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भारतीय सेना को मिला Apache Helicopters का पहला बैच, US के साथ Defence Partnership में ऐतिहासिक मोड़

04:41 PM Jul 23, 2025 IST | Aishwarya Raj
भारतीय सेना को मिला Apache Helicopters का पहला बैच, US के साथ Defence Partnership में ऐतिहासिक मोड़

भारत और अमेरिका के बीच रक्षा साझेदारी (Defence Partnership) में एक ऐतिहासिक अध्याय जुड़ गया है। भारतीय सेना को अमेरिका से मिले Apache Helicopters का पहला बैच आधिकारिक रूप से सौंप दिया गया है। यह पहला मौका है जब भारतीय थलसेना को अत्याधुनिक अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर मिल रहे हैं, जो पहले वायुसेना के पास ही सीमित थे।

राजस्थान के जोधपुर में इन्हें तैनात किया जाएगा, जहां से यह हेलीकॉप्टर पश्चिमी सीमा पर किसी भी खतरे का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार रहेंगे।

Apache Helicopters: क्यों हैं इतने खास?

Apache AH-64E हेलीकॉप्टर दुनिया के सबसे खतरनाक और एडवांस अटैक हेलीकॉप्टरों में गिने जाते हैं।

इनकी खासियतें हैं:

गति: 365 किलोमीटर प्रति घंटे तक उड़ने की क्षमता

शस्त्र क्षमता: हेलफायर मिसाइल, 70mm रॉकेट और 30mm चेन गन से लैस

डबल इंजन: अधिकतम सुरक्षा और विश्वसनीयता के लिए

नाईट विजन और AI-समर्थित टारगेटिंग सिस्टम: रात में भी सटीक हमला करने में सक्षम

डेटा नेटवर्किंग: अन्य सेना इकाइयों से रीयल-टाइम इंटेलिजेंस साझा करने की क्षमता

इन खूबियों के कारण ये हेलीकॉप्टर सीमावर्ती इलाकों में दुश्मन के बंकर, टैंकों और हथियार अड्डों को नष्ट करने के लिए सबसे उपयुक्त हैं।

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Defence Partnership: भारत-अमेरिका रिश्तों में नई ऊर्जा

भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग पिछले एक दशक में लगातार मजबूत हुआ है। यह Apache Helicopters की डिलीवरी उसी सहयोग का परिणाम है। भारत पहले ही वायुसेना के लिए 22 Apache हेलीकॉप्टर खरीद चुका है, और अब सेना के लिए 6 और Apache हेलीकॉप्टर खरीदे गए हैं।

यह खरीद अमेरिकी कंपनी बोइंग के साथ एक बड़े रक्षा सौदे का हिस्सा है, जिसमें लॉन्ग-टर्म सपोर्ट, ट्रेनिंग, और स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति शामिल है। इस सौदे से भारत को न केवल एक आधुनिक हथियार मिला है, बल्कि अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी को भी मजबूती मिली है।

भारतीय सेना के लिए गेम-चेंजर क्यों है Apache?

थलसेना के लिए Apache Helicopters मिलना एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है। इससे पहले सेना के पास हल्के हेलीकॉप्टर थे जो निगरानी और सामान्य समर्थन कार्यों के लिए इस्तेमाल होते थे।

अब सेना को एक ऐसा प्लेटफॉर्म मिला है जो आक्रामक ऑपरेशन, सीमा सुरक्षा, और हाई-इंटेंसिटी युद्ध अभियानों के लिए डिजाइन किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये हेलीकॉप्टर पाकिस्तान और चीन के साथ लगी सीमाओं पर भारत की आक्रामक क्षमताओं को और धार देंगे।

जोधपुर में तैनाती: रणनीतिक महत्व

Apache Helicopters: राजस्थान के जोधपुर में Apache Helicopters की तैनाती को बहुत रणनीतिक दृष्टिकोण से देखा जा रहा है। यह इलाका पाकिस्तान से सटी हुई सीमा के पास है और कई बार तनाव का केंद्र रहा है।

यहां से Apache हेलीकॉप्टर सीमावर्ती क्षेत्रों में निगरानी और त्वरित आक्रामक कार्रवाई के लिए हमेशा तैयार रहेंगे। साथ ही, राजस्थान की रेतीली और खुले इलाके इन हेलीकॉप्टरों की क्षमताओं को पूरी तरह से उपयोग करने के लिए उपयुक्त हैं।

Make in India की दिशा में आगे बढ़ता भारत

हालांकि Apache Helicopters का निर्माण अमेरिका में हुआ है, लेकिन इस सौदे से भारत की रक्षा निर्माण क्षमताओं को भी प्रेरणा मिल रही है। भविष्य में ऐसे कई रक्षा उपकरण भारत में ही बनाए जाने की संभावना है, जिसमें निजी कंपनियां और DRDO जैसी एजेंसियां शामिल होंगी। भारत का लक्ष्य है कि 2047 तक वह न केवल दुनिया का सबसे बड़ा रक्षा खरीददार हो, बल्कि एक आत्मनिर्भर निर्माता भी बने।

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भारतीय वायुसेना अपने मिग-21 Fighter Aircraft को सदैव के लिए अलविदा कहने जा रही है। इसी वर्ष 19 सितंबर को मिग-21 लड़ाकू विमान (Fighter Aircraft ) भारतीय वायुसेना के बेड़े से बाहर हो जाएंगे। मिग-21 लड़ाकू विमान भारतीय वायु सेना के सबसे पुराने और ऐतिहासिक लड़ाकू विमानों में शुमार हैं।

रक्षा अधिकारियों के मुताबिक चंडीगढ़ एयरबेस पर 23 स्क्वाड्रन (पैंथर्स) एक विशेष कार्यक्रम के दौरान इन विमान को विदाई देगा। गौरतलब है कि समय के साथ पुराने होते और बार-बार हादसों का शिकार होने के कारण मिग-21 लड़ाकू विमानों को ‘उड़ता ताबूत’ कहा जाने लगा था।

मिग-21 लगातार हुआ हादसों का शिकार... आगे पढ़ें

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