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1991 में आई.ए.एस अधिकारी के बेटे का अपहरण मामले में सरकार द्वारा आरोपियों की जमानतें खारिज करने के लिए अपील

1991 में चर्चित आई.ए.एस अधिकारी के बेटे बलवंत सिंह मुलतानी को अपहरण करने के मामले में नामजद उस वक्त के सब इंस्पेक्टर जागीर सिंह और अनोख सिंह को मिली जमानतों के मामले में सरकार द्वारा उनकी जमानतें खारिज करने के लिए अपील दायर की गई है।

10:49 PM Jul 17, 2020 IST | Shera Rajput

1991 में चर्चित आई.ए.एस अधिकारी के बेटे बलवंत सिंह मुलतानी को अपहरण करने के मामले में नामजद उस वक्त के सब इंस्पेक्टर जागीर सिंह और अनोख सिंह को मिली जमानतों के मामले में सरकार द्वारा उनकी जमानतें खारिज करने के लिए अपील दायर की गई है।

लुधियाना-एस.ए.एस नगर :  1991 में चर्चित आई.ए.एस अधिकारी के बेटे बलवंत सिंह मुलतानी  को अपहरण करने के मामले में नामजद उस वक्त के सब इंस्पेक्टर जागीर सिंह और अनोख सिंह को मिली जमानतों के मामले में सरकार द्वारा उनकी जमानतें खारिज करने के लिए अपील दायर की गई है।
इस अपील पर दोनों आरोपियों को 21 जुलाई के लिए नोटिस जारी हुआ है और इसी दिन जागीर सिंह और अनोखा सिंह की धारा 302 में अग्रीम जमानत की दायर अपील का निपटारा किया जाएंगा। ये दोनों अपीले जिला सेशन जज की अदालत में अगली सुनवाई के लिए भेज दी गई है। लगभग 30 साल पुराने पूर्व आईएएस अधिकारी के बेटे बलवंत सिंह मुलतानी को अपहरण करने के मामले में पूर्व डीजीपी सुमेद सैनी को धारा 302 में अस्थाई जमानत देने के मामले में जिला सेशन जज रजनीश गर्ग की अदालत में सुनवाई चल रही है। 
मुल्तानी अपहरण मामले में पंजाब पुलिस ने पूर्व पुलिस महानिदेशक सुमेध सिंह सैनी की गिरफ्तारी के प्रयास तेज कर दिए हैं। इस मामले में सैनी को मोहाली अदालत से मिली अग्रिम जमानत रद करवाने के लिए पंंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में दायर याचिका में पंजाब सरकार ने कहा है कि मोहाली अदालत ने इस मामले में अग्रिम जमानत मंजूर करके पुलिस विभाग में उच्चतम स्तर पर बैठे अधिकारियों के खिलाफ निष्पक्ष जांच की प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया है, जबकि इन अधिकारियों पर अपनी हिरासत में बंद आरोपियों के खिलाफ जघन्य और गंभीर अपराध करने के आरोप हैं।
1991 में बलवंत सिंह मुल्तानी के अपहरण के मामले में मोहाली पुलिस द्वारा मई, 2020 में दर्ज की गई एफआइआर में सैनी को दी गई अग्रिम जमानत रद करवाने के लिए पंजाब सरकार ने 26 बिंदुओं को आधार बनाया है।
याचिका के अनुसार, आरोपित अधिकारी द्वारा किए गए अपराध की गंभीरता और जघन्यता इस बात से और बढ़ जाती है कि आरोपित अधिकारी ने पुलिस रिकॉर्ड में हेर-फेर कर संबंधित घटना को पुलिस एंकाउंटर बनाने का भी प्रयास किया। पुलिस ने पीड़ित के पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश करने और उसका पुलिस एंकाउंटर दिखाया, जबकि साक्ष्यों के अनुसार उसे पूर्व-निर्धारित तरीके से पुलिस हिरासत में ही मार दिया गया था।
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की एडवोकेट गुरशरण कौर मान का कहना है कि उन्होंने 13 दिसंबर, 1991 की सुबह सेक्टर 17 के थाने में स्वयं बलवंत सिंह मुल्तानी को देखा था जब वह पुलिस टॉर्चर के बाद इतनी बुरी हालत में था कि दो कदम भी नहीं चल पा रहा था। ऐसे में उसके फरार होने का सवाल ही नहीं उठता।
– सुनीलराय कामरेड
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