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Amarnath Yatra 2025: पेश हुई स्वच्छता की मिसाल, पहली बार हुई जीरो वेस्ट यात्रा

09:43 PM Aug 19, 2025 IST | Amit Kumar
Amarnath Yatra 2025

Amarnath Yatra 2025: इस वर्ष की अमरनाथ यात्रा न सिर्फ भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक बनी, बल्कि स्वच्छता और पर्यावरण-संरक्षण के क्षेत्र में भी एक नई मिसाल कायम कर गई। लगभग 4 लाख श्रद्धालुओं ने जम्मू-कश्मीर के ऊंचे पहाड़ों में स्थित पवित्र गुफा के दर्शन किए। श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड और सरकार ने मिलकर इस यात्रा को प्लास्टिक-मुक्त और पर्यावरण-अनुकूल बनाने के लिए कई ठोस कदम उठाए।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पूरे मार्ग पर सफाई और कचरा प्रबंधन को वैज्ञानिक ढंग से अंजाम दिया गया। Amarnath Yatra के दौरान हर दिन करीब 11.67 मीट्रिक टन कचरा पैदा हुआ, जिसमें से 3.67 मीट्रिक टन सूखा और 7.83 मीट्रिक टन गीला कचरा था। यात्रा मार्ग पर 1,016 ट्विन-बिन स्टेशन (नीला - सूखा कचरा, हरा - गीला कचरा) लगाए गए।

Amarnath Yatra 2025: सफाई में जुटे सफाई मित्र

इसके साथ ही 65 कचरा संग्रहण वाहन लगाए गए, जिनमें ट्विन-कम्पार्टमेंट ट्रक भी शामिल थे। गीले कचरे को 3 ऑर्गेनिक कम्पोस्टर (1 टन क्षमता वाले) में खाद में बदला गया, जबकि सूखे कचरे को मैटेरियल रिकवरी सेंटर में भेजा गया। 24 घंटे सफाई व्यवस्था बनाए रखने के लिए 1,300 सफाई मित्र तैनात किए गए। यात्रा मार्ग पर 1,600 से अधिक मोबाइल शौचालय लगाए गए, जिन्हें हर दिन दो बार साफ किया गया। महिलाओं के लिए सेनेटरी वेस्ट डस्टबिन की भी अलग व्यवस्था की गई थी।

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Amarnath Yatra 2025

डिजिटल फीडबैक और सीवेज ट्रीटमेंट

यात्रियों से फीडबैक लेने के लिए क्यूआर कोड आधारित सिस्टम का इस्तेमाल किया गया, जिसमें 20,000 से ज्यादा लोगों ने प्रतिक्रिया दी। यात्रा के दौरान उत्पन्न मलजल को 39 विशेष वाहनों के माध्यम से इकट्ठा कर शुद्धिकरण संयंत्र में भेजा गया, जहां उसका 100 प्रतिशत ट्रीटमेंट हुआ।

Amarnath Yatra 2025

प्लास्टिक मुक्त यात्रा

पूरे यात्रा मार्ग पर सिंगल-यूज प्लास्टिक पर रोक थी। यात्रियों को 15,000 से अधिक जूट और कपड़े के थैले बांटे गए। "प्लास्टिक लाओ - थैला ले जाओ" जैसे अभियान चलाए गए। नुक्कड़ नाटक, साइनबोर्ड और सोशल मीडिया के ज़रिए लोगों को जागरूक किया गया।

जनभागीदारी से बना आंदोलन

"ग्रीन प्लेज" के तहत 70,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने स्वच्छता और पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लिया। यात्रियों को “स्वच्छता किट” भी दी गई और सेल्फी बूथ व शपथ-स्थलों से उन्हें प्रेरित किया गया।

प्रेरणा बनी Amarnath Yatra

इस साल की Amarnath Yatra ने यह साबित कर दिया कि धार्मिक आयोजन सिर्फ श्रद्धा तक सीमित नहीं रहते। अगर सही योजना और जनसहभागिता हो, तो इन्हें स्वच्छता, सतत विकास और पर्यावरण-संरक्षण से जोड़ा जा सकता है। यह पहल आने वाले समय में देश की अन्य तीर्थयात्राओं और बड़े आयोजनों को भी ‘जीरो-वेस्ट मॉडल’ अपनाने के लिए प्रेरित करेगी।

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