आशा-गौतम के हुनरगाथा में हुनर मंदों का जलवा
राजधानी के एक पंचसितारा होटल में सावन की घटा थीम पर पारंपरिक परिधानों को बड़े फलक पर प्रदर्शित करने के लिए एक शानदार फैशन शो का आयोजन किया गया। आशा-गौत्तम के 'हुनरगाथा में हुनरमंदों का जलवा फैशन शो में पारंपरिक परिधान की धूम रही। आशा-गौतम के संयुक्त तत्वावधान के तहत स्वधा की मॉडल भी रैंप पर उतरीं। सावन के झूले, कजरी, मल्हार ये सभी संगीत भरी शाम को शानदार बना रहा था। जब संगीत को इस खूबसूरत परिधानों में सजी मॉडल रैंप पर उतरकर जीवंत कर दें तो इसी को कहते हैं सोने पे सुहागा। मधुर लोकगीत की पृष्ठभूमि में जब सुंदर भारतीय पारंपरिक परिधानों में खूबसूरत मॉडल रैंप पर अदा के साथ चल रही थीं तो यह दृश्य अत्यंत मनमोहक प्रतीत हो रहे थे। ऐसा लग रहा था कि कमल महल में सावन आ गया है और वर्षा की बूंदें गूंज रही हैं और साथ में मिट्टी की सोंधी-सोंधी महक भी वातावरण में छा गई थी।
बड़ी उम्र की महिलाएं जब सुंदर भारतीय परिधानों में रैंप पर कैटवॉक करती हुई दिखीं तो मानो रैंप की शान बढ़ गई। इस शानदार फैशन शो की होस्ट आशा-गौतम की जोड़ी ने कहा कि सपना कोई एक देखता है लेकिन उसे साकार करने में बहुत लोगों का हाथ होता है। इस अवसर पर स्पेशल शो की डायरेक्टर रश्मि वीरमानी, स्पेशल ओलंपिक की चेयरपर्सन मल्लिका नड्डा, पंजाब केसरी की सीएमडी एवं वरिष्ठ केसरी क्लब की अध्यक्ष किरण चोपड़ा, गीताबेन मनसुखभाई मांडविया, सुरभी तिवारी, बबीता मल्होत्रा, उदयपुर की महारानी महिमा कुमारी सिंह, नीलम प्रताप रूडी, सुधा धींगरा, सोनल कालरा, पूनम शर्मा, जयंती तान्या, तमन्ना छोना एवं अन्य गणमान्य उपस्थित रहीं।
45 मिनट का शो नहीं, दिन-रात की मेहनत का फल था शो
स्वधा की चेयरपर्सन वर्षा गोयल ने कहा कि सपना हमने देखा, स्वधा ने देखा और इस सपने को हम सबने मिलकर साकार किया। यह शो केवल 45 मिनट का नहीं था, इसके पीछे बहुत से लोगों की दिन-रात की मेहनत थी। आशा गौतम के साथ मिलकर स्वधा के सदस्यों ने इस कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी निभाई। वहीं नीलम प्रताप रूडी ने कहा कि एक मंच पर पारंपरिक भारतीय परिधानों की खूबसूरती को देखकर वह अचंभित हैं। हस्तशिल्प और कारीगरी को प्राप्त ऐतिहासिक गौरव दोबारा मिलेगा। स्थानीय कारीगरों को बढ़ावा देना भी जरूरी है। इस कार्यक्रम में रामपुर के कारीगरों की ओर से तैयार किए गए पारंपरिक पोशाकों की पेशकश फैशन शो के माध्यम से की गई। जरदोजी, चटपटी जैसी ऐतिहासिक हस्तकला का प्रदर्शन किया गया। ऐतिहासिक हस्तशिल्प से तैयार परिधानों को देखकर लोग तारीफ करते नहीं थक रहे थे। फैशन शो हर उस महिला को एक नई दिशा देना चाहता है जिसके पास कोई न कोई हुनर है और जो अपनी अलग पहचान बनाना चाहती है।
बता दें कि 25 वर्षों से भी अधिक की विरासत के साथ, आशा गौतम ने पारंपरिक भारतीय शिल्प कौशल को निरंतर नए सिरे से परिभाषित किया है, विरासत को नवीनता के साथ मिलाकर कालातीत उत्कृष्ट कृतियां रची हैं। हथकरघा से बना हर एक उत्पाद समर्पण, कौशल और हमारी परंपराओं से गहरे जुड़ाव की कहानी कहता है। आशा गौतम में, हथकरघा वस्त्रों को डिजाइनों में गर्व से शामिल किया जाता है, जो कारीगरों और फैशन जगत में उनके अमूल्य योगदान का समर्थन करते हैं। हथकरघा उत्पादों का समर्थन करके, आशा गौतम इन पारंपरिक शिल्पों की स्थिरता और उनके रचनाकारों की आजीविका में योगदान दे रही हैं।