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Ajab-Gajab: आपको चौंका देगी इस जनजाति की परंपरा! जवान होते ही लड़कियों के साथ किया...

04:23 PM Jul 02, 2025 IST | Amit Kumar
Ajab-Gajab

Ajab-Gajab: दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में कई ऐसी जनजातियां रहती हैं, जिनकी जीवनशैली, परंपराएं और रीति-रिवाज आम लोगों से बिल्कुल अलग होते हैं. कुछ जनजातियां अब मुख्यधारा की दुनिया से जुड़ चुकी हैं, लेकिन कई ऐसी भी हैं जो आज भी पूरी तरह से अलग-थलग रहकर अपनी पुरानी परंपराओं को निभा रही हैं. इन्हीं में से एक है मुर्सी जनजाति, जो अफ्रीका के देश इथियोपिया के दक्षिणी हिस्से में ओमो घाटी के क्षेत्र में रहती है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मुर्सी जनजाति की आबादी करीब 10,000 लोगों की है और ये लोग लगभग 2,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हुए हैं. यह जनजाति मुख्य रूप से खेती और पशुपालन पर निर्भर रहती है. खासकर गायों को ये लोग बहुत सम्मान की नजर से देखते हैं. उनके लिए गाय न सिर्फ आमदनी का जरिया हैं, बल्कि सामाजिक प्रतिष्ठा का भी प्रतीक मानी जाती हैं.

क्रूर और हिंसक जनजाति

इस जनजाति को अक्सर दुनिया की सबसे "क्रूर" या "हिंसक" जनजातियों में गिना जाता है. इसका कारण है उनकी कुछ अजीब और दर्दनाक परंपराएं, और बाहरी लोगों के प्रति उनका उग्र रवैया. मुर्सी जनजाति के लोग आधुनिक समाज से दूरी बनाए रखते हैं और अपनी पुरानी परंपराओं को पूरी निष्ठा से निभाते हैं.

लड़कियों के काटे जाते हैं होंठ

इनकी सबसे चौंकाने वाली और दर्दनाक परंपरा यह है कि जब कोई लड़की किशोरावस्था में पहुंचती है, तो उसके निचले होंठ को काटकर उसमें एक मिट्टी की डिस्क (प्लेट) डाली जाती है. यह प्रक्रिया बहुत ही पीड़ादायक होती है. पहले होंठ में एक छोटा छेद किया जाता है और फिर समय के साथ उसमें बड़ी-बड़ी गोल मिट्टी की प्लेटें डाली जाती हैं.

इससे होंठ बहुत ज्यादा फैल जाता है और नीचे की ओर लटकने लगता है. यह परंपरा सौंदर्य का प्रतीक मानी जाती है. इस जनजाति में यह माना जाता है कि जिसके होठों में सबसे बड़ी प्लेट होती है, वही महिला सबसे खूबसूरत और सम्मानित मानी जाती है.

क्या है परंपरा के पीछे की कहानी?

इस परंपरा की शुरुआत के पीछे एक बेहद दुखद कहानी है. कहा जाता है कि पहले जब इस जनजाति की महिलाओं को गुलाम बनाया जाता था, तब खूबसूरत महिलाओं को सबसे ज्यादा अत्याचार का सामना करना पड़ता था. खुद को बदसूरत दिखाने के लिए महिलाओं ने होंठ काटना शुरू किया, ताकि उन्हें गुलामी से बचाया जा सके. धीरे-धीरे यह परंपरा जनजाति की संस्कृति का हिस्सा बन गई.

मुर्सी जनजाति के लोग न सिर्फ अपनी परंपराओं को निभाते हैं, बल्कि बाहरी लोगों से दूरी बनाए रखते हैं. वे अपनी भूमि, संस्कृति और पहचान की कड़ी रक्षा करते हैं और किसी भी तरह की दखलअंदाजी को पसंद नहीं करते. इस तरह मुर्सी जनजाति एक ऐसी आदिवासी संस्कृति है, जो अपने विचित्र रीति-रिवाजों और अलग जीवनशैली के लिए दुनियाभर में जानी जाती है.

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