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पुतिन ने एक बार फिर से रूस के चुनाव में जीत हासिल की है। पुतिन को तकरीबन 88 प्रतिशत वोट हासिल कर एक बार फिर से राष्ट्रपति चुनाव में अपनी जीत दर्ज की है। बतौर राष्ट्रपति ये उनका पांचवा कार्यकाल होगा। वो 2030 तक रूस के राष्ट्रपति बने रहेंगे। 1999 में रूस की सत्ता की बागडोर व्लादिमीर पुतिन को सौंपी गई थी। तब से लेकर आज तक वो कई चुनाव नहीं हारे।
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रिकॉर्ड जीत के बाद व्लादिमीर पुतिन रूस के लोगों और यूक्रेन में लड़ रहे सैनिकों को धन्यवाद दिया। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि रूस को न तो डराया जा सकता है और न ही दबाया जा सकता है। उन्होंने कहा वोट के नतीजे उनके नेतृत्व में रूसी नागरिकों के भरोसे को दर्शाते हैं। रूस के लोग उन पर भरोसा करते हैं ये बात चुनाव के नतीजों से साफ पता चलती है। उन्होंने रूस के उन लड़ाकों का खास तौर पर धन्यवाद किया जो बिना किसी डर और निस्वार्थ भाव से देश की रक्षा करते हैं।
चीन के साथ संबंधों के बारे में पूछे जाने पर पुतिन ने कहा कि दुनिया के स्तर पर रूस और चीन दोनों के समान हित हैं। ये महज एक संयोग है। उन्होंने मॉस्को आने वाले सालों में सिर्फ बीजिंग के साथ संबंध विकसित करेगा। और दोनों देशों के बीच रिश्तों को और भी मजबूत करेगा इसके साथ ही पुतिन वादा किया कि देश की सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को रूस के खिलाफ युद्ध में भाग लेने वाले लोगों की पहचान करने के निर्देश दिए जाएंगे। इस दौरान उन्होंने प्रतिबंधित रूसी स्वयंसेवी कोर (आरवीसी) का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि इस कोर में सिर्फ 2,500 सदस्य हैं। जिन्हें राज्य की सीमा बाहर फेंक दिया जा रहा है। पुतिन ने साफ कहा कि रूस में मौत की सजा का प्रावधान नहीं है। लेकिन हम गद्दारों के साथ ऐसा व्यवहार करेंगे जैसे जंग के मैदान में किया जाता है। पुतिन ने प्रतिबंधित रूसी स्वयंसेवी कोर को एक आतंकवादी समूह करार दिया गया है और देश में गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है।
इसके साथ ही जीत के बाद व्लादिमीर पुतिन ने एक बयान जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि वोट के प्रतिशत से साफ पता चलता है कि रूस के लोगों को अपनी जिम्मेदारी का अहसास है। रूस और पूरा देश अपने नागरिकों के हितों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। और देश की रक्षा के लिए अगर जरूरत पड़ी तो हथियार भी उठा सकते हैं। अपने नए कार्यकाल में पुतिन ने चुनौतियों का समाधान करने, देश की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने और सेना को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया।