'हर रात वही आग याद आती है, मैं जिंदा होके भी मर रहा हूं...', एयर इंडिया विमान हादसे में अकेले बचे विश्वासकुमार रमेश का फिर छलका दर्द
Ahmedabad Air India Plane Crash: अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे में पूरे देश को गहरे सदमे में डालने का काम किया था। दरअसल लंदन जा रही एयर इंडिया की बोइंग 787 फ्लाइट कुछ सेकंड उड़ान भरने के बाद ही आग का गोला बन गई थी। इस दर्दनाक हादसे में 241 लोगों की मौत हुई थी। लेकिन चमत्कारिक रूप से एक व्यक्ति जीवित बचा था, जिसका नाम 39 वर्षीय विश्वासकुमार रमेश है। आज विश्वासकुमार इस हादसे में जीवित बचने के बाद खुद को "सबसे खुशकिस्मत" भी कहते हैं और "सबसे बदनसीब" भी।
Ahmedabad Air India Plane Crash: ‘मैं बच गया, पर सब कुछ चला गया’
विश्वासकुमार और उनका भाई अजय, दोनों उस फ्लाइट में सवार थे। जब विमान आग में घिरा, अजय की मौत हो गई और विश्वासकुमार गंभीर रूप से घायल होकर भी किसी तरह बाहर निकल आए। उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “मैं अकेला जिंदा हूं, पर मेरा भाई नहीं बचा। वो मेरा सहारा था। उसके बिना मैं अंदर से टूट चुका हूं।”
Air India Plane Crash: अकेलापन और दर्द से भरा जीवन
हादसे के बाद विश्वासकुमार को अस्पताल में भर्ती कराया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनसे मुलाकात की थी। पर अब उनका जीवन पहले जैसा नहीं रहा। वो ब्रिटेन के लीसेस्टर में अपने घर में ज्यादातर समय अकेले रहते हैं। “मैं अब किसी से बात नहीं करता, न पत्नी से, न बेटे से। बस कमरे में बैठा रहता हूं,” उन्होंने बताया। डॉक्टरों के अनुसार, उन्हें पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) है। हादसे की यादें अब भी उन्हें परेशान करती हैं। चलने में तकलीफ है, शरीर पर गहरी चोटें हैं। “मेरी पत्नी मुझे सहारा देकर चलाती है।''

Vishwaskumar Ramesh News: टूटा परिवार और खत्म हुआ कारोबार
विश्वासकुमार के परिवार का दीव में मछली पालन का बिजनेस था। वो और उनका भाई मिलकर चलाते थे। पर हादसे के बाद न केवल भाई चला गया, बल्कि कारोबार भी ठप हो गया। अब परिवार आर्थिक तंगी में है। भारत में उनकी मां दिनभर घर के बाहर बैठी रहती हैं, किसी से बात नहीं करतीं। “हमारा पूरा परिवार बिखर गया है,”
कम मुआवजा, बड़ी पीड़ा
एयर इंडिया ने विश्वासकुमार को करीब 21,500 पाउंड (लगभग 25 लाख रुपये) का अंतरिम मुआवजा दिया है। लेकिन उनके प्रतिनिधियों का कहना है कि इतनी बड़ी त्रासदी के सामने यह रकम बेहद कम है। उनके प्रवक्ता रेड सिगर ने कहा, “हमने एयर इंडिया से तीन बार बैठक की मांग की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। ये अमानवीय व्यवहार है।”

"हर रात वही आग याद आती है"
स्थानीय नेता संजीव पटेल ने कहा, “एयर इंडिया के शीर्ष अधिकारियों को पीड़ितों से खुद मिलना चाहिए। विश्वासकुमार जैसे लोगों को अकेले नहीं छोड़ा जा सकता। यह सिर्फ पैसों का नहीं, बल्कि इंसानियत का मामला है।”अब एयर इंडिया, जो टाटा ग्रुप के अधीन है, उन्होंने बयान दिया है कि वह जल्द ही पीड़ितों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेगी। विश्वासकुमार कहते हैं, “पैसों से दर्द नहीं मिटता। हर रात आंख बंद करता हूं तो वही आग, वही चिल्लाहट याद आती है। मैं जिंदा हूं, पर वो दिन अब भी मेरी हर सांस में जलता है।”
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