कौन है वो एक्ट्रेस जिसे स्टॉल पर खाना खाते देख Dilip Kumar ने दिया Heroin बनने का मौका?
बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस अरुणा ईरानी (Aruna Irani) ने हिंदी सिनेमा और छोटे पर्दे पर अपनी एक्टिंग से सभी के बीच अपनी अगल पहचान बनाई लेकिन क्या आप जानते है कि उनकी जिंदगी के शुरूआती दौर में उन्हें कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा? बता दें, एक्ट्रेस के इंडस्ट्री में आने से पहले उनके ऐसे हालात थे कि उनके परिवार के पास खाने तक के पैसे नहीं होते थे और उन्हें चावल व प्याज खाकर दिन गुजारने पड़ते थे। हालांकि, अपनी मेहनत और लगन से अरुणा ने उन मुश्किल दिनों को पीछे छोड़कर फिल्म इंडस्ट्री में अलग मुकाम हासिल किया। लेकिन कैसे बदली उनकी ज़िंदगी चलिए जानते है।
बचपन से शुरू हुआ सफर
अरुणा ईरानी (Aruna Irani) का जन्म 18 अगस्त 1946 को हुआ था। वह 8 भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। उनके पिता फरीदुन ईरानी थिएटर से जुड़े थे और उनकी मां शगुणा भी एक्ट्रेस रही थीं। अरुणा का सपना डॉक्टर बनने का था, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि उन्हें पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। इसके बाद उन्होंने महज 9 साल की उम्र में फिल्मों की ओर रुख किया।
कब मिला फिल्मों में पहला मौका
अरुणा (Aruna Irani) का फिल्मी करियर एक इत्तेफाक से शुरू हुआ। 60 के दशक में बच्चों को फिल्मों के ऑडिशन के लिए एजेंट्स ले जाया करते थे। एक दिन ऐसे ही एक एजेंट के साथ अरुणा भी ऑडिशन देने पहुंचीं। वहां उनका ध्यान एक्टिंग से ज्यादा खाने-पीने पर था। तभी मशहूर एक्टर दिलीप कुमार की नजर उन पर पड़ी। उन्होंने अरुणा को बुलाकर पूछा, "क्या तुम फिल्मों में काम करोगी?" यहीं से उनकी जिंदगी बदल गई। दिलीप कुमार (Dilip Kumar) ने उन्हें अपनी फिल्म गंगा जमुना (1961) में एक रोल ऑफर किया और इसी से अरुणा ने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट डेब्यू किया।
बॉलीवुड में की कौन-कौन सी फिल्में
गंगा जमुना के बाद अरुणा लगातार फिल्मों में नजर आने लगीं। उन्होंने अनपढ़ (1962), जहांआरा (1964), फर्ज (1967), उपकार (1967) और आया सावन झूम के (1969) जैसी फिल्मों में काम किया। धीरे-धीरे इंडस्ट्री में उनकी पहचान बनी, लेकिन उन्हें ज्यादातर साइड रोल ही मिलने लगे। बावजूद इसके, उन्होंने अपनी मेहनत और एक्टिंग से हर किरदार को यादगार बना दिया।
लीड एक्ट्रेस बनने का सफर
हर कलाकार की तरह अरुणा का सपना भी था कि वह लीड एक्ट्रेस के रूप में काम करें। यह मौका उन्हें फिल्म बॉम्बे टू गोवा (1972) से मिला। महमूद द्वारा निर्देशित इस फिल्म में उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ स्क्रीन शेयर की। इसके साथ ही उन्होंने फिल्म कारवां में भी अहम किरदार निभाया। अरुणा खुद मानती हैं कि यह उनके करियर का अहम मोड़ था।
एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया कि लीड रोल निभाना उनका सपना था। हालांकि, उस वक्त उन्हें लगा कि फिल्म छोटी है, लेकिन फीस अच्छी मिल रही थी, इसलिए उन्होंने तुरंत हामी भर दी। यही फिल्म उनके करियर की दिशा बदलने वाली साबित हुई।
छोटे पर्दे तक का सफर
बता दें, सिर्फ बड़े पर्दे तक ही नहीं, अरुणा ईरानी (Aruna Irani) ने छोटे पर्दे पर भी अपनी एक्टिंग से दर्शकों का दिल जीता। उन्होंने कई टीवी शोज़ में काम किया और अपने दमदार किरदारों से साबित किया कि वह हर प्लेटफॉर्म पर अपनी छाप छोड़ सकती हैं।
सभी के लिए एक इंस्पिरेशन
आज अरुणा ईरानी (Aruna Irani) किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। उन्होंने सभी मुश्किलों और कठिनाइयों से गुजरकर बॉलीवुड की चमचमाती दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई। उनका सफर इस बात की मिसाल है कि हालात चाहे जैसे भी हों, मेहनत और हिम्मत से इंसान अपने सपनों को पूरा कर सकता है। अरुणा ईरानी की कहानी सिर्फ एक एक्ट्रेस की सफलता नहीं, बल्कि एक इंसान की जिद और मेहनत की दास्तान है। गरीबी से लेकर स्टारडम तक का उनका सफर सभी के लिए इंस्पिरेशन से कम नहीं है।
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