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देश रक्षा की खातिर एक और पंजाबी सपूत ने दिया बलिदान

देश के चारों तरफ बनी सरहदों की रक्षा की खातिर कुर्बानियों का सिलसिला जारी है। पड़ोसी मुलक पाकिस्तान के उकसाने पर दक्षिण कश्मीर के पुलवामा स्थित गुस्सु में हुई मुठभेड़ के दौरान लश्कर आतंकी मारते हुए

12:01 AM Jul 09, 2020 IST | Shera Rajput

देश के चारों तरफ बनी सरहदों की रक्षा की खातिर कुर्बानियों का सिलसिला जारी है। पड़ोसी मुलक पाकिस्तान के उकसाने पर दक्षिण कश्मीर के पुलवामा स्थित गुस्सु में हुई मुठभेड़ के दौरान लश्कर आतंकी मारते हुए

देश रक्षा की खातिर एक और पंजाबी सपूत ने दिया बलिदान
लुधियाना-समाना : देश के चारों तरफ बनी सरहदों की रक्षा की खातिर कुर्बानियों का सिलसिला जारी है। पड़ोसी मुलक पाकिस्तान के उकसाने पर दक्षिण कश्मीर के पुलवामा स्थित गुस्सु में हुई मुठभेड़ के दौरान लश्कर आतंकी मारते हुए समाना के गांव दोदड़ा के 29 वर्षीय जवान नायक राजविंद्र सिंह ने शहादत का जाम पिया है। पता चला है कि आतंकियों का एक समूह स्थानीय संपर्क सूत्रों से मिलने आया था और पुख्ता जानकारी मिलते ही तलाशी अभियान के तहत आतंकियों से लोहा लेते हुए फायरिंग में राजविंद्र सिंह शहीद हो गया।  
देर शाम को राजविंदर सिंह के बलिदान की खबर गांव पहुंची तो शोक की लहर दौड़ गई। उधर, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ऐलान किया है कि शहीद राजविंदर के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी व 50 लाख रुपये आर्थिक मदद दी जाएगी।
आसपास के दर्जनों गांवों के लोग और तमाम रिश्तेदार शोकविहुल परिवार से मिलने पहुंचे। इस दौरान गांव के किसी भी घर में चूल्हा तक नही जला। बताया जाता है कि राजविंदर के परिवार के पास महज डेढ़ एकड़ जमीन है। जबकि उसके पिता अवतार सिंह गांव के ही गुरूद्वारा साहिब में ग्रंथी है और मां महिंद्र कौर घरेलू महिला है।  पिता ने बताया कि जमीन कम होने के कारण गुजारा बहुत मुश्किल से चलता है। सेना में भर्ती होने के बाद राजविंदर सिंह अकसर अपने पिता से कहता था कि बापू तू चिंता न कर, मैं मेहनत दी कमाई करके गांव में ओर जमीन खरीदूंगा।  लेकिन, उनको क्या पता था कि उसका यह सपना कभी पूरा नहीं हो पाएगा।
बलिदानी राजविंदर का एक और छोटा भाई भी है जो खेतीबाड़ी करता हैं। राजविंदर की शादी 2013 में हरियाणा के गांव करा साहिब की गुरप्रीत कौर से हुई थी। बीती 27 जनवरी को ही छुट्टी पर अपने गांव आए थे। एक महीना वह घर पर ही रहे थे। जबकि 17 जुलाई को उसने गांव आना था। 
पिता ने कहा कि राजविंदर शुरू से ही देश के लिए वह कुछ कर जाना चाहता था, उसी कारण घातक प्लाटून यूनिट मेंं ड्यूटी की। उसके बाद अपनी रेजीमेंट को छोड़ जेएंडके में काउंटर टेररिस्ट ऑपरेशन में पोस्टिंग करवाई। उनका पुत्र देश के लिए बलिदान करके गया है, जिस पर उन्हें गर्व हैं। जिस बहादुरी से उसने आतंकवादियों का मुकाबला किया, उससे उसने गांव समेत पंजाब का नाम रोशन कर दिया।
उन्होंने कहा कि उनका बेटा 30 साल का हो गया था लेकिन उसका कोई बच्चा नहीं था। वह जब भी छुट्टी आता तो उनके साथ ही सोता था। शहीद की मां महिंदर कौर और बड़े भाई बलवंत सिंह ने कहा कि उनको तो इस बात पर यकीन नहीं आ रहा कि उनका राजविंदर सिंह बलिदान हो गया है।
– सुनीलराय कामरेड
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