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शिक्षा में नवाचार के नाम पर भेदभावपूर्ण नीति बनाने का आरोप

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06:15 PM Aug 26, 2017 IST | Desk Team

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राजस्थान गैर सहायता एवं गैर रियायत प्राप्त निजी विद्यालयों का संगठन स्कूल शिक्षा परिवार ने राज्य सरकार पर नवाचार के नाम पर भेदभावपूर्ण नीति बनाकर कार्य करने का आरोप लगाया हैं।

संगठन के अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा छात्रों को प्रात्साहित करने के लिए चलाई गयी योजनाएं लेपटॉप, स्कूटी एवं साईकिल वितरण के नियमों में परिवर्तन करते हुये यह सुविधा केवल सरकारी स्कूलों में अध्ययन करने वाले छात्रों के लिए ही रखी हैं जबकि लेपटॉप एवं अन्य सामान की खरीद बालिका शिक्षा फाउंडेशन का कोष केवल निजी विद्यालयों द्वारा दिये जाने वाले शुल्क से ही बनता हैं। इसमें सरकारी विद्यालयों मे अध्ययनरत बच्चों की राशि नहीं होती हैं।

उन्होंने राज्य के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी पर गैर सरकारी स्कूलों का परीक्षा परिणाम बिगाडऩे के लिए परीक्षा केन्द्रों पर बच्चों को परेशान करने, उनको मिलने वाली सुविधाएं छीन लेने, गैर सरकारी स्कूलों को मान्यता तक नहीं देने, आरटीई के तहत गैर सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले गरीब बच्चों को रोकने जैसे बदले की भावना से कई तरह की नीतियां बनाने का आरोप लगाया।

श्री शर्मा ने कहा कि राज्य में करीब एक करोड़ 51 लाख विद्यार्थी अध्ययनरत हैं जिसमें से करीब 60 लाख सरकारी विद्यालयों में पढ़ते है शेष 91 लाख से अधिक बच्चे निजी स्कूलों में अध्ययनरत हैं।

उन्होंने कहा कि औसत खर्च निकाला जाय तो सरकार एक बच्चे पर वर्ष में 65 हजार रुपये खर्च करती हैं तथा कूल मिलाकर 2671 हजार करोड़ रुपये का शिक्षा का बजट होता हैं। इसक मुकाबले में निजी स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों पर सरकार की तरफ से कोई सुविधा एवं खर्च नहीं बनता हैं।

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