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Ahoi Ashtami Radha Kund Significance: अहोई अष्टमी पर क्यों लगाई जाती है राधा कुंड में डुबकी? जानें पौराणिक कथा और महत्व

12:39 PM Oct 11, 2025 IST | Bhawana Rawat
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Ahoi Ashtami Radha Kund Significance: अहोई अष्टमी का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुरक्षा के लिए व्रत रखती है, इसके अलावा संतान प्राप्ति के लिए भी ये व्रत रखा जाता है। बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए महिलाएं अहोई माता की पूजा करती है, जिससे संतान सुख और बच्चों के अच्छे भविष्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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इस मौके पर राधा कुंड में स्नान करने का विशेष महत्व है। हर साल अहोई अष्टमी के दिन मथुरा में स्थित राधा कुंड में स्नान करने की परम्परा है, इसके पीछे कई मान्यताएं हैं। आइए जानते हैं कि अहोई अष्टमी पर राधा कुंड में स्नान का क्या महत्व है और इसके पीछे क्या पौराणिक कथा है।

Ahoi Ashtami Radha Kund Significance: अहोई अष्टमी पर राधा कुंड में स्नान करने का महत्व 

अहोई अष्टमी पर राधा कुंड में स्नान करने का महत्व (Ai Generated Image)

अहोई अष्टमी पर राधा कुंड में स्नान करने की बहुत प्राचीन परंपरा है। अहोई अष्टमी के दिन हजारों लोग इस कुंड में स्नान करने के लिए मथुरा पहुंचते हैं। मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड में स्नान करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस मौके पर आधी रात को इस पवित्र कुंड में डुबकी लगाने से राधा-कृष्ण का आशीर्वाद मिलता है और निःसंतान दंपतियों को संतान सुख मिलता है। जिसको भी स्नान करने के बाद संतान सुख मिलता है, तो राधा रानी को धन्यवाद करने के लिए दोबारा स्नान करने आते हैं। मान्यता ये भी है कि इस कुंड में स्नान करने से व्यक्ति अपने पापों से मुक्त हो जाता है।

Radha Kund Mystery: क्या है इस कुंड में स्नान करने की पौराणिक कथा?

क्या है इस कुंड में स्नान करने की पौराणिक कथा? (Ai Generated Image)

पौराणिक कथा के अनुसार, कंस ने श्री कृष्ण का वध करने के लिए अरिष्टासुर नामक दैत्य को भेजा था। उस समय अरिष्टासुर गाय के बछड़े का रूप धारण करके श्री कृष्ण की गायों के बीच में शामिल हो गया और उन्हें मारने के लिए आया। श्री कृष ने उस दैत्य को पहचान लिया और उसका वध कर दिया। इस कारण भगवान श्रीकृष्ण पर गौहत्या का पाप लग गया। अपने इस पाप से मुक्ति पाने के लिए श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी से एक कुंड बनाया और सभी तीर्थ स्थानों के पानी को वहां इकट्ठा कर दिया।

श्री कृष्ण ने पाप से मुक्ति पाने के लिए इस कुंड में स्नान किया। इस कुंड के बगल में ही राधा जी ने अपने कंगन से एक कुंड का निर्माण किया और फिर इसमें स्नान किया, इसी को राधा कुंड कहते हैं। भगवान श्री कृष्ण ये देखकर प्रसन्न हुए और उन्होंने राधा रानी को वरदान दिया कि जिस भी दंपत्ति को संतान सुख नहीं मिल रहा, वह संतान प्राप्ति के लिए Ahoi Ashtami के दिन इस कुंड में स्नान करें। तभी से इस कुंड में संतान प्राप्ति के लिए अहोई अष्टमी पर स्नान करने की परंपरा चली आ रही है।

ये भी पढ़ें: 13 या 14 अक्टूबर, कब है अहोई अष्टमी? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Ahoi Ashtami kab hai?: अहोई अष्टमी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है, इस दिन खासतौर पर माताएं अपने बच्चों की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और सफलता के लिए व्रत करती हैं। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है, इस साल यह व्रत 13 अक्टूबर को पड़ रहा है। इस दिन माताएं दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को तारों के दर्शन करके उन्हें अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करती हैं। पौराणिक मान्यता है कि यह व्रत न सिर्फ संतान की दीर्घायु, बल्कि संतान प्राप्ति के लिए भी रखा जाता है। आइए जानते हैं, अहोई अष्टमी कब है, इसका शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है। आगे पढ़ें...

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