Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

अमृतसर ट्रस्ट घोटाले के मामले में कैप्टन अमरिन्दर सिंह या तो इस्तीफा दें या इसकी जांच CBI के हवाले करें : खैहरा

NULL

01:08 PM Aug 31, 2017 IST | Desk Team

NULL

लुधियाना-फिरोजपुर : विजीलैंस ब्यूरो द्वारा कैप्टन अमरिन्दर सिंह के खिलाफ अमृतसर इम्परूवमैंट ट्रस्ट मामले में पेश की गई रिपोर्ट को मोहाली की स्पैशल कोर्ट के जज जसविन्दर सिंह द्वारा 24 अगस्त को रद्द किए जाने के उपरांत कहा कि अभी इस मामले में निष्पक्ष जांच जरूरी है।

पत्रकारों को संबोधन करते पंजाब विधान सभा में विरोधी पक्ष के नेता सुखपाल सिंह खहरा ने कहा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह के मुख्य मंत्री और गृह मंत्री रहते इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती क्यों जो वह खुद विजीलैंस ब्यूरो के प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह या तो पंजाब के मुख्य मंत्री के तौर पर इस्तीफा दें या इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने।

मोहाली की अदालत की तरफ से इस सम्बन्धित केस को रद्द करते यह कहा गया था कि यह रिपोर्ट अनूमान और अन्दाजे पर अधारित है, दूसरे शब्दों में जज ने साफ तौर पर यह कहा है कि यह भ्रष्टाचार के साथ सम्बन्धित मामला है और इसकी ओर जांच होनी चाहिए। खहरा ने कहा कि इसके उपरांत यह जाहिर हो गया है कि अदालत ने कैप्टन अमरिन्दर सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में उन को शामिल रखा है।

मामले पर हैरानी जाहिर करते खहरा ने कहा कि उस समय की प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाली सरकार ने विधान सभा के समिति की रिपोर्ट के आधार पर उस समय कैप्टन अमरिन्दर सिंह को विधायक के तौर पर छुट्टी कर दी थी और कहा था कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह प्रसिद्ध अमृतसर ट्रस्ट केस के लिए जिम्मेदार हैं। खहरा ने कहा कि कुछ सालों के बाद उसी बादल सरकार ने 4 अक्तूबर 2016 को इस मामले को बंद करने सम्बन्धित रिपोर्ट पेश करके कैप्टन अमरिन्दर सिंह को कालीन चिट्ट दे दी थी। उन्होंने कहा कि इस से साफ जाहिर होता है कि उस समय बादल और अब कैप्टन अमरिन्दर सिंह न्याय प्रणाली का दुरुपयोग करते हुए एक दूसरे के खिलाफ पहले केस दर्ज करते हैं और बाद में पर्दे के पीछे इसका खात्मा कर लेते हैं।

विरोधी पक्ष के नेता ने कहा कि पहले एक दूसरे के खिलाफ केस दर्ज करना और बाद में सुलह करने का यह खेल 2002 से चल रहा है। जब कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने बादल परिवार के खिलाफ आमदन से अधिक जायदाद का केस दर्ज किया था। 2007 में सरकार बनने के बाद बादल ने विजीलैंस ब्यूरो का दुरुपयोग करते हुए इस केस को बंद करवा कर 2008 में बरी हो गए थे जिसको कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कभी भी किसी उच्च अदालत में लेकर जाना उचित नहीं समझा। उन्होंने कहा कि इससे साफ होता है कि दोनों परिवारों में गहरे संबंध हैं।

खहरा ने कहा कि इसके बाद 2008 में बादलों ने कैप्टन अमरिन्दर सिंह के खिलाफ अमृतसर इम्परूवमैंट ट्रस्ट और लुधियाना सिटी सैंटर घोटाले के मामले में लाखों रुपए के हेरा-फेरी और रिश्वत के मामले दर्ज किये थे। इसके बाद कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा बादलों के साथ सांठ-गांठ करने उपरांत बादलों ने इन मामलों को ठंडे बस्ते में डाल दिया, जब कि पहले उन्होंने ही कैप्टन के खिलाफ भ्रष्टाचार के बड़े इल्जाम लगा कर केस दर्ज किया था। खहरा ने कहा कि उस समय सरकारी पक्ष ने लुधियाना केस में 106 पन्नों की चार्जसीट और 10 हजार पन्नों के सबूत पेश किए थे परंतु धनाढ्य परिवारों की आपसी सहमति के बाद बादलों ने 2016 में पिछली सरकार के कार्य काल खत्म होने से पहले इस केस को बंद करने सम्बन्धित रिपोर्ट पेश कर दी थी।

विरोधी पक्ष के नेता ने कहा कि इस केस में विजीलैंस ब्यूरो और सरकारी वकीलों के पक्ष में समय समय पर आए बदलावों से यह सिद्ध होता है कि इस केस को सही तरीके से पेश नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह के मुख्य मंत्री रहते अमृतसर इम्परूवमैंट ट्रस्ट और लुधियाना सिटी सैंटर घोटाले की निष्पक्ष जांच होना असंभव है। उन्होंने कहा कि इन मामलों में ताकत का दुरुपयोग करके कालिन चिट्ट लेना देश के कानूनन ढांचे और न्याय पालिका के साथ धोखा है। खहरा ने मांग की है कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह या तो खुद इस मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्य मंत्री के तौर पर इस्तीफा दें या इन मामलों की जांच सीबीआई के हवाले कर सूबे से बाहर इस केस की सुनवाई करवाएं।

– सुनीलराय कामरेड

Advertisement
Advertisement
Next Article