उत्तराखंड के सीमावर्ती गांवों से सेना को मिलेगी पोल्ट्री उत्पाद की आपूर्ति
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सीमावर्ती गांवों की पहल
उत्तराखंड के सीमावर्ती गांवों से सेना को पोल्ट्री उत्पादों की आपूर्ति की पहल से स्थानीय पशुपालकों को स्थायी बाजार मिलेगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे आत्मनिर्भर भारत की दिशा में मजबूत कदम बताया। यह कदम ‘वाइब्रेंट विलेज’ योजना को नई दिशा देगा और गांवों से पलायन रोकने में मदद करेगा।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चमोली जिले से शुरू की गई एक ऐतिहासिक पहल पर जोर दिया, जिसमें स्थानीय किसानों और पशुपालकों द्वारा भारतीय सेना को भेड़, बकरी और पोल्ट्री उत्पादों की आपूर्ति की जा रही है। सीएम ने इस पहल को आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में एक मजबूत कदम बताया है। इस दौरान CM धामी ने कहा कि हमारे सीमावर्ती गांवों के पशुपालकों को एक स्थायी और सुनिश्चित बाजार मिलेगा। यह पहल ‘वाइब्रेंट विलेज’ योजना को नई दिशा देने के साथ ही गांवों से पलायन रोकने में भी मददगार साबित होगी।उत्तराखंड सरकार के राज्य के किसानों और काश्तकारों की आजीविका को बेहतर बनाने के प्रयासों में एक और उपलब्धि जुड़ गई है। भारतीय सेना अब पशुपालन विभाग के माध्यम से राज्य के स्थानीय किसानों से पोल्ट्री उत्पाद खरीदेगी।
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सोमवार को आपूर्ति की पहली खेप चमोली जिले के माणा और मलारी स्थित भारतीय सेना की अग्रिम चौकियों के लिए रवाना की गई पशुपालन विभाग की इस पहल के तहत उत्तराखंड में सेना की अग्रिम चौकियों पर स्थानीय स्तर पर उत्पादित भेड़, बकरी और पोल्ट्री उत्पादों की आपूर्ति सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया है। पहले चरण में पोल्ट्री उत्पादों की आपूर्ति की जा रही है।
जोशीमठ से भेजी गई पहली खेप में भारतीय सेना की माना पोस्ट और मलारी पोस्ट पर पोल्ट्री की आपूर्ति की गई, जिसे स्थानीय पशुपालक श्री गुलशन सिंह राणा और श्री सौरभ नेगी ने उपलब्ध कराया। इसका उद्देश्य उत्पादन बढ़ाने के साथ ही स्थानीय पशुपालकों को स्थानीय स्तर पर मजबूत बाजार व्यवस्था उपलब्ध कराना है। इसके जरिए उनके उत्पादों का सही मूल्य और नियमित भुगतान सुनिश्चित हो सकेगा। पशुपालन विभाग ने इससे पहले आईटीबीपी के साथ एमओयू किया था। इसके परिणामस्वरूप पशुपालकों को स्थानीय बाजार उपलब्ध हो गया है।