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गन्ने की बकाया राशि की मांग को लेकर किसान-मजदूर संघर्ष कमेटी ने अमृतसर-जम्मू रेलवे ट्रैक किया जाम

गन्ने की बकाया, नुकसानी फसलों का मुआवजा और फ सलों के पूरे भाव व कर्जा माफी की मांग को लेकर किसान – मजदूर संघर्ष कमेटी द्वारा आज रेलवे ट्रेक जाम किया गया, जिस कारण अमृतसर-जम्मू रेल मार्ग काफी प्रभावित हुआ।

02:39 PM Feb 21, 2020 IST | Shera Rajput

गन्ने की बकाया, नुकसानी फसलों का मुआवजा और फ सलों के पूरे भाव व कर्जा माफी की मांग को लेकर किसान – मजदूर संघर्ष कमेटी द्वारा आज रेलवे ट्रेक जाम किया गया, जिस कारण अमृतसर-जम्मू रेल मार्ग काफी प्रभावित हुआ।

गन्ने की बकाया राशि की मांग को लेकर किसान मजदूर संघर्ष कमेटी ने अमृतसर जम्मू रेलवे ट्रैक किया जाम
लुधियाना-गुरदासपुर : गन्ने की बकाया, नुकसानी फसलों का मुआवजा और फ सलों के पूरे भाव व कर्जा माफी की मांग को लेकर किसान – मजदूर संघर्ष कमेटी  द्वारा आज रेलवे ट्रेक जाम किया गया, जिस कारण अमृतसर-जम्मू रेल मार्ग काफी प्रभावित हुआ। 
किसान मजदूर संगठनों के कार्यकर्ताओं ने जमकर रोष प्रदर्शन किया और प्रदर्शन करते हुए गुरदासपुर के श्री हरगोबिंदपुर रोड के निकट स्थित रेलवे ट्रेक पर बैठ गए और धारीवाल से आने वाली ट्रेन का रास्ता रोक दिया। गन्ना किसानों ने पनियाड शुुगर मिल के सामने गेट बंद कर भी प्रदर्शन किया।
किसान नेताओं ने बताया कि वर्ष 2018-19 से वह गन्ने की बकाया राशि के लिए तड़प रहे हैं। सरकार उनकी मांग को अनसुना कर रही है। बार-बार उन्हें बकाया भुगतान का आश्वासन दिया जा रहा है, लेकिन उनका भुगतान नहीं किया जा रहा। मजबूरन उन्हें अपना काम छोडक़र सडक़ों पर उतरना पड़ रहा है।
स्मरण रहें, किसान अपनी मांग को लेकर डीसी कार्यालय समक्ष दो दिन से धरना दे रहे थे। गत दिवस उनकी इस संबंध में डीसी मोहम्मद इशफाक के साथ बैठक भी हुई। मीटिंग में डीसी ने किसानों की सहमति नहीं जताने के बाद आक्रोश में आए किसानों ने शुक्रवार को रेल रोकने की चेतावनी दी हुई थी। किसानों का कहना है कि आखिर कब तक हमारा शोषण होता रहेगा। हमारी अधिकारिक मांगों को न तो सरकार स्वीकार कर रही है और न ही अधिकारी। गन्ने का बकाया नहीं दिया जा रहा है। इस कारण किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैंं।
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर, बख्शीश सिंह सुलतानी, रणबीर सिंह डुग्गरी व सुच्चा सिंह बलग्गन ने कहा कि चाहे जो मर्जी हो जाए, किसानों का संघर्ष थमने वाला नहीं है। हर बार अधिकारियों द्वारा उनकी मांगों को सरकार तक पहुंचाने का आश्वासन तो दिया जाता है, लेकिन उनकी मांगों को लागू नहीं किया जाता है। इस बार भी उनकी डीसी मोहम्मद इशफाक से गत दिवस शाम चार से छह बजे तक दो घंटे लगातार मांगों पर बातचीत चली, लेकिन डीसी द्वारा उनकी किसी भी मांग को स्वीकार नहीं किया गया।
– सुनीलराय कामरेड
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