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चक्रवात पर PM के साथ समीक्षा बैठक में हिस्सा नहीं लेने के लिए अमित शाह ने ममता पर साधा निशाना

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चक्रवात को लेकर राहत कदमों पर प्रधानमंत्री नरेंद मोदी के साथ बैठक में हिस्सा नहीं लेने के लिए शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना की

10:32 PM May 28, 2021 IST | Ujjwal Jain

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चक्रवात को लेकर राहत कदमों पर प्रधानमंत्री नरेंद मोदी के साथ बैठक में हिस्सा नहीं लेने के लिए शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना की

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चक्रवात को लेकर राहत कदमों पर प्रधानमंत्री नरेंद मोदी के साथ बैठक में हिस्सा नहीं लेने के लिए शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना की और आरोप लगाया कि उन्होंने जनकल्याण से ऊपर अहंकार को रखा। मोदी ने शुक्रवार को ओडिशा और पश्चिम बंगाल का दौरा किया और चक्रवात के बाद की स्थिति को लेकर दोनों राज्यों में बैठकें की। 
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शाह ने कहा, ‘‘ममता दीदी का आज का आचरण दुर्भाग्यपूर्ण है। चक्रवात यास के कारण बहुत सारे आम नागरिक प्रभावित हुए हैं और समय की मांग है कि प्रभावितों की मदद की जाए। दुखद है कि दीदी ने जनकल्याण के ऊपर अहम को रखा और आज के इस ओछे व्यवहार में यह दिखता है। ’’ हालांकि, बनर्जी ने चक्रवात ‘यास’ के कारण राज्य को हुए नुकसान पर प्रधानमंत्री को एक रिपोर्ट सौंपी है और प्रभावित इलाकों के पुनर्विकास के लिए 20,000 करोड़ रुपये के पैकेज की मांग की है।
इससे पहले भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि चक्रवात ‘‘यास’’ से हुए नुकसान की समीक्षा के लिए पश्चिम बंगाल में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नदारद रहीं और ऐसा करके उन्होंने ‘‘संवैधानिक मर्यादाओं और सहकारी संघवाद की हत्या’’ की है।
नड्डा ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी सहकारी संघवाद के सिद्धांतों को ‘‘बहुत पवित्र’’ मानते हुए उसका पालन करते हैं और लोगों को राहत देने के लिए दलगत भावना को पीछे छोड़ सभी मुख्यमंत्रियों के साथ मिलकर सक्रियता से काम कर रहे हैं लेकिन अप्रत्याशित तरीके से ममता बनर्जी की नीति एवं क्षुद्र राजनीति ने एक बार फिर बंगाल के लोगों को परेशान किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चक्रवात यास के मद्देनजर पश्चिम बंगाल के लोगों के साथ मजबूती से खड़े हैं तो उचित होता कि ममता जी लोगों के कल्याण के लिए अपने अहम को विसर्जित कर देतीं। प्रधानमंत्री की बैठक से उनका नदारद होना संवैधानिक मर्यादाओं और सहकारी संघवाद की हत्या है।’’
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