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Arun Jaitley death anniversary: संसद के चाणक्य, जिनकी वाणी से गूंजा लोकतंत्र

06:32 AM Aug 24, 2025 IST | Shera Rajput
arun jaitley death anniversary  संसद के चाणक्य  जिनकी वाणी से गूंजा लोकतंत्र

Arun Jaitley death anniversary: भारतीय राजनीति में कुछ ऐसे नेता हुए हैं, जिनकी बुद्धिमत्ता, तर्कशक्ति और नेतृत्व क्षमता हमेशा याद की जाती है। उन्हीं में से एक नाम है अरुण जेटली का। वे न सिर्फ तेज-तर्रार वकील और कुशल राजनेता थे, बल्कि अपनी शायराना अंदाज़ और प्रभावशाली भाषणों से विपक्ष तक को प्रभावित कर देते थे।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

28 दिसंबर 1952 को दिल्ली में एक पंजाबी हिंदू ब्राह्मण परिवार में जन्मे अरुण जेटली के पिता महाराज किशन जेटली एक प्रसिद्ध वकील थे। उनसे ही जेटली को वकालत का हुनर मिला। अरुण जेटली ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली में पूरी की। दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू की और जल्द ही अपने तर्कों और दक्षता के कारण एक नामचीन वकील बन गए।

Arun Jaitley की राजनीति की शुरुआत

उनका राजनीतिक सफर 1970 के दशक में जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन से शुरू हुआ। 1974 में वे दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए और आपातकाल के दौरान 19 महीने जेल में रहे। इस दौरान उनकी संगठनात्मक और नेतृत्व क्षमता सामने आई। 1977 में जनता पार्टी के गठन के समय वे उसकी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने और 1980 में भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद अरुण जेटली ने पार्टी का दामन थामकर अपने सियासी सफर को नई ऊंचाई दी।

भाजपा में योगदान और मंत्री पद

1991 में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल हुए और 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सूचना एवं प्रसारण और विनिवेश मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद उन्हें कानून, न्याय और कंपनी मामलों का भी कार्यभार सौंपा गया।

संसद में प्रभावशाली उपस्थिति

2004 से 2014 तक राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में उनकी पहचान और मजबूत हुई। उनकी तार्किकता, वक्तृत्व कला और तथ्यपरक तर्कों ने उन्हें संसद में एक सशक्त आवाज बनाया। वे सिर्फ प्रशासक ही नहीं, बल्कि संकट की घड़ी में पार्टी और सरकार के लिए भरोसेमंद संकटमोचक भी रहे। उनके लेख और ब्लॉग भी जटिल विषयों को सरल बनाने में मददगार साबित हुए।

वित्त मंत्री के रूप में ऐतिहासिक फैसले

2014 में नरेंद्र मोदी सरकार में वित्त मंत्री बनने के बाद जेटली ने कई बड़े सुधार किए। जीएसटी लागू करने में उनकी भूमिका अहम रही। नोटबंदी जैसे साहसिक फैसलों में भी उनकी रणनीतिक सोच झलकती थी। आलोचनाओं के बावजूद उन्होंने हमेशा धैर्य और तथ्यों के साथ जवाब दिया।

व्यक्तित्व और विरासत

अरुण जेटली एक ऐसे नेता थे, जो विचारधारा और व्यावहारिकता का संतुलन बनाए रखते थे। उनकी विनम्रता, गहन समझ और हास्यबोध ने उन्हें विरोधियों का भी सम्मान दिलाया।

निजी जीवन और निधन

Arun Jaitley death anniversary: परिवारिक जीवन में वे पत्नी संगीता जेटली और दो बच्चों के साथ सादगी से जुड़े रहे। स्वास्थ्य कारणों से 2019 में उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली और 24 अगस्त 2019 को 66 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।

अरुण जेटली एक ऐसी शख्सियत थे, जिन्होंने भारतीय राजनीति और आर्थिक सुधारों में अपनी अमिट छाप छोड़ी। वे आज भी अपनी वाक्पटुता, तर्क और दूरदर्शी सोच के लिए याद किए जाते हैं।

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