत में घुसकर मुंबई को दहला दिया था। इस हमले में 166 लोगों की जान गई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। कसाब को मुंबई पुलिस ने जीवित पकड़ा, जब वह छत्रपति शिवाजी टर्मिनस स्टेशन पर गोलियां चला रहा था। उसे सब-इंस्पेक्टर तुकाराम ओंबले ने अपनी जान देकर जिंदा पकड़ा था। बाद में कसाब पर मुकदमा चला और 21 नवंबर 2012 को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दे दी गई।
कब्रिस्तान ने शव लेने से किया इनकार
फांसी के बाद अजमल कसाब के शव को दफनाने के लिए किसी भी कब्रिस्तान ने जगह देने से इनकार कर दिया। इसके चलते उसे यरवदा जेल परिसर में ही दफन कर दिया गया। चूंकि वह पाकिस्तानी नागरिक था, भारत सरकार ने फांसी की जानकारी पाकिस्तान को दी, लेकिन पाकिस्तान ने शव लेने से इनकार कर दिया।
विदेश में भारतीयों को फांसी
- शहजादी खान (उत्तर प्रदेश) — UAE में बच्चे की हत्या के मामले में फांसी की सजा।
- निमिषा प्रिया (केरल) — यमन में हत्या के मामले में फांसी की सजा, फिलहाल टली।