क्या गुरुग्राम के DTP नियम तोड़ रहे हैं? इंस्टाग्राम वीडियो से उठे सवाल
गुरुग्राम के DTP पर नियम उल्लंघन के आरोप
गुरुग्राम में डीटीपी आरएस बाठ पर सोशल मीडिया वीडियो के आधार पर नियम उल्लंघन के आरोप लगे हैं। वीडियो में उनकी कार पर लाल-नीली बत्ती, काले शीशे और टेम्पर्ड नंबर प्लेट देखी गई है। इस पर स्थानीय निवासी ने पुलिस को शिकायत भेजी है। बाठ ने आरोपों से इनकार किया है और कहा कि उनके अभियान में कोई रुकावट नहीं आएगी।
गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) के डिस्ट्रिक्ट टाउन प्लानर (DTP) आरएस बाठ एक नए विवाद में फंस गए हैं। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में वे एक निजी कार से उतरते दिख रहे हैं, जिस पर पुलिस जैसी लाल-नीली ब्लिंकर्स लाइट, काले शीशे और टेम्पर्ड नंबर प्लेट लगी हुई है। यह वीडियो ‘डिस्कवर गुरुग्राम’ नाम के इंस्टाग्राम अकाउंट से शेयर किया गया है। इस वीडियो के आधार पर गुरुग्राम निवासी वेदांत वर्मा ने पुलिस कमिश्नर, DCP ट्रैफिक और डिप्टी कमिश्नर को शिकायत भेजी है। उन्होंने आरोप लगाया कि DTP कानून का उल्लंघन कर रहे हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
शिकायत में क्या प्रमुख आरोप लगाए गए?
लाल-नीली बत्ती का अवैध इस्तेमाल
शिकायतकर्ता ने बताया कि डीटीपी की कार पर लाल-नीली बत्ती लगी है, जो कि मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन है। इस कार पर पहले भी 31 मार्च 2024 को चालान हो चुका है, लेकिन बत्ती अभी भी कार पर मौजूद है।
नंबर प्लेट से छेड़छाड़
कार की नंबर प्लेट (HR-39-E-1317) को इस तरह से बदला गया है कि उसे कैमरे या सर्विलांस सिस्टम से पढ़ा न जा सके। यह सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स 1989 का उल्लंघन माना गया है।
काले शीशे
23 मई को इंस्टाग्राम पर डाले गए वीडियो में कार के शीशे काले दिखाई दे रहे हैं। शिकायतकर्ता ने पूछा है कि क्या इसके लिए कोई अनुमति ली गई है? अगर नहीं, तो शीशे हटवाए जाएं।
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DTP का जवाब क्या है?
आरएस बाठ ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, “मैंने कोई नियम नहीं तोड़ा है। जो कार्रवाई अतिक्रमण हटाने को लेकर चल रही है, वह जारी रहेगी। अगर मुझे कार छोड़ ऑटो से जाना पड़ा तो मैं ऑटो से जाऊंगा।” उन्होंने कहा कि कार के शीशे काले नहीं हैं, गर्मी से बचने के लिए एक्सेसरी लगी है। DTP बाठ पिछले दो महीनों से गुरुग्राम में अतिक्रमण हटाने का अभियान चला रहे हैं। एमजी रोड, सोहना रोड, सदर बाजार और राजीव चौक जैसे इलाकों से अस्थायी दुकानों और रेहड़ियों को हटाया गया है। इससे कुछ क्षेत्रों में ट्रैफिक की समस्या में राहत मिली है। हालांकि, इस अभियान को लेकर विवाद भी है। आरोप है कि यह सिर्फ गरीबों को निशाना बना रहा है, जबकि प्रभावशाली लोगों और बड़े व्यापारियों के अवैध कब्जों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही।