इजराइल से जंग खत्म होने के बाद Iran ने दिखाई सख्ती! निशाने पर ये देश
Iran: ईरान और इजराइल के बीच करीब 12 दिनों तक चले संघर्ष को आखिरकार रोक दिया गया है. इस संघर्ष को थामने में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका महत्वपूर्ण रही, जिन्होंने युद्धविराम के लिए मध्यस्थता की. लेकिन इस युद्ध के समाप्त होते ही ईरान ने अब अपने पड़ोसी देश, तालिबान-शासित अफगानिस्तान की तरफ सख्ती दिखानी शुरू कर दी है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, युद्ध खत्म होने के तुरंत बाद ईरान ने अफगानी नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है. बड़ी संख्या में अफगानी शरणार्थियों को वापस भेजा जा रहा है और राजधानी तेहरान में अफगानी नागरिकों की गिरफ्तारियों में भारी इज़ाफा देखा गया है. बताया जा रहा है कि यह कार्रवाई तालिबान के हालिया रुख को लेकर की जा रही है, जिसमें अफगानिस्तान ने इजराइल से संघर्ष के दौरान ईरान का कोई समर्थन नहीं किया.
जासूसी के आरोप में गिरफ्तारियां
बीबीसी पर्सियन की रिपोर्ट के अनुसार, तेहरान में पांच अफगानी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है. इन पर इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद के लिए जासूसी करने का आरोप है. तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने इस मामले में कहा कि वे स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और आगे की कार्रवाई पर विचार किया जा रहा है.
गिरफ्तारियों में चार गुना वृद्धि
टोलो न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान ने अफगानी शरणार्थियों के खिलाफ कार्रवाई को और तेज कर दिया है. तेहरान में अफगानी नागरिकों की गिरफ्तारी में चार गुना तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है. अधिकतर लोगों को नियमों के उल्लंघन के आरोप में पकड़ा गया है, जबकि वे शरणार्थी के रूप में ईरान में रह रहे थे.
हजारों अफगानी लौटे अपने देश
हेरात प्रांत के एक अधिकारी ने जानकारी दी कि ईरान की सख्ती के चलते एक ही दिन में लगभग 30,000 अफगानी नागरिक अपने देश लौटने पर मजबूर हो गए. वहीं अनुमान लगाया जा रहा है कि फिलहाल तेहरान में करीब दो लाख अफगानी नागरिक रह रहे हैं.
युद्ध के दौरान तालिबान ने साधी चुप्पी
हालांकि ईरान और अफगानिस्तान 921 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं, फिर भी तालिबान ने ईरान की किसी भी प्रकार की मदद नहीं की. न ही तालिबान ने तुर्कमेनिस्तान की तरह सीमा खोली और न ही उसने इजराइल के खिलाफ कोई सख्त बयान जारी किया.ईरान इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, जब ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड के कुछ कमांडरों ने तालिबान से पनाह मांगी, तो तालिबान नेताओं ने न केवल इनकार किया बल्कि इस बातचीत को सार्वजनिक भी कर दिया.
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