Ahoi Ashtami 2025: कब व्रत खोल सकेंगी महिलाएं? जानें क्या है आपके शहर में चांद और तारे के निकलने का समय
Ahoi Ashtami 2025 Moonrise Time in India: आज यानी 13 अक्टूबर 2025 को पूरे भारत में माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए अहोई अष्टमी का व्रत कर रही हैं। यह व्रत खासतौर पर उत्तर भारत में बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है। इस दिन माताएं पूरे दिन निर्जल व्रत रखती हैं और शाम को तारों के दर्शन के बाद व्रत खोलती हैं। कुछ महिलाएं चंद्र दर्शन के बाद भी व्रत खोलती हैं।
Ahoi Ashtami 2025 Moonrise Time in India: अहोई अष्टमी व्रत कब और कैसे तोड़ें?
अहोई अष्टमी पर व्रत खोलने के दो मुख्य समय होते हैं:
- तारों के दर्शन के बाद (परंपरागत रूप से यही अधिक मान्य है)
- चंद्रोदय के बाद (कुछ क्षेत्रों में ऐसा भी किया जाता है)
इस साल तारों का उदय समय अधिकतर शहरों में शाम 6:17 बजे है, वहीं चंद्रमा का उदय समय रात 11:20 बजे है।

Star Rise Time Today: भारत के प्रमुख शहरों में चांद-तारा उदय का समय
तारा दिखने का समय क्षेत्र के अनुसार थोड़ा बहुत बदल सकता है। नीचे प्रमुख शहरों का अनुमानित समय दिया गया है:
समय (शाम) | शहर |
---|---|
6:05 - 6:06 | गुवाहाटी, जोरहाट, तिनसुकिया |
6:08 | चेन्नई |
6:08 - 6:09 | कोलकाता, पटना, भुवनेश्वर, कटक |
6:17 | दिल्ली, लखनऊ, भोपाल, इंदौर, नागपुर, देहरादून, शिमला, चंडीगढ़, अमृतसर, आगरा, पटियाला, उज्जैन, ग्वालियर, श्रीनगर, लुधियाना, जालंधर, लेह, गंगटोक, ईटानगर, अगरतला |
6:20 | मुंबई, जयपुर, अहमदाबाद, नोएडा, गुड़गांव, वडोदरा, सूरत |

Ahoi Ashtami 2025: पूजा का शुभ मुहूर्त
पूजा करने का सर्वोत्तम समय: शाम 5:53 बजे से 7:08 बजे तक।
इसी समय के भीतर पूजा करके और तारा दर्शन होने पर जल अर्पित करके व्रत तोड़ें।

अहोई अष्टमी की व्रत और पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठें और स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
- पूजा स्थान तैयार करें। दीवार पर कुमकुम या गेरू से अहोई माता की आकृति बनाएं।
- थाली सजाएं, जिसमें दीपक, फल, फूल, मिठाई और जल रखें।
- शाम के मुहूर्त में पूजा करें, व्रत कथा सुनें और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।
- तारों को जल अर्पित करें और फिर व्रत खोलें। कुछ महिलाएं चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोलती हैं।

व्रत का महत्व
अहोई अष्टमी खासतौर पर उन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है जिनके छोटे बच्चे होते हैं। इस दिन की गई पूजा और व्रत को संतान की रक्षा, अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए बहुत फलदायी माना जाता है।इस प्रकार, अगर आप निर्धारित तारा उदय और पूजा के मुहूर्त का ध्यान रखकर व्रत करेंगी तो यह दिन आपके लिए न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि मानसिक शांति और संकल्प के रूप में भी बहुत विशेष रहेगा।