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दीपावली के बाद भैयादूज के लिए तैयारी शुरू, जानिए इस पर्व का महत्व

देशभर में गुरुवार को धूमधाम से दीपावली का त्यौहार मनाया गया। दीपावली के साथ ही कई त्यौहार मनाने का सिलसिला शुरू हो गया है।

08:27 AM Nov 01, 2024 IST | Rahul Kumar Rawat

देशभर में गुरुवार को धूमधाम से दीपावली का त्यौहार मनाया गया। दीपावली के साथ ही कई त्यौहार मनाने का सिलसिला शुरू हो गया है।

दीपावली के बाद भैयादूज के लिए तैयारी शुरू  जानिए इस पर्व का महत्व
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देशभर में गुरुवार को धूमधाम से दीपावली का त्यौहार मनाया गया। दीपावली के साथ ही कई त्यौहार मनाने का सिलसिला शुरू हो गया है। दीपावली के बाद कई सारे पर्व आने वाले हैं। इसमें एक त्यौहार बेहद खास है। जिसे मनाने के लिए भाई अपनी बहन के घर पर पहुंचता है। इस त्योहार को ‘भैया दूज’ कहते हैं। यह पर्व भाई और बहन के बीच के प्रेम और रिश्ते को मजबूत करता है। इस बार भैया दूज 3 नवंबर को मनाया जाएगा। इसके लिए तैयारी शुरू हो गई है।

भैया दूज का महत्व

रक्षाबंधन का त्यौहार जहां भाई अपनी बहन की रक्षा का वादा करता है। वहीं, भैया दूज त्यौहार में बहन अपने भाई की लंबी आयु की कामना करती हैं। दोनों त्यौहार भाई-बहन के रिश्ते के लिए काफी अहम है। हिन्दू धर्म के लोगों में भैया दूज मनाने की अलग-अलग परंपरा है। लेकिन, सभी परंपराओं में एक चीज सामान्य है कि यह भैया दूज का त्यौहार भाई-बहन के बीच के रिश्तों को मजबूती प्रदान करता है। इस पर्व में खास बात यह है कि जब तक बहन भाई को तिलक नहीं करती, वह भोजन ग्रहण नहीं करती है।

भैया दूज के पीछे धार्मिक मान्यता

कहा जाता है कि जब तिलक एक बार हो जाता है तो बहन अपने भाई को मिठाई खिलाकर फिर कुछ ग्रहण करती है। बहन अपने हाथों से अपने भाई के लिए उनकी पसंद का विशेष भोजन भी तैयार करती है। भैया दूज के दिन भाई अपनी बहन को उपहार के तौर पर कपड़े, गहने व अन्य चीजें गिफ्ट करता है। भैया दूज मनाने के पीछे धार्मिक मान्यता यह है कि यमराज यमुना जी से मिलने के लिए गए थे। यमुना जी ने तब यमराज को तिलक लगाकार उन्हें भोजन कराया था।

तब से भैया दूज करने की प्रथा शुरू हुई। यमराज ने यमुना जी से वर मांगने के लिए कहा था। यमुना जी ने कहा, आज के दिन जो यमुना नदी में स्नान करेगा उसे यमलोक नहीं जाना पड़ेगा। भैया दूज को यादगार बनाने के लिए नए वस्त्र भी पहने जाते हैं। भैया दूज सिर्फ भाई-बहन के अटूट प्रेम को ही नहीं दर्शाता बल्कि, यह हमारे धार्मिक महत्व को भी बढ़ाता है।

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Rahul Kumar Rawat

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