Ashutosh Rana Biography in Hindi: वो हीरो, जिसे 'दुश्मन' से मिली पहचान, कभी बनना चाहते थे नेता, हर किरदार में जमाते हैं रंग, जानिए उस एक्टर के बारे में।
Ashutosh Rana Biography in Hindi: फ़िल्मी दुनिया की चकाचौंध में सफलता अक्सर तुरंत मिल जाती है, लेकिन ऐसा बहुत कम अभिनेताओं के साथ होता है। Ashutosh Rana के लिए सफलता पाना आसान नहीं था। उनकी कहानी निरंतर संघर्ष और अटूट समर्पण की गाथा है, जो आज के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह एक ऐसी सफलता है जो कड़ी मेहनत के बाद देर से मिलती है, लेकिन जब मिलती है, तो स्थायी होती है। आज, जब यह अभिनेता अपना 58वाँ जन्मदिन मना रहे हैं, तो आइए जानें कि उनके उनके बारे में……
Ashutosh Rana Biography in Hindi: "गली-गली घूमकर नाटक किया"
Ashutosh Rana का जन्म 10 नवंबर 1967 तो मध्य प्रदेश के गदरवारा में हुआ था। मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में जन्में आशुतोष को बचपन से ही अभिनय का बहुत शौक था। उनके सिर पर एक्टिंग का नशा कुछ इस कदर चढ़ा हुआ था कि वह गली-गली घूमकर नाटक किया करते थे।
इतना ही नहीं वह बचपन में गांव में होने वाली रामलीला में रावण का किरदार निभाते थे। उनका रावण का रूप लोगों को इस कदर भाता था कि वह हर साल उन्हें ही उस किरदार में देखना चाहते थे। इतना सब करने के बाद भी Ashutosh Rana ने कभी नहीं सोचा था कि वह बॉलीवुड में कदम रखेंगें।
कभी बनना चाहते थे नेता
आशुतोष राणा अपने स्कूल से ही नेतागिरी करने लगे थे और इस वजह से पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते थे। ऐसे में लोगों को लगता था कि वो 11वीं में किसी कीमत पर पास नहीं हो पाएंगे। हालांकि, जब आशुतोष राणा का 11वीं का रिजल्ट आया तो सब चौंक गए, क्योंकि वो फर्स्ट डिवीजन से पास हुए। इस पर किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा था, क्योंकि आशुतोष ज्यादा समय राजनीति में व्यस्त रहते थे।
बॉलीवुड से लेकर साउथ फिल्मो में किया काम
आशुतोष राणा को कोई नहीं जानता होगा ऐसा नहीं होगा, जहाँ एक्टर ने बॉलीवुड से लेकर साउथ की फिल्मो में अपना लोहा मँजावा है, एक्टर के फ़िल्मी करियर की बात करे तो आशुतोष बॉलीवुड के एकमात्र ऐसे एक्टर हैं, जिनकी खलयानकी के रोल फिल्म की लीड हीरो पर भारी पड़ते हैं। उनके इस खास दिन पर बात करेंगे उन फिल्मों की, जिसमें आशुतोष का आपको असली 'एनिमल' रोल देखने को मिलेंगे।
आशुतोष राणा की पहली बड़ी पहचान 1998 में फिल्म 'दुश्मन' से बनी. तनुजा चंद्रा निर्देशित इस फिल्म में उन्होंने एक साइको किलर गोकुल पंडित का किरदार निभाया था। यह किरदार इतना डरावना था कि दर्शक सिनेमाघर से निकलकर भी उस चेहरे को भूल नहीं पाए।
इसके अगले ही साल उन्होंने फिल्म 'संघर्ष' में लज्जा शंकर पांडे का किरदार निभाया, जिसने उनकी पहचान को और मजबूत कर दिया। लोग कहते हैं कि 'संघर्ष' के बाद हिंदी फिल्मों में विलेन का किरदार हमेशा के लिए बदल गया। इन दोनों फिल्मों के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड फॉर बेस्ट विलेन से नवाजा गया।
एक्टर के साथ कमाल के लेखक भी हैं
आशुतोष को लोगों ने फिल्मों में तो खूब देखा है लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि वे कमाल के थियेटर आर्टिस्ट भी हैं। बीते दिनों दिल्ली में एक प्ले के दौरान उन्होंने रावण का रोल स्टेज पर निभाया था और उसे देखकर लोग कांप उठे थे। एक बेहतरीन एक्टर के साथ उनकी आवाज और हिंदी भाषा की पकड़ भी लोगों का दिल जीतती है। इसके साथ ही आशुतोष एक कमाल के राइटर भी हैं और एक कविता हे 'भारत के राम जगो, मैं तुम्हें जगाने आया हूं', युवाओं के बीच आज भी जोश भर देती है। खास बात ये है कि आशुतोष अपने फोन पर ही किताबें और कविताएं लिखने में भी महारथ हासिल कर चुके हैं।
"वे महादेव के भक्त हैं और रोज ध्यान करते हैं"
आशुतोष जहां पर्दे पर उनका चेहरा दर्शकों के दिलों में डर पैदा करता था, वहीं दूसरी तरफ असल जिंदगी में वह बेहद आध्यात्मिक और विनम्र स्वभाव के इंसान हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि वह खुद को ध्यान, शांति और सीखने से जोड़कर रखते हैं। उनका मानना है कि एक अच्छा अभिनेता वही है, जो भीतर से शांत और स्थिर हो। वे महादेव के भक्त हैं और रोज ध्यान करते हैं।