भारत के एविएशन सेक्टर में 5 सालों में हुआ ₹96,000 करोड़ का निवेश, Airports की संख्या और यात्री आवागमन में इजाफा
भारत का एविएशन सेक्टर और Airports बीते कुछ वर्षों में तेज़ी से आगे बढ़ा है। केंद्रीय नागर विमानन मंत्री के. राममोहन नायडू ने संसद में जानकारी दी कि एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) और उसके पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) सहयोगियों ने मिलकर 2019-20 से 2024-25 के बीच देश के एविएशन सेक्टर में करीब ₹96,000 करोड़ का निवेश किया है। यह निवेश भारत में हवाई यात्रा को अधिक किफायती, सुविधाजनक और सुगम बनाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
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— MoCA_GoI (@MoCA_GoI) July 23, 2025
Airports की संख्या और यात्री आवागमन में इजाफा
मंत्री नायडू के अनुसार, देश में इस समय कुल 162 Airports ऑपरेशनल हैं, जिनमें हेलीपोर्ट और वॉटर एयरोड्रोम भी शामिल हैं। वर्ष 2024-25 में इन एयरपोर्ट्स पर कुल 41.2 करोड़ यात्रियों ने आवागमन किया, जिनमें 7.7 करोड़ अंतरराष्ट्रीय और 33.5 करोड़ घरेलू यात्री थे। यह आंकड़ा साल-दर-साल 9 प्रतिशत की बढ़ोतरी को दर्शाता है। इसका मतलब है कि अब अधिक लोग हवाई यात्रा को प्राथमिकता दे रहे हैं, जो कि भारत के एविएशन सेक्टर की मजबूती का संकेत है।
Domestics और International Routes का विस्तार
देश के हवाई नेटवर्क में लगातार विस्तार हो रहा है। वर्तमान में भारतीय शेड्यूल्ड ऑपरेटर्स 835 घरेलू और 251 अंतरराष्ट्रीय रूट्स पर सेवाएं दे रहे हैं। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि भारत की हवाई सेवाएं अब केवल मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि Airports छोटे शहरों और अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों तक भी पहुंच रही हैं।
Airports का प्रभाव
सरकार ने 2016 में "उड़े देश का आम नागरिक" यानी UDAN स्कीम की शुरुआत की थी। इस योजना का उद्देश्य छोटे शहरों और पिछड़े क्षेत्रों को हवाई नेटवर्क से जोड़ना और आम नागरिक के लिए Airports को सुलभ बनाना था। अब तक इस योजना के तहत 637 नए RCS रूट्स चालू किए जा चुके हैं, जिनसे 92 अप्रयुक्त और कम उपयोग वाले Airports को जोड़ा गया है। इनमें 15 हेलीपोर्ट और 2 वॉटर एयरोड्रोम भी शामिल हैं। इससे छोटे शहरों के लोगों को भी अब बड़े शहरों से जोड़ने वाली सीधी हवाई सेवाएं मिलने लगी हैं।
Airport Infrastructure में लगातार हो रहा विकास
मंत्री नायडू ने यह भी बताया कि मौजूदा एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण और विस्तार एक निरंतर प्रक्रिया है। यह यात्री मांग, जमीन की उपलब्धता, वाणिज्यिक संभावनाओं, सुरक्षा मानकों और एयरलाइनों की ज़रूरतों पर निर्भर करता है। AAI और संबंधित Airports ऑपरेटर समय-समय पर जरूरतों के मुताबिक इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड कर रहे हैं ताकि यात्रियों को बेहतर सुविधा दी जा सके।
Greenfield Airports के लिए नीति और स्थिति
भारत सरकार ने वर्ष 2008 में ग्रीनफील्ड Airports के विकास के लिए एक स्पष्ट नीति बनाई थी। इस नीति के तहत, यदि कोई डेवलपर (राज्य सरकार सहित) नया Airports बनाना चाहता है, तो उसे पहले उपयुक्त स्थान की पहचान करनी होती है, फिर पूर्व-व्यवहार्यता अध्ययन करवा कर केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजना होता है। मंत्री ने साफ किया कि अब तक महाराष्ट्र के पालघर और मध्य प्रदेश के पचमढ़ी या मटकुली से ग्रीनफील्ड Airports के लिए कोई प्रस्ताव केंद्र को प्राप्त नहीं हुआ है।
हवाई यात्रा का भविष्य और महत्व
भारत का एविएशन सेक्टर आज केवल बड़े शहरों की सीमाओं में नहीं सिमटा है। यह ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों तक पहुंच बनाकर क्षेत्रीय विकास में योगदान दे रहा है। उड़ान योजना ने इस बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके साथ ही सरकार द्वारा किया गया ₹96,000 करोड़ का निवेश न केवल वर्तमान ज़रूरतों को पूरा करने में मदद करेगा, बल्कि भविष्य की मांगों के लिए भी आधार तैयार करेगा।
भारत का एविएशन सेक्टर बदलाव के दौर से गुजर रहा है। यात्री संख्या में बढ़ोतरी, Airports की संख्या में विस्तार, नई योजनाओं और नीतियों का सफल क्रियान्वयन, और भारी निवेश इस सेक्टर को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं। आने वाले वर्षों में यह सेक्टर न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से बल्कि क्षेत्रीय संतुलन और सामाजिक समावेशन के लिहाज़ से भी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है।