आनंद महिंद्रा क्यों इस दादी के बिजनेस में पैसा लगाना चाहते हैं,जानिए पूरा माजरा
बिजनेस की दुनिया का मशहूर चेहरा आनंद महिंद्रा अपने ट्वीट्स के लिए अक्सर सुर्खियां बटोरते रहते हैं। अब हाल ही में उन्होंने तमिलनाडु की एक बुजुर्ग महिला की कहानी शेयर की है।
10:06 AM Sep 11, 2019 IST | Desk Team
बिजनेस की दुनिया का मशहूर चेहरा आनंद महिंद्रा अपने ट्वीट्स के लिए अक्सर सुर्खियां बटोरते रहते हैं। अब हाल ही में उन्होंने तमिलनाडु की एक बुजुर्ग महिला की कहानी शेयर की है। इतना ही नहीं उन्होंने कोयंबटूर की रहने वाली 80 साल की कमलाथल के बिजनेस में निवेश करने की भी इच्छा जताई है।
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ये बुजुर्ग महिला लोगों को महज 1 रुपए में इडली खिलाती हैं। आनंद महिंद्रा ने इस बुजुर्ग महिला की एक वीडियो शेयर करते हुए इनकी तारीफ की और कहा कि वो दादी के बिजनेस में निवेश करना चाहते हैं और उन्हें एक गैस चूल्हा देना चाहते हैं।
क्या कहा आनंद महिंद्रा ने…
आनंद महिंद्रा अपने ट्वीट में लिखते हैं कुछ कहानियां बेहद सामान्य होती है लेकिन यदि आप भी कमलाथल जैसा कुछ अगल काम करते हैं तो ऐसी चीज दुनिया को हैरान करेगा। मुझे ऐसा लगता है कि वह अब भी लकड़ी के चल्हे का इस्तेमाल करती हैं। यदि कोई उन्हें जनता है तो मुझे उन्हें एक एलपीजी गैस चूल्हा देना चाहूंगा और उनके बिजनेस में निवेश करने में मुझे अच्छा लगेगा।
कौन है ये दादी…
तामिलनाडु के कोयंबटूर शहर से तकरीबन 20 किलोमीटर दूर पेरुर के पास एक Vadivelampalayam गांव है,जहां पर कमलाथल रहती हैं। उन्हें सभी लोग दादी कहते हैं।
ये दादी आज भी मात्र एक रुपए में सांभर और मसालेदार चटनी के साथ इडली बेच रही हैं। सूत्रों की मानें तो ऐसा बताया गया है कि कमलाथल ने करीब 30 साल पहले इडली बेचनी शुरू करी थी। दादी ये सब कुछ मुनाफे के लिए नहीं बल्कि लोगों का पेट भर सके इसीलिए करती है।
80 साल की उम्र में दादी सारा काम अकेले करती हैं। ये रोजाना करीब 1000 इडली खुद बनाती हैं। दादी अपने हाथ से बनाई हुई इडली को एक रुपए में इसलिए बेचती हैं।
ताकि दिहाड़ी मजदूर और उनका परिवार उसे खरीद सके। जबकि आस-पास के गांव में एक इडली 6 रुपए की और डोसा 20 रुपए का मिलता है।
पहले दादी इडली 50 पैसे में ही देती थी। दादी के हाथ की इडली खाने लोग दूर-दूर से आते हैं कई सारे लोगों ने इतनी महंगाई को देखते हुए कीमत बढ़ाने के लिए कहा लेकिन दादी ने इस बात से इंकार कर दिया। क्योंकि ग्राहकों में ज्यादातर लोग गरीब थे।
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