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आखिरकार पाकिस्तान के ये नारे क्यों...?

02:15 AM Mar 06, 2024 IST | Sagar Kapoor

जिस प्रकार से कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस नेता सैयद नासिर हुसैन के राज्यसभा में चुने जाने पर उसके साथियों ने "नासिर हुसैन जिंदाबाद" और "पाकिस्तान जिंदाबाद" के नारे लगाए। ये किसकी शह पर लगाए गए थे? नासिर या कांग्रेस के? यह सोचनीय विषय है उस व्यक्ति के लिए जो संविधान की कसम खाकर संसद में जा रहा है और अपने हिमायतियों को ज़हरीले नारे लगाने की सीख दे रहा है। इसका संज्ञान राज्यसभा और उच्चतम न्यायालय को अब तक ले लेना चहिए। राजनीतिक दलों द्वारा पाले और संरक्षण दिए गए ऐसे देश विरोधी तत्वों का बहिष्कर होना चाहिए। कर्नाटक की ऐसी सरकार भी शर्मनाक है, जिसे एक प्राइवेट प्रयोगशाला द्वारा किए प्रयोग के आधार पर देश विरोधी नारों का प्रमाण दिए जाने के बावजूद उसे नकार कर सरकार की,"फोरेंसिक साइंस लैब" में पुनः पुष्टि हेतु भेजा गया जहां वही प्रणाम निकला जो प्राइवेट लैब में निकला था। ये वास्तव में उसी चिरकुट देश विरोधी कांग्रेसी व वामपंथी पार्टियों की मानसिकता का नतीजा है जो सर्जिकल स्ट्राइक का प्रमाण मांगते थे। जनता में ये एक्सपोज़ हो चुके हैं और कर्नाटक ने इस कुकर्म से आने वाले चुनाव के लिए अपनी क़ब्र खोद ली है। मुस्लिम तबके को कांग्रेस से दूर रहना चाहिए जिसने इस देशभक्त संप्रदाय को उर्दू, इस्लाम, अल्प संख्यकवाद, रिजर्वेशन आदि मुद्दों में उलझा कर मात्र वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल कर उनके हाथ में भीख का प्याला थमा दिया है।
अत्यंत खेद का विषय है कि भारत की कर्नाटक विधानसभा में "पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगे और सरकार ठंडी पड़ी है। बचपन में यदि यह नफ़रत आमेज़ हरकत होती कि जब हम सरकंडे की कलम को स्याही की दवात में डूबो कर तख्ती पर "अलिफ", "बे", "ते" या "क", "ख", "ग" लिखते थे और "क्रेयोंस" अर्थात मोम के रंगों से ड्राइंग फाइल में चित्र बनाए जाते थे तो कोई विश्वास ही नहीं करता कि हिंदुस्तान में पाकिस्तानी नारे लगाए गए हैं। यह तो स्मार्ट फ़ोन का ज़माना है कि चंद सैकेडों में दुनिया को पता चल जाता है कि कहां "पाकिस्तान जिंदाबाद" या "भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशाल्लाह, इंशाल्लाह! अधिक चिंता का विषय ये नारे लगना नहीं, क्योंकि स्वतंत्रता से पूर्व और बाद में एक ऐसा तत्व देश में मौजूद है जिसे "टुकड़े-टुकड़े गैंग", "अवार्ड वापसी गैंग, "मोमबत्ती गैंग" आदि कहा जाता है, बल्कि यह कि राज्य व केंद्र सरकारें इन देशद्रोही हरकतों पर उतनी स्फूर्ति से एक्शन नहीं लेती हैं, जैसा कि होना चाहिए। लाहौर में कोई " हिंदुस्तान जिंदाबाद" के नारे लगा दे तो उस पर तुरंत देशद्रोह का मुकदमा ठोक कर या तो कोट लखपत जेल में ठूंस दिया जाएगा, अन्यथा मुल्क बदर (देश निकाला) कर दिया जाएगा। ऐसी हरकत सऊदी अरब, रूस, संयुक्त अरब अमीरात, चीन आदि में भी असहनीय मानी जाती है।
मज़े की बात यह है कि जुबैर जैसे फैक्ट चैकर और सायमा जैसी एफ एम 98.3 चैनल की मालिक व कुछ कहते अन्य चिरांद वाले लोगों का कहना है कि पाकिस्तान से भाजपाइयों को आपत्ति है और यह कि उनके मस्तिष्क में नफ़रत कूट- कूट कर बिठाई गई है। भारत को बदनाम करने में इस प्रकार के कुछ लोग आए दिन नाना प्रकार की टूल किट दुनिया को भड़काने के लिए बना कर भेजते रहते हैं।
इनकी इन हरकतों से हो यह रहा है कि भारत के अधिकतम मुस्लिम जो संस्कारवादी व राष्ट्रवादी और देश से प्रेम करते हैं, जैसा कि इस्लाम भी उन्हें "हुब्ब-उल-वतनी/निस्फुल ईमान", अर्थात "वतन से मुहब्बत ही एक मुस्लिम का आधा, बल्कि पूरा ईमान है," का सबक देता है। मगर जो नासीर हुसैन और उनके चाहने वालों ने किया उससे मुस्लिमों की छवि पर बट्टा लग रहा है। "कश्मीर फाइल्स" देखने के दौरान एक कश्मीरी भाई ने ऐलान किया कि ये सारे मुसलमान अंदर से एक जैसे होते हैं और जो अपने को राष्ट्रवादी, संस्कारवादी बताते हैं, ढोंग करते हैं, आदि। नासीर जैसे लोगों के कारण यह विचारधारा लोगों के दिल में घर कर रही है जो बड़ी खतरनाक है, क्योंकि सारे मुस्लिम नासीर व सायमा जैसे नहीं हैं, क्योंकि वे समझते हैं कि एक मुसलमान के लिए हिंदू से अच्छा दोस्त और हिंदुस्तान से बेहतर मुल्क नहीं है। इसी प्रकार से हिंदू भी जानते हैं कि भारत के 99 प्रतिशत मुस्लिम भारत के प्रति वफादार हैं। बकौल सरसंघचालक, डा. मोहन राव भागवत, भारतीय समाज सदा से ही दूध और शक्कर की तरह एक दूसरे में समावेशी सद्भावना, समभाव और समरसता के साथ रहता चला आया है।
यह मात्र नासीर हुसैन नहीं बल्कि अधिकतर कांग्रेसी नेताओं की मानसिकता है कि पाकिस्तान की प्रशंसा करते रहते हैं। भारत को कहीं भी नीचा दिखाने का अवसर इन्हें मिलता है तो मजाल है कि चूक जाएं। हाल ही में राहुल गांधी ने कहा था कि भारत में पाकिस्तान से अधिक बेरोज़गारी है। ऐसे ही चीन भी उनकी आशाओं का केंद्र है। खेद का विषय है कि महात्मा गांधी, मौलाना आज़ाद, सरदार पटेल, लाला लाजपत राय और पंडित नेहरू जैसे दिग्गजों की कांग्रेस पार्टी आज इस प्रकार की देश विरोधी और संकीर्ण विचारधारा के लोगों के कारण कहीं इतिहास न बन जाए।

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