आर्चर शीतला देवी को मिला महिंद्रा कंपनी की लग्जरी कार, शीतल देवी का संघर्ष और प्रेरणा की कहानी
आर्चर शीतला देवी को महिंद्रा की लग्जरी कार, संघर्ष की कहानी बनी प्रेरणा
महिंद्रा कंपनी की कार में बैठीं भारतीय पैरालंपिक तीरंदाज शीतल देवी ने न केवल खुद को बल्कि पूरे देश को गर्व महसूस कराया। उनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष ने उन्हें दुनिया भर में पहचान दिलाई है। शीतल देवी, भारत की सबसे कम उम्र की पैरालंपिक मेडल विनर, जिनका जन्म बिना हाथों के हुआ था, जेनेटिक डिसऑर्डर फोकोमेलिया के कारण। लेकिन उनकी कमजोरी उनकी ताकत नहीं बनी। 17 साल की उम्र में ही उन्होंने बीते साल आयोजित पैरालिंपिक में मिक्स्ड टीम कंपाउंड इवेंट में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा। इसके बाद उनकी उपलब्धियों का सिलसिला जारी रहा। शीतल देवी ने एशियाई पैरा गेम्स में दो गोल्ड और एक सिल्वर, विश्व पैरा तीरंदाजी चैम्पियनशिप में एक सिल्वर, और एशियाई पैरा तीरंदाजी चैंपियनशिप में एक गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीतकर पूरी दुनिया को अपनी क्षमता का लोहा मनवाया।
महिंद्रा कंपनी और शीतल देवी
महिंद्रा कंपनी के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने शीतल देवी को स्कॉर्पियो कार में देखा और इसे अपने लिए गर्व का पल बताया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इस बारे में लिखा, “शीतल देवी को स्कॉर्पियो में देखकर मुझे गर्व महसूस हो रहा है। वह हम सबके लिए प्रेरणा हैं और उन्हें स्कॉर्पियो में देखकर अच्छा लग रहा है। यह गाड़ी उनके लिए बिल्कुल सटीक है क्योंकि वह नई बुलंदियों को छूने के अपने सफर पर हैं।”
आनंद महिंद्रा ने कहा कि, “मैं शीतल देवी की काबिलियत का पहले से फैन था, लेकिन अब उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानकर और मिलने का अनुभव शानदार रहा। उनके दृढ़ संकल्प, जूझने की क्षमता और फोकस से मैं काफी प्रभावित हुआ हूं। मैंने उनकी मां और बहन से भी बात की और मुझे पता चल गया कि ये गुण उन्हें अपने परिवार से ही मिले हैं।”
शीतल देवी का संघर्ष और प्रेरणा
शीतल देवी का जीवन हमें यह सिखाता है कि किसी भी बाधा को पार कर, कठिन परिस्थितियों में भी अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कभी हार नहीं मानी, और आज वह न केवल एक बड़ी एथलीट हैं, बल्कि लाखों लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत भी बन चुकी हैं।