लंबी प्लानिंग के बाद ईरान पर अमेरिका ने बरसाए बम! ऐसे सेट की हमले की टाइमलाइन
लंबी प्लानिंग के बाद ईरान पर अमेरिका ने बरसाए बम!
अमेरिका और इजराइल पिछले एक साल से इस हमले की तैयारी में लगे हुए थे. इस दौरान दोनों देशों की सेनाओं ने कई बार संयुक्त सैन्य अभ्यास और ड्रिल्स कीं. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि ईरान के न्यूक्लियर कार्यक्रम को निशाना बनाने के लिए कई ‘वॉर रिहर्सल’ किए गए थे.
Iran–Israel: अमेरिका ने शनिवार रात एक बड़ा हमला करते हुए ईरान की तीन प्रमुख परमाणु स्थलों को तबाह कर दिया. इस बीच अमेरिका द्वारा किए गए इस हमले को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. दरअसल, ईरान पर किया गया यह हमला अचानक नहीं बल्कि लंबे समय से चल रही रणनीतिक योजना का हिस्सा था. अमेरिका द्वारा इस हमले के पीछे का उद्देश्य ईरान की तेजी से बढ़ती परमाणु क्षमता को रोकना बताया जा रहा है.
इंटेरनेशनल मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका और इजराइल पिछले एक साल से इस हमले की तैयारी में लगे हुए थे. इस दौरान दोनों देशों की सेनाओं ने कई बार संयुक्त सैन्य अभ्यास और ड्रिल्स कीं. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि ईरान के न्यूक्लियर कार्यक्रम को निशाना बनाने के लिए कई ‘वॉर रिहर्सल’ किए गए थे. यह योजना राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में बनाई गई थी, हालांकि तब अधिकारियों को यह अनुमान नहीं था कि इतनी जल्दी हमला किया जाएगा.
साझा अभ्यास से बनी मजबूत रणनीति
ईरान की परमाणु ताकत को काबू में करने के लिए अमेरिका और इजराइली फोर्सेज के बीच गहन समन्वय और संयुक्त अभ्यास हुए. इस दौरान सैन्य नेतृत्व ने विभिन्न परिदृश्यों की योजना बनाई और एकजुट होकर एक सटीक हमले की तैयारी की. एक इजराइली अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि यह पहली बार था जब ईरान की परमाणु साइट्स को निशाना बनाया गया.
डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका और घोषणा
ईरान और इजराइल के बीच तनाव लगातार बढ़ते तनाव को देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप फिर से सक्रिय भूमिका में दिखाई दे रहे थे. इस दौरान उन्होंने 19 जून क एक बयान में कहा था कि वे अगले दो हफ्तों में ईरान पर हमले को लेकर फैसला लेंगे. लेकिन इससे पहले ही शनिवार की रात उन्होंने हमले का आदेश दे दिया. ट्रंप प्रशासन द्वारा अंजाम दिए गए इस हमले में फोर्डो, नतांज और इस्फहान स्थित परमाणु स्थलों को टारगेट किया गया.
हमले की टाइमलाइन
16 जून: मिडिल ईस्ट में अमेरिकी सैन्य ठिकानों की सुरक्षा बढ़ा दी गई. G7 देशों ने इजराइल के रुख का समर्थन किया.
17 जून: ट्रंप ने ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई से सरेंडर करने को कहा.
18 जून: खामेनेई ने सरेंडर करने से इनकार करते हुए अमेरिकी हमले का जवाब देने की चेतावनी दी.
19 जून: ट्रंप ने कहा कि दो हफ्ते में वे निर्णय लेंगे कि हमला करना है या नहीं.
22 जून (शनिवार रात): अमेरिका ने तीन परमाणु स्थलों पर बम गिराकर हमला कर दिया.
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