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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी का घोषणापत्र जारी होने के बाद शुक्रवार को कहा कि यह ‘देश, लोकतंत्र एवं संविधान’ बचाने का चुनाव है तथा विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की तरफ से प्रधानमंत्री कौन होगा, इस बारे में घटक दल चुनाव में जीत के बाद मिलकर फैसला करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यह चुनाव संविधान और लोकतंत्र को नष्ट करने का प्रयास करने वालों और संविधान एवं लोकतंत्र की रक्षा करने का प्रयास करने वालों के बीच है।
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राहुल गांधी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह चुनाव बुनियादी रूप से अलग है। मुझे नहीं लगता कि संविधान और लोकतंत्र को इतना खतरा पहले कभी था, जितना आज है। उन्होंने दावा किया, ‘‘एक तरफ, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संविधान और लोकतंत्र पर आक्रमण कर रहे हैं, संस्थाओं पर कब्जा कर रहे हैं। दूसरी तरफ ‘इंडिया’ गठबंधन है जो लोकतंत्र एवं संविधान की रक्षा करने के लिए है... यह देश, संविधान और लोकतंत्र बचाने का चुनाव है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘यह समझना होगा कि हिंदुस्तान के राजनीतिक ढांचे में क्या हो रहा है। आरएसएस, भाजपा और खासकर नरेन्द्र मोदी जी ने क्या बुनियाद बनाई है, सबसे पहले यह समझना होगा। जैसे विभिन्न कारोबारी क्षेत्रों में अडाणी का एकाधिकार है, उसी तरह नरेन्द्र मोदी ने ‘पॉलिटिकल फाइनेंस’’ (राजनीतिक वित्तपोषण) का एकाधिकार बना लिया है।
उन्होंने दावा किया कि यह एकाधिकार सीबीआई और ईडी जैसी तमाम संस्थाओं पर कब्जा करके कायम किया गया है। राहुल गांधी के अनुसार, यह सारी जानकारी चुनावी बॉण्ड के जरिये सामने आ गई है। उन्होंने दावा किया, ‘‘नरेन्द्र मोदी ने पूरे विपक्ष को चुनावी बॉण्ड के जरिये एक ‘चार्जशीट’ पकड़ा दी है। इसलिए नरेन्द्र मोदी को थोड़ा डर लग रहा है। ऐसे में वह 400 पार की बात कर रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि कहीं 180 या 160 हुआ तो नैया डूब जाएगी। विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद के चेहरे के बारे में पूछे जाने पर राहुल गांधी ने कहा, ‘‘ विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) में फैसला किया गया है कि हम विचारधारा के आधार पर एकजुट होकर चुनाव लड़ रहे हैं। चुनाव के बाद सभी मिलकर फैसला करेंगे कि प्रधानमंत्री कौन होगा।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि इस बार भी चुनाव के नतीजे 2004 की तरह होंगे। राहुल गांधी ने कहा, ‘‘कृपया एक बात याद रखें! जब वाजपेयी जी प्रधानमंत्री थे, तब प्रेस द्वारा ऐसी ही भावना पैदा की गई थी जैसी आज है। उस समय ‘इंडिया शाइनिंग’ (भारत उदय) अभियान था... लेकिन याद रखें कि ‘इंडिया शाइनिंग’ अभियान का क्या हुआ और यह भी याद रखें कि वह अभियान किसने जीता था।