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शिव मंदिर पर बना अजमेर शरीफ दरगाह? जज की किताब में कई दावे, पूजा शुरू कराने की मांग

Ajmer Sharif Dargah Dispute : संभल की मस्जिद का विवाद ठंडा नहीं पड़ा था कि अजमेर शरीफ पर विवाद शुरू हो गया है। अजमेर शरीफ दरगाह को शिव मंदिर बताया जा रहा। वहां पूजा-पाठ कराने की अर्जी को सिविल कोर्ट स्वीकार कर लिया है।

09:23 AM Nov 28, 2024 IST | Ranjan Kumar

Ajmer Sharif Dargah Dispute : संभल की मस्जिद का विवाद ठंडा नहीं पड़ा था कि अजमेर शरीफ पर विवाद शुरू हो गया है। अजमेर शरीफ दरगाह को शिव मंदिर बताया जा रहा। वहां पूजा-पाठ कराने की अर्जी को सिविल कोर्ट स्वीकार कर लिया है।

Ajmer Sharif Dargah : उत्तर प्रदेश के मुस्लिम धार्मिक स्थलों पर हिंदू मंदिर होने के दावों के बाद राजस्थान के प्रसिद्ध अजमेर शरीफ दरगाह पर विवाद शुरू हो चुका है। अजमेर शरीफ दरगाह को महादेव का मंदिर बताया जा रहा है। इसे लेकर हिन्दू सेना ने अजमेर सिविल कोर्ट में अर्जी दी थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले में 20 दिसंबर को सुनवाई होगी।

किताब-अजमेर : हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव में मंदिर होने का दावा

हिंदू सेना के दावे को लेकर ऑल इंडिया सज्जादानशीन काउंसिल के अध्यक्ष सैयद नसीरूद्दीन चिश्ती ने नाराजगी जताई। औवेसी ने 1991 पूजा स्थल एक्ट का हवाला दिया और इसे लेकर पीएम को घेरा। याचिका में रिटायर्ड जज हरबिलास सारदा की साल 1911 में लिखी किताब- अजमेर : हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव का हवाला दिया गया है। किताब में दरगाह निर्माण में मंदिर के मलबा होने का दावा है। गर्भगृह और परिसर में जैन मंदिर होने का भी दावा किया है।

दरगाह के तहखाने में शिवलिंग होने का दावा

याचिकाकर्ता के वकील रामस्वरूप बिश्नोई ने रिटायर्ड जज हरविलास शारदा की किताब का हवाला दिया है। किताब में लिखा है कि दरगाह के अंदर तहखाने में शिवलिंग है। किताब में दरगाह की संरचना में जैन मंदिर के अवशेषों का भी जिक्र है। इसके 75 फीट ऊंचे बुलंद दरवाजे के निर्माण में मंदिर के मलबे के तत्वों का जिक्र है।

पृथ्वीराज चौहान के वंशजों ने बनवाया था मंदिर

कहा गया कि इस शिवलिंग की पारंपरिक रूप से ब्राह्मण परिवार पूजा करता है। दरगाह के 75 फीट ऊंचे बुलंद दरवाजे की संरचना में जैन मंदिर के अवशेषों की उपस्थिति का संकेत देता है। याचिका में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से दरगाह का सर्वेक्षण करने का भी अनुरोध है। इसमें उस क्षेत्र में फिर से पूजा की जा सके, जहां कथित तौर पर शिवलिंग है। अजमेर से जुड़ा रोचक तथ्य यह भी है कि यहां पृथ्वीराज चौहान ने भी शासन किया था। जज हरविलास ने बताया कि अजमेर महायोद्धा पृथ्वीराज चौहान के वंशजों ने ही मंदिर बनाया था।

पूजा शुरू करवाने को सितंबर में दायर हुआ था वाद

वादी विष्णु गुप्ता के अधिवक्ता योगेश सिरोजा के अनुसार वाद पर दीवानी मामलों के न्यायाधीश मनमोहन चंदेल की अदालत में सुनवाई हुई। सिरोजा ने कहा कि दरगाह में शिव मंदिर होना बताया जा रहा। उसमें पहले पूजा-पाठ होता था। पूजा-पाठ दोबारा शुरू करवाने के लिए वाद सितंबर 2024 में दायर किया गया था। कोर्ट ने वाद स्वीकार कर संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किए हैं। वादी ने बताया कि हमारी मांग थी कि अजमेर दरगाह संकटमोचन महादेव मंदिर घोषित हो। दरगाह का कोई पंजीकरण है तो रद्द किया जाए। उसका सर्वेक्षण एएसआई के जरिए कराया जाए। वहां हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार मिले।

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