'Saiyaara' में Aneet Padda ने अल्जाइमर मरीज की भूमिका निभाई, जानिए क्या है ये बीमारी
Alzheimer: 18 जुलाई को रिलीज हुई फिल्म 'सैयारा' में एक्ट्रेस अनित पड्डा और एक्टर अहान पांडे की गजब केमिस्ट्री ने दर्शकों को खूब आकर्षित किया। इस फिल्म में एक्ट्रेस ने वाणी बत्रा का रोल निभाया, जो अल्जाइमर (Alzheimer) पेशेंट होती है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे वाणी की याददाश्त धीरे-धीरे उसका साथ छोड़ने लगती है। हर तरफ इस बीमारी की चर्चा हो रही है, तो चलिए आपको बताते है, ये बीमारी क्या है?, कैसे होती है ? और क्यों होती है ?
क्या है अल्जाइमर ?
अल्जाइमर (Alzheimer) दिमाग से जुड़ी हुई बीमारी है, जिसमें इंसान धीरे-धीरे अपनी याददाश्त और सोचने-समझने की क्षमता खोने लगता है। ये बीमारी आमतौर पर 65 वर्ष या उससे ज़्यादा उम्र के लोगों को होती है, लेकिन कुछ कम उम्र के लोग भी इस बीमारी से ग्रस्त हो जाते हैं। यह एक न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी है, जो आपके मस्तिष्क को प्रभावित करता है । यह समय के साथ आपके मस्तिष्क की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर देता है।
इस बीमारी में क्या होता है ?
इस (Alzheimer) बीमारी से ग्रस्त लोगों के ब्रेन सेल्स धीरे-धीरे मरने लगते हैं और इसकी वजह से दिमाग ठीक से काम नहीं कर पाता। इसमें इंसान की हाल की घटनाओं या पहले हुई घटनाओं को याद करने की क्षमता प्रभावित हो जाती है। इस बीमारी में मरीज को नया कुछ करने, समझने और डेली रूटीन में काम करने में दिक्कत आती है। ये लक्षण समय के साथ इस कदर बढ़ जाते हैं कि लोग काम नहीं कर पाते हैं, जिससे वे दूसरों पर पूरी तरह डिपेंड हो जाते हैं। ध्यान केन्द्रित करने में कठिनाई होने लगती है।
ये बीमारी क्यों होती है ?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक ये बीमारी दिमाग में 2 तरह के प्रोटीन अमाइलॉइड और टाउ के जमने से हो सकती है। अमाइलॉइड प्रोटीन दिमाग के सेल्स में चिपक जाते हैं और टाउ प्रोटीन उलझकर टैंगल्स बना लेता है जिससे दिमाग की कोशिकाओं के बीच कम्युनिकेशन रुकता है और धीरे-धीरे सेल्स ख़त्म होने लगते हैं।
किन लोगों को होती है अल्जाइमर की बीमारी ?
यह बीमारी आमतौर पर 65 साल से अधिक उम्र के लोगों, दिमागी चोट झेलने वाले लोगो, धूम्रपान करने वाले, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज या मोटापा से जूझ रहे लोगों को इसका खतरा ज्यादा होता है। अल्जाइमर की बीमारी जेनेटिक भी हो सकती है। अगर माता-पिता या भाई-बहन को अल्ज़ाइमर है, तो आपको भी इस रोग का खतरा 10% से 30% ज़्यादा हो जाता है।
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