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अमित शाह की निर्णायक जंग

जम्मू-कश्मीर में पिछले एक सप्ताह से लगातार हो रही पाकिस्तानी घुसपैठ को सुरक्षा बल एक के बाद एक नाकाम कर रहे हैं।

01:02 AM Aug 27, 2022 IST | Aditya Chopra

जम्मू-कश्मीर में पिछले एक सप्ताह से लगातार हो रही पाकिस्तानी घुसपैठ को सुरक्षा बल एक के बाद एक नाकाम कर रहे हैं।

 जम्मू-कश्मीर में पिछले एक सप्ताह से लगातार हो रही पाकिस्तानी घुसपैठ को सुरक्षा बल एक के बाद एक नाकाम कर रहे हैं। दो दिन पहले घुसपैठ की कोशिशें करते पाकिस्तान के दो आतंकवादियों को मार गिराया था और भारतीय चौकी को उड़ाने आए एक घायल आतंकवादी को सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार कर लिया था। भारत ने एक बार फिर मानवता का परिचय देते हुए घायल आतंकवादी का अस्पताल में उपचार कराया, बल्कि भारतीय जवानों ने अपना खून देकर उसे जीवनदान दिया। इस पाकिस्तानी आतंकवादी ने वीडियो में कबूल किया कि पाकिस्तानी कर्नल ने उन्हें भारतीय चौकी को उड़ाने के लिए तीस हजार पाकिस्तानी रुपए दिए थे। सुरक्षा बलों ने उड़ी सैक्टर में दो दिन पहले घुसपैठ की कोशिश कर रहे तीन आतंकवादियों को मार गिराया। भारतीय सेना के सफल अभियान से न केवल पाकिस्तानी आतंकवादियों का लगातार सफाया हो रहा है बल्कि जम्मू-कश्मीर में शांति समृद्धि और सामान्य स्थिति को बाधित करने के पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को भी विफल बनाया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर में 15 सितम्बर को नए मतदाताओं की नई सूची सार्वजनिक हो जाएगी। नए मतदाताओं के पंजीकरण का काम तब से ही शुरू कर दिया गया था जब अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया गया था। अनुच्छेद 370 हटाए जाने से पहले जम्मू-कश्मीर में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत ही चुनाव होते थे, तब लोकसभा में तो यहां के बाल्मीकि समाज, गोरखा समाज और पाकिस्तान से आए शरणार्थी वोट डाल सकते थे, लेकिन विधानसभा चुनावों में नहीं लेकिन धारा 370 हटाए जाने के बाद अब विधानसभा चुनावों में भी वह वोट डाल सकते हैं क्योंकि उन्हें भी अब जम्मू-कश्मीर का स्टेट सबजैक्ट या नागरिक मान लिया गया है। भारी संख्या में युवा मतदाता भी विधानसभा चुनावों में वोट डालेंगे। यह कहना कि बाहरी लोग आकर बस  जाएंगे अब अपरिपक्विता होगी क्योंकि कई सालों से रह रहे लोग जो दूसरी जगहों से यहां तैनात हैं या रोजगार कर रहे हैं वो अपना मतदाता पहचान पत्र यहां बनवा सकते हैं और अपने मताधिकार का उपयोग कर सकते हैं। पाकिस्तान को यह सब सहन नहीं हो रहा और वह कश्मीर में गड़बड़ी फैलाने की लगातार साजिशें रच रहा है। इन्हीं साजिशों के बीच गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति पर समीक्षा बैठक में राज्य में आतंकवाद को जड़मूल से समाप्त करने का ऐलान कर दिया। इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, केन्द्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव कराना एक बड़ी चुनौती है और  गृहमंत्री अमित शाह इस समय आतंकवाद से निर्णायक जंग लड़ रहे हैं। गृहमंत्री ने सुरक्षा बलों और पुलिस को फ्रीहैंड देते हुए आतंकवाद का सफाया करने के लिए सतर्क और सुनियोजित आतंकवाद रोधी अभियानों के जरिये समन्वित कोशिशें जारी रखने को कहा है। इसमें कोई संदेह नहीं कि राज्य में आतंकवाद की घटनाओं में कमी आई है और आतंकी कमांडरों की उम्र अब मुश्किल से कुछ महीने ही रह गई है। कोरोना महामारी के दो साल के अंतराल के बाद सफलतापूर्वक अमरनाथ यात्रा आयोजित करने का श्रेय सुरक्षा एजैंसियों और प्रशासन को ही जाता है। घाटी में अब बचे-खुचे आतंकी ही बचे हैं और उम्मीद है कि सुरक्षा बल पाकिस्तान के छद्म युद्ध को निर्णायक शिकस्त देंगे। गृहमंत्री ने गैर कानूनी अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज मामलों की समीक्षा करने और जांच समय पर करने पर भी जोर दिया। जम्मू-कश्मीर नैशनल कांफ्रैंस ने विधानसभा चुनावों में सभी 90 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। इस घोषणा के बाद यह सवाल काफी महत्वपूर्ण हो गया है कि क्या जम्मू-कश्मीर में गुपकार अलायंस में फूट पड़ गई है। यह सवाल इसलिए भी उठा कि गुपकार गठबंधन की प्रमुख पार्टी नैशनल कांफ्रैंस ही है। हाल ही में गुपकार गठबंधन के कुछ घटकों द्वारा की गई बयानबाजी और जारी किए गए ऑडियो जिंगल में नैशनल कांफ्रैंस को निशाना बनाया गया था। इसी वजह से नैशनल कांफ्रैंस और अन्य घटकों में दूरियां बढ़ने के संकेत पहले ही मिल गए थे। इस बात के संकेत पहले ही मिल गए थे  कि नैशनल कांफ्रैंस महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की इच्छुक नहीं है। महबूबा मुुफ्ती का कहना है कि गुपकार गठबंधन 370 जैसे बड़े मुद्दे और राज्य के अधिकारों की बहाली के लिए बना है। यह कोई चुनावी गठबंधन नहीं है। इसका अर्थ यही है कि नैशनल कांफ्रैंस ने चुनाव लड़ना स्वीकार कर जम्मू-कश्मीर की स्थिति को स्वीकार कर ​िलया है और महबूबा मुफ्ती भी चुनावों से अलग नहीं रहेगी। जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों के लिए यही बेहतर होगा कि वे राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल हो गृहमंत्री अमित शाह की नीतियां और योजनाएं सही दिशा में फलीभूत होती नजर आ रही हैं और उन्होंने पहले ही घोषणा कर रखी है कि आतंकवाद का खात्मा होते ही जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिया जा सकता है। गृहमंत्री अमित शाह मजबूत इरादे से निर्णायक जंग लड़ रहे हैं और इस जंग में विजय निश्चित है।
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