बेअदबी पर माफी व विस चुनाव में हार पर सुखबीर बादल को इस्तीफे की बात कही थी : सुखदेव सिंह ढींडसा
शिरोमणि अकाली दल के 99वें स्थापना दिवस के मौके पर बादल परिवार से असंतुष्ट टकसाली नेताओं द्वारा उनकी हमविचार जत्थेबंदियों द्वार करवाए गए सम्मेलन के दौरान एक सुर में एक मजबूत पार्टी बनाने का ऐलान करने के साथ-साथ बादल परिवार को शिरोमणि कमेटी और अकाली दल से बाहर करने की शपथ ली।
01:55 PM Dec 15, 2019 IST | Shera Rajput
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लुधियाना- अमृतसर : शिरोमणि अकाली दल के 99वें स्थापना दिवस के मौके पर बादल परिवार से असंतुष्ट टकसाली नेताओं द्वारा उनकी हमविचार जत्थेबंदियों द्वार करवाए गए सम्मेलन के दौरान एक सुर में एक मजबूत पार्टी बनाने का ऐलान करने के साथ-साथ बादल परिवार को शिरोमणि कमेटी और अकाली दल से बाहर करने की शपथ ली। सम्मेलन के उपरंात समूह अकाली और पंथक आगु श्री अकाल तख्त साहिब में अरदास के लिए रवाना हुए।
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मजीठा बाइपास स्थित श्री हरिकृष्ण पब्लिक स्कूल में कांफ्रेंस की, जिसमें पंजाब भर के दिगगज टकसाली आगु इकटठे हुए। इस सम्मेलन की अध्यक्षता किसी वक्त प्रकाश सिंह बादल के दायना हाथ समझे जाने वाले राज्य सभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींढसा ने की। खचाखच भरे हाल में उपस्थित श्रोताओं ने पंथक आगुओं के विचारों को बड़ी गंभीरता से सुना और जयकारों की गूंज में प्रस्तावों को मंजूरी दी।
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इस समागम में अलग-अलग प्रवक्ताओं ने जहां बादल के सोशल बाइकाट का आहवान किया वही शिरोमणि अकाली दल का एक विधान, एक विधान और एक दल बनाने पर जोर दिया गया। समागम में मुख्य मेहमान के तौर पर शामिल हुए बादल दल के सीनियर नेता सुखदेव सिंह ढींडसा के अलावा बलवंत सिंह रामूवालिया, परमजीत सिंह सरना, रवि इंद्र सिंह, सुखदेव सिंह भौर, मनजीत सिंह जीके, मनजीत सिंह भोमा व करनैल सिंह पीरमोहममद, बीर दविंदर सिंह आदि पहुंचे हुए थे।
पंथक नेताओं की कांफ्रेंस में कोई लीडरशिप स्टेज पर नहीं बैठी तथा स्टेज पर शहीदों के परिवारों के वारिस बैठे। नेता खुद संगत में बैठे। वक्ताओं ने आज की कांफ्रेंस में बड़ा फैसला करने की बात कही। इसमें चर्चाओं के विपरीत परमिंदर सिंह ढींडसा कहीं नहीं दिखे तथा यह केवल चर्चाएं ही रही। अपने संबोधन में अकाली दल के सीनियर नेता एवं राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींडसा ने कहा कि यहां जो प्रोग्राम तैयार होगा, उस पर तब तक पहरा देंगे जब तक यह पूरा नहीं होता।
सभी अकाली दल के घर बैठे या दूसरे दल बना चुके नेताओं को भी साथ लेकर कमेटी तालमेल करेगी। अलग पार्टी नहीं बल्कि अकाली दल पर ही हमारा क्लेम होगा। इसी अकाली दल व एसजीपीसी पर बादल परिवार से कब्जा लेंगे। एसजीपीसी जिस काम के लिए बनी थी, लेकिन जो काम कर रही है, उससे सिर नीचा होता है। इसी प्रकार अकाली दल को भी निजी बना लिया है। आज तक हुआ है कि जत्थेदार अकाल तखत अपनी जगह छोडक़र किसी की कोठी जाकर फैसला करे। मेरा कोई निजी स्वार्थ नहीं है तथा ऐलान करता हूं कि कोई एसजीपीसी का चुनाव नहीं लडूंगा। जोकि एसजीपीसी लड़ेगा व राजनीतिक नहीं होगा। ऐसे फैसले लेने होंगे।
पंजाब में कांग्रेस सरकार से उनकी मिलीभगत है। पूरे देश में कांग्रेस के खिलाफ रौष है लेकिन पंजाब में कुछ नहीं है। अकाली दल का चुनाव लोकतांत्रिक ढंग से नहीं होता। इसमें मनमर्जी से होती है। उन्होंने कहा कि जब बुरी तरह से हारे तो मैंने कहा था कि अकाली दल के प्रधान के तौर पर सुखबीर सिंह बादल को इस्तीफा दे देना चाहिए। जबकि नैतिक जिममेदारी बनती थी। जो इनकी आलोचना करे, उसे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। ब्रह्मपुरा, रवि इंद्र जैसे कई उदाहरण है। मैंने खुद ओहदे छोड़े। ऐसा अकाली दल नहीं चाहिए। पुराने समय का ही हम अकाली दल खड़ा करेंगे।
बेअदबी पर कहा कि हमने इस बात के लिए सीएम रहते हुए प्रकाश सिंह बादल से कहा था कि इस बात के लिए श्री अकाल तखत साहिब पर जाकर माफी मांगने को कहा था लेकिन इसके लिए राजी नहीं हुए। इसके लिए बाकायदा तैयार हो गये लेकिन बाद में पीछे हट गए। उन्होंने सभी से अपील की कि जल्दी से जल्दी हमें सुझाव भेंजे तथा हमे साथ दो।
ढींडसा ने कहा कि हम जिलों में जाकर मीटिंगे करेंगे तथा शहीद व कुर्बानी वाले परिवारों को सममानित किया जाएगा। आज से पहले कई बार विकल्प बने लेकिन फेल हो गए। लेकिन हम विश्वास दिलाते है कि हम लोगों में विश्वास पैदा करेंगे तथा एसजीपीसी चुनाव से पहले विश्वास बहाली करेंगे कि हमारा कोई निजी हित नहीं है तथा सिख कौम को दोबारा कायम करेंगे। ढींडसा ने कहा कि आज पंजाब में लोगों को कुछ नहीं नजर आ रहा है। कैप्टन सरकार के खिलाफ भी हमारा एजेंडा रहेेंगा। अकाली दल टकसाली के प्रधान रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने कहा कि अकाली दल की नींव शहीदों के खून से रखी गई है। मोर्चे इसका विशाल इतिहास है। आज महंतों से आजाद करवानी वाली एसजीपीसी का बुरा हाल है तथा यहां गोलक लूटने में लगी है। श्री अकाल तखत साहिब का भारी रूतबा इन्होंने खत्म किया है।
सिख कौम के दुश्मन राम रहीम को माफी दी। हमने कोर कमेटी में इस बात का विरोध किया । हमने सुखबीर सिंह बादल के इस्तीफे के लिए कहा था तथा न सुनने पर ही टकसाली अकाली दल की स्थापना की। पहले अकेले थे आज हमखयाल ग्रुप के लीडर भी हमारे साथ आ डटे है। लेकिन मेरा कहना है कि रास्ता मुश्किल है तथा बातों से नहीं बल्कि निजी मुफाद छोड़ कर कुर्बानियां करने वालों की राह पर चलना होगा। इससे ही हमें अपने निश्चय में सफलता मिलेगी। इसके लिए यहां बैठा हर कोई घर-घर गांव गांव जाकर बादलों के कर्मों के बारे में बताये तथा बदलाव जरूरी है। आज का दिन इतिहासिक है। आज सारी कौम की डयूटी है कि इस झंडे का मिलकर उठाये।
विधानसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर बीर दविंदर सिंह ने कहा कि धर्म व सियासत इक_ी नहीं है। उन्होंने कहा कि बेहद दुख की बात है कि प्रकाश सिंह बादल व सुखबीर सिंह बादल श्री अकाल तखत साहिब के जत्थेदार को अपने घर तलब करवाता है और अपने मनमर्जी के हुक्म नामे जारी करवाते है। इसका उदाहरण सिरसा वाले को माफी, सिखों पर गोली, श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी है।
सुखदेव सिंह भौर ने कहा कि यह कौम की लड़ाई है तथा इसे निजी हितों की बजाये कुर्बानियोंं के रास्ते पर चलना है तथा श्री अकाल तखत साहिब व एसजीपीसी के अलावा अकाली दल वापस लेना है। डीएसजीपीसी के पूर्व प्रधान परमजीत सिंह सरना ने कहा कि हमें बादलों से अपनी इन संस्थाओं को वापस लेने के लिए जिसका भी सहयोग लेना पड़े, हम लेंगे। इन महंतों जैसों से गुरूद्वारों को आजाद करवाना है। मनजीत सिंह जीके ने कहा कि जहां इनकी फोटो लग गई, उनका ग्राफ गिराना जरूर है। आज यह लोग गृह मंत्रालय से कह रहे कि एसजीपीसी का चुनाव न करवाया जाए। अकाली दल व एसजीपीसी की स्थापना भारी कुर्बानियां के बाद हुई है। लेकिन आज कौम की बजाये अपने निजी हितों की बात ही की जा रही है तथा सीनियर लीडरशिप को छोडक़र अपने ही परिवार के मैंबरों को मंत्री पद दिये जा रहे है।
इससे ही सिख कौम का नुकसान हुआ है। अकाली दल 1929 के प्रधान रवि इंद्र सिंह ने कहा कि बादल की कथनी व करनी में अंतर है तथा कहते है कि वर्कर पार्टी का वफादार होना चाहिए। लेकिन इनका अपना इतिहास हमेशा भ्भीतरीघात का रहा है तथा अपने निजी स्वार्थों के चलते सिख कौम का नुकसान किया। जब भी प्रकाश सिंह बादल सीएम रहे, तब तब सिख कौम का नुकसान हुआ है। बरगाड़ी ने हमें जगाया है। आज समय है कि निजी मुफ जद छोडक़र काम करें तथा बादलों से आजाद करवाना है। इसके लिए पंजाब व बाहर राज्यों के सिखों व एनआरआई से सहयोग लेंगे। बादल के सीएम पद पर रहते हुए सिखी आबादी को लेकर एक व्हाइट पेपर निकाला जाना चाहिए ताकि पता चले कि इनके 5 बार सीएम रहते सिखों की आबादी कम हुई या बढ़ी है।
आज इस स्टेज से बादल व मजीठा परिवार से रोटी-बेटी का रिश्ता खत्म करें क्योंकि यह श्री गुरू गं्रथ साहिब की बेअदबी के दोषी है। यही इनकी कड़ी सजा है। मंच संचालन कर रहे सेवा सिंह सेखवां ने कहा कि एक परिवार ने जिस प्रकार से मर्यादा को तहस नहस किया है। हम उसे बहाल करने में लगे है। इनके खिलाफ तुरंत एक तालमेल कमेटी गठन कर दिया जाये तथा एक प्रधान एक विधान व एक निशान की स्थापना की जाये।
– सुनीलराय कामरेड

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