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खौफ में विमान यात्री

अफवाहें इतनी जल्दी फैलती हैं क्योंकि उनके हजार पांव होते हैं। सत्य बड़ा सुस्त होता है क्योंकि उसके दो ही पांव होते हैं।

10:48 AM Oct 18, 2024 IST | Aditya Chopra

अफवाहें इतनी जल्दी फैलती हैं क्योंकि उनके हजार पांव होते हैं। सत्य बड़ा सुस्त होता है क्योंकि उसके दो ही पांव होते हैं।

अफवाहें इतनी जल्दी फैलती हैं क्योंकि उनके हजार पांव होते हैं। सत्य बड़ा सुस्त होता है क्योंकि उसके दो ही पांव होते हैं। अफवाहें तो घर से बाहर पांव रखते ही चारधाम की यात्रा कर चुकी होती हैं। अफवाहें तेजी से इसलिए फैलती हैं क्योंकि समाज की मानसिकता उतना अच्छी बातों को महत्व नहीं देतीं जितना बुुरी बातों को महत्व देती हैं। बात पुरानी नहीं हुई जब दिल्ली और देश के कई शहरों में एक के बाद एक बम रखे जाने की फर्जी धमकियों से स्कूल वाले और बच्चों के अभिभावक परेशान हो गए थे। बम की फर्जी धमकियों के पीछे कुछ मामलों में स्कूली बच्चों की भी भूमिका सामने आई। अफवाह चिंता या उत्सुकता के माहौल में ज्यादा फैलती है। बच्चों के स्कूल जाते ही अभिभावक बच्चों की सुरक्षा को लेकर ही चिंतित होते हैं। इसलिए स्कूल में बम रखे जाने की सूचना मिलते ही वह घरों से भाग पड़ते हैं। इन दिनों विमान यात्री खौफ में हैं, क्योंकि विमानों में एक के बाद एक बम रखे जाने की धमकियां मिल रही हैं। पिछले कुछ दिनों में बीस से ज्यादा विमानों में बम रखे जाने की फर्जी धमकियों से विमानन कम्पनियां तो परेशान हैं ही साथ ही यात्री भी दहल उठे हैं।

कभी किसी विमान को आपात स्थिति में उतारना पड़ रहा है, तो कभी विमानों को डायवर्ट कर अलग-अलग हवाई अड्डों पर उतार कर उनकी संघन जांच की जाती है लेकिन कुछ भी संदिग्ध नहीं मिलता। हवाई अड्डों पर अफरातफरी वाला माहौल पैदा हो जाता है। यात्रियों का समय तो बर्बाद होता ही है, एयरलाइन्स कम्पनियों को गंतव्य तक पहुंचने में काफी ​िदक्कतों का सामना करना पड़ता था। विमान यात्री ही नहीं जिस तरह से रेलवे लाइनों पर कभी गैस सिलैंडर तो कभी विस्फोटक, कभी लोहे के गार्डर, तो कभी ऐसी सामग्री मिल रही हैै जिससे ट्रेनें क्षणभर में पलट सकती हैं। त्यौहारी सीजन में हर कोई सुरक्षित घर पहुंचना चाहता है लेकिन एक के बाद एक हादसों से माहौल ही डराने लग गया है। विमान यात्रा को बेहद सुर​िक्षत और सहज साधन माना जाता है ले​िकन फर्जी संदेशों आैर धमकियों ने हवाओं में भी खौफ पैदा कर दिया है। यह धमकियां सोशल मीडिया मंचों के माध्यम से दी जा रही हैं। ऐसी धमकियों पर जरा सी भी लापरवाही नहीं की जा सकती, इसलिए विमानों की सुरक्षा जांच भी की जाती है।

अब बड़ा सवाल यह है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्मों या ईमेल भेजकर ऐसी धमकियां दी जा रही हैं। ऐसे फर्जी संदेशों को पकड़ने की आधुनिक तकनीक उपलब्ध है, ​िफर भी सुरक्षा एजैंसियां झूठ​ी धमकियां देने वालों का पता नहीं लगा पातीं। इसका बड़ा कारण यह भी है कि ऐसी हरकतें दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर कोई भी कर सकता है। ऐसा संदेह है कि हैंडलरों ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अकाऊंट सैट करने के लिए वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क या डार्क वेब ब्राउजर का इस्तेमाल किया। उनका आईपी एड्रेस पाने के लिए पुलिस को काफी समय लगता है। सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर फर्जी अकाऊंटों की भी भरमार है। इस तरह की धमकियों पर अब सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। गृह मंत्रालय ने विमानन कम्पनियों से पूरी रिपोर्ट मांगी है। भले ही फर्जी धमकियां लोगों को हानि रहित शरारत लगती हैं लेकिन विमानन कम्पनियों पर वित्तीय बोझ बढ़ रहा है। विमानन कम्पनियां पहले से ही बढ़ते खर्चों से जूझ रही हैं। उन्हें चालक दल यात्रियों और सद्भावना को बनाए रखने से सम्बन्धित बड़े खर्चे उठाने पड़ रहे हैं। उड़ानों को डायवर्ट करने, सुरक्षा जांच करने, चक्कर लगाने के लिए अतिरिक्त ईंधन और फंसे हुए यात्रियों को होटल में ठहराने जैसे खर्चों का सामना करना पड़ सकता है। इन फर्जी धमकियों की शुरूआत जांच में किसी साजिश की ओर ईशारा नहीं किया गया और ज्यादातर कॉल नाबालिगों और शरारती लोगों द्वारा किए जाने का पता चलता है।

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कड़े नियम बनाने की योजना बनाई है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय (एमओसीए) के शीर्ष सूत्रों के अनुसार, सुरक्षा एजेंसियों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ कई दौर की बैठकें हुई हैं। मंत्रालय एयरलाइनों को बम की झूठी धमकियों की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त मानदंड लागू करने की भी योजना बना रहा है, जिसमें अपराधियों को नो-फ्लाई सूची में डालना भी शामिल है। इसके तहत ऐसे व्यक्ति को किसी भी एयरलाइन की उड़ान भरने से रोक दिया जाएगा। यह ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (बीसीएएस) से संबंधित नियमों सहित मौजूदा नियमों में संशोधन करने पर भी विचार कर रहा है, ताकि दोषियों के लिए सख्त सजा सुनिश्चित की जा सके।

विमान यात्रा के प्रति लोगों का भरोसा न टूटे इसके लिए ठोस कदम उठाने जरूरी हैं। खौफ खत्म करने के​ लिए कारगर तकनीकी तंत्र विकसित करना भी बहुत जरूरी है। उन नाबालिगों को भी सबक सिखाने की जरूरत है, जो अपने दोस्त को फंसाने के चलते उसके नाम पर हैंडल बनाकर धमकी देते हैं। सरकार ने विमानों में एयर मार्शल बढ़ाने का भी फैसला लिया है। पुलिस ने कई संदिग्धों की पहचान कर ली है, जिन्हें दंडित करना भी जरूरी है।

आदित्य नारायण चोपड़ा

Adityachopra@punjabkesari.com

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