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अमृतसर निगम में 100 करोड़ रुपए से अधिक के घोटाले का पर्दाफाश

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07:54 PM May 02, 2018 IST | Desk Team

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अमृतसर : अमृतसर नगर निगम में लेखा परीक्षा दौरान एक सौ करोड़ रूपये से ज्यादा के घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। स्थानिक निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और लेखा परीक्षा आधिकारियों ने आज प्रेसवार्ता में बताया कि अप्रैल 2007 से ले कर 31 मार्च 2017 तक के कार्य काल दौरान अलग -अलग तरीकों से लोगों के पैसो की लूट की गयी है, जिसमें कर्मचारियों का प्राविडेंट फंड, बैंक खातों में हेरफेर, सम्पति कर खजाने में जमा न करवाना, लीत्र पर दी गई सम्पतियों का घपला और विज्ञापन द्वारा की जाने वाली कमाई में बड़ घपले सामने आए हैं।

श्री सिद्धू ने बताया कि सरकार की नीति के अंतर्गत हर एक लेने -देने का दोहरा इंदराज होना त्ररूरी हैं ताकि आमदनी और किए गए खर्च का सही हिसाब रखा जा सके, परन्तु कार्पोशन और नगर सुधार ट्रस्ट ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने बताया कि एक ही इंदराज में आमदन और खर्च का हिसाब रखने की नीति अपना कर लगातार घपला किया जा रहा है। इसी तरह कैशबैक भरी नहीं गई और कई सालों से सम्बन्धित विभाग के प्रमुखों ने कैशबुक्क पर दस्तखत नहीं किये। उन्होंने बताया कि सरकारी नियमों अनुसार एक विभाग के तीन से अधिक बैंक खाते नहीं हो सकते, लेकिन नगर सुधार ट्रस्ट के 71 और अमृतसर निगम के 51 बैंक खाते मिल चुके हैं। उन्होंने बताया कि अभी संभावना है कि और बैंक खाते भी मिलेंगे। श्री सिद्धू ने बताया कि अमृतसर कार्पोशन में कर्मचारियों के भविष्य निधि खातों में बड़ घपलेबात्री का पता प्राथमिक जांच में लगा है, जिसमें जाली नामों पर चैक जारी किये मिले हैं।

उन्होंने बताया कि सम्पति कर में लोगों से पैसा निगम के कर्मचारी लेते रहे हैं, लेकिन आगे वह सरकारी खजाने में जमा नहीं हुए। सम्पति कर की वसूली के लिए छपावाई गई 2535 रसीद बुक्क अभी तक वापस द़फ्तर में जमा नहीं हुई और इन रसीदों का करोड़ रुपया डकार लिया गया है। श्री सिद्धू ने शहर में लगे यूनीपोल सम्बन्धित जानकारी देते हुए कहा कि सरकार की नीति अनुसार शहर में 200 यूनीपोल इश्तहारों के लिए किराये पर लगाए जाने थे, जबकि 217 लगाए गए। इस तरह अधिक यूनीपोल लगा कर लगभग डेढ़ करोड़ का घपला किया गया है। उन्होने कहा कि इन ठेकेदारों की तरफ भी करोड़ रुपए बकाया है। सरकारी जायदाद की बात करते हुए श्री सिद्धू ने बताया कि नगर सुधार ट्रस्ट ने अपनी, जायदादें किराये या लीत्र पर दीं उनकी तरफ 3.48 करोड़ रुपए बकाया पड़ हैं। ज्यादातर जायदादों का कोई इकरारनामा नहीं किया गया और न ही एडवांस पैसे लिए गए हैं। उन्होने बताया कि निगम ने तो अभी तक अपनी जायदादों की सूची ही आडिट टीम को नहीं दी।

श्री सिद्धू ने इस घुटाले का त्रिक्र करते कहा कि यह तो शुरुआत है अभी जैसे -जैसे जांच आगे बढ़गी ओर घुटाले सामने आऐंगे। उन्होंने कहा कि वह यह रिपोर्ट लेकर मुख्यमंत्री के पास जाएंगे और विभागीय आधिकारियों के विरुद्ध खुद कार्यवाही करके दूसरों के विरुद्ध स़ख्त कार्यवाही की माँग करेंगे। उन्होंने कहा कि अमृतसर के बाद पूरे पंजाब की निगमों का थर्ड पार्टी आडिट करवा कर यह घोटाले सामने लाए जाएंगे और किसी को जनता का पैसा खाने नहीं दिया जायेगा।

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