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सेना और सोशल मीडिया

भारतीय सेना ने अपने कर्मियों के फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया के इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही नौसेना अड्डों और जंगी जहाजों पर स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है।

05:07 AM Jan 01, 2020 IST | Ashwini Chopra

भारतीय सेना ने अपने कर्मियों के फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया के इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही नौसेना अड्डों और जंगी जहाजों पर स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है।

भारतीय सेना ने अपने कर्मियों के फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया के इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही नौसेना अड्डों और जंगी जहाजों पर स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है। ऐसा इसलिए किया गया है कि संवेदनशील जानकारियां लीक होकर दुश्मनों के हाथ न लग जाएं। यह आदेश भारतीय नौसेना की संवेदनशील जानकारियों में सेंध लगाने वाले एक पाकिस्तानी जासूसी रैकेट का भंडाफोड़ होने के बाद जारी किया गया है। देश के अलग-अलग हिस्सों से नौसेना के 11 कर्मचारियों को संवेदनशील जानकारियां पाकिस्तानी जासूसी गिरोह को देने पर ​गिरफ्तार किया गया था। 
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इन्हें पकड़ने के लिए आंध्र प्रदेश पुलिस ने केन्द्रीय जांच एजेंसियों और नौसेना की इंटेलीजैंसी विंग के साथ मिलकर ‘आपरेशन डाल्फिंस नोज’ चलाया था। इसके साथ ही एक बार फिर यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि सेना के जवानों का सोशल मीडिया पर अधिक सक्रिय होना क्या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है। जवानों के सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर 2018 में भी सवाल उठे थे तब आज सेवानिवृत्त हो रहे सेनाध्यक्ष जनरल ​विपिन रावत ने कहा था ​कि वह जवानों को सोशल मीडिया से दूर होने के लिए नहीं कह सकते। 
उन्होंने यह भी कहा था कि जवानों का सोशल मीडिया का इस्तेमाल फायदा उठाने के लिए करना चाहिए। वैसे सेना के जवानों को बार-बार यह ​हिदायत दी जाती है कि सोशल मीडिया से दूर रहना चाहिए। बदलती दूर संचार की प्रौद्योगिकी के अगर फायदे हैं तो नुक्सान भी हैं। भारत जैसे देश में जो लैंडलाइन से पेजर और सेलफोन से स्मार्टफोन के ट्रांजिशन पीरियड से गुजरते हुए अभी पूरी तरह मैच्योर नहीं हुआ है। 
स्मार्टफोन सेना के मामले में तो काफी खतरनाक साबित हो रहे हैं। हाल ही के दिनों में सेना के जवानों और अफसरों की सोशल मीडिया पर सक्रियता के चलते सेना और सरकार दोनों को कई बार असुविधाजनक स्थितियों का सामना करना पड़ा है। सेना के जवान और अधिकारी सोशल मीडिया के जरिये पाकिस्तान की खुफिया एजैंसी आईएसआई के जाल में फंस जाते हैं। हमारे दुश्मन देश सोशल मीडिया का प्रयोग मानसिक युद्ध और हमें धोखे में डालने के ​लिए कर रहे हैं। देखना यह होगा ​कि हम उनके जाल में नहीं फंसें। 
पाकिस्तान पिछले काफी समय से हनी ट्रैप का हथकंडा आजमा रहा है। भारतीय सेना के अफसरों को सोशल मीडिया पर सेक्स चैट के बहाने फंसा रहा है। सोशल मीडिया पर उनके सारे अकाउंट हैक होते हैं। उसे आपरेट आईएसआई के गुर्गे कर रहे होते हैं, जब​कि नाम महिलाओं का रखा होता है। कई बार महिलाओं से उनकी बातचीत भी करवाई जाती है। हनीट्रेप के ​लिए आईएसआई ने महिला जासूसों को प्रशिक्षित कर रखा है।  
पहले सोशल मीडिया पर दोस्ती करती हैं फिर हुस्न के जाल में फंसाकर संवेदनशील जानकारियां हासिल करती हैं। आर्मी, एयरफोर्स या ​फिर नौसेना में अधिकारी और जवान अपने घर परिवार से दूर रहते हैं। ऐसे में अकेलेपन का फायदा उठाकर दुश्मन देशों की महिला जासूस उन्हें फंसा लेती हैं और बदले में गोपनीय दस्तावेजों की मांग करती हैं। इंडियन एयरफोर्स के ग्रुप कमांडर अरण मारवाह के मामले में भी ऐसा ही हुआ। 
इस वर्ष की शुरूआत में राजस्थान पुलिस ने भारतीय सेना के एक जवान जो आर्म्ड कॉर्प्स में तैनात था, को अपनी यूनिट की सामरिक जानकारियां सोशल मीडिया पर एक आईएसआई जासूस को शेयर करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। जांच एजैंसियों ने पाया कि फेसबुक पर अनिका नाम से बनाए गए इस फर्जी अकाउंट को पाकिस्तान के कराची से ऑपरेट किया जा रहा था। पैसे का लोभ भी बहुत कुछ करवा देता है। पठानकोट हमले में भी हनीट्रैप की बात सामने आई थी। एयरफोर्स स्टेशन में तैनात एयरमैन सुशील कुमार पैसों की एवज में मीना रैना नाम के एक अकाउंट को जानकारियां भेज रहा था। अंततः उसे गिरफ्तार कर ​लिया गया था। 
आंध्र प्रदेश पुलिस ने जिस गिरोह का पर्दाफाश हाल ही में किया है, उसने तो समुद्री जहाजों की लोकेशन और अन्य संवेदनशील जानकारियां पाकिस्तानी गिरोह को दे दी थी। सोशल मीडिया से आतंकी हमलों का खतरा पैदा हो चुका है। यद्यपि भारतीय नौसेना ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया है लेकिन आर्मी और वायुसेना के लिए भी यह एक संदेश है कि वह भी सोशल मीडिया से दूर रहें। क्योंकि आज के दौर में मॉडर्न स्मार्टफोन लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस के रूप में इस्तेमाल हो रहे हैं। भारतीय जवानों को सोशल मीडिया के इस्तेमाल के प्रति प्रशिक्षित ​किया जाना चाहिए कि वे ​अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करें न कि देश की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करें। 
किसी भी बल के लिए अनुशासन बहुत जरूरी है। आधुनिक युद्धकला में सूचना युद्धकला अहम है। अब सेना आर्टिफिशियल इंटेलीजैंसी पर जोर दे रही है, अगर हम आर्टिफिशियल इंटेलीजैंसी का फायदा उठाना चाहते हैं तो हमें सोशल मीडिया से जुड़ना ही होगा। सेना में सोशल मीडिया के उच्चायोग पर नीति बनाने पर सरकार का ध्यान तब गया था जब कुछ सै​निकों ने अपने अधिकारियों की आलोचना करते हुए बनाए गए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिए थे। खुद को दुश्मनों से बचाए रखने के लिए सेना को सोशल मीडिया से दूर रहना होगा और अनुशासन में रहकर इसका इस्तेमाल करना होगा।
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