Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

एशियाई खेल : भारत पर नजरें

NULL

08:06 AM Aug 20, 2018 IST | Desk Team

NULL

इंडोनेशिया में 18वें एशियाई खेलों का रंगारंग आगाज हो चुका है। जकार्ता के अलावा पालेमबंग में भी खेल स्पर्धाओं का आयोजन किया जाएगा। भारत का 800 से अधिक सदस्यीय दल इन खेलों में भाग ले रहा है जो 36 खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। भाला फैंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने भारतीय दल के ध्वजवाहक के तौर पर उद्घाटन समारोह में भाग लिया। कुल 45 देशों के खिलाड़ी एशियाई खेलों में भाग ले रहे हैं। सबकी नजरें इस बात पर लगी हुई हैं कि सवा सौ करोड़ की जनसंख्या वाले देश भारत का प्रदर्शन कैसा रहता है, क्या वह पिछले एशियाई खेलों से ज्यादा पदक जीतेगा या उसके पदक कम ही रह जाएंगे। भारतीय खिलाड़ियों ने गोल्ड कोस्ट में जैसा प्रदर्शन किया था, उससे अच्छा प्रदर्शन सम्भव है लेकिन यह इतना आसान भी दिखाई नहीं देता। रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन करने वाले अनेक भारतीय खिलाड़ी जकार्ता नहीं गए हैं।

एशियाई खेलों में भारत का प्रदर्शन काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है। 1951 में जब भारत की कोशिशों से इन खेलों की शुरूआत हुई थी तो भारत पदक तालिका में दूसरे स्थान पर रहा था। अब भारत 5वें से 8वें स्थान के लिए जूझता नजर आता है। एशियाई खेलों में पूर्व सोवियत संघ के देशों कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और किर्गिस्तान जैसे देशों के शामिल होने से भारत के लिए चुनौतियां काफी बढ़ गई हैं। इन खेलों में भी चीन का जबर्दस्त दबदबा रहता है और फिर दक्षिण कोरिया आैर जापान परम्परागत ढंग से छाए रहते हैं। चीन, उत्तर कोरिया, मंगोलिया 1974 के तेहरान एशियाई खेलों से ही हिस्सा ले रहे हैं जबकि सोवियत संघ के देशों का प्रवेश हिरोशिमा (जापान) में 1994 में हुए एशियाई खेलों से हुआ था। भारत का रिकॉर्ड देखें तो भारत ने अधिकतम पदक 65 ग्वांगझू 2010 में जीते, जिनमें 14 स्वर्ण, 17 रजत और 34 कांस्य पदक थे। 57 पदक उसने दो बार जीते। 1982 में ​​दिल्ली में हुए एशियाई खेलों में उसने 13 स्वर्ण, 19 रजत और 25 कांस्य और इंचेआन 2014 में उसने 11 स्वर्ण, 9 रजत और 37 कांस्य पदक जीते थे।

इसके अलावा उसने 3 बार 50 पदकों का आंकड़ा पार किया। खेल विशेषज्ञों का अनुमान है ​िक इंडोनेशिया में हो रहे एशियाई खेलों में चीन का ही दबदबा रहेगा आैर दक्षिण कोरिया दूसरे स्थान पर रहेगा। इसका सीधा सा अर्थ है ​िक बाकी स्थानों के लिए जापान, ईरान, कजाकिस्तान, भारत और थाइलैंड संघर्ष करते दिखाई देंगे। एशियाई खेलों से पता चलेगा कि भारत ने ओलिम्पिक खेलों के लिए क्या तैयारी की है। गोल्ड कोस्ट राष्ट्रकुल में भारत तीसरे स्थान पर रहा था। भारत का प्रदर्शन बैडमिंटन, वेट लिफ्टिंग, कुश्ती, मुक्केबाजी आैर टेबल टेनिस में काफी बेहतर रहा था। इंडोनेशिया के एशियाई खेलों में राष्ट्रमंडल देशों के अलावा जो अन्य एशियाई देश हैं, वह बहुत मजबूत हैं ​इसलिए जकार्ता में भारत के लिए चुनौतियां बहुत हैं। 2010 के दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में उसने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 101 पदक हासिल किए थे। भारत के सबसे सफल ओलिम्पियन में से एक सुशील कुमार पर खुद को एक बार फिर साबित करने का दबाव था और वह इस बार फ्लाप रहे। उन्हें ट्रायल में मिली छूट पर भी सवाल उठे थे। उनकी नाकामी से अब उनके अंतर्राष्ट्रीय करियर पर लगभग विराम लग गया है। हरियाणा की 16 वर्ष की स्कूली छात्रा मनु भाकर ने पिछले वर्ष बेहतरीन प्रदर्शन किया था। आईएसएसएफ विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतने वाली मनु सबसे युवा भारतीय निशानेबाज बनीं। उसने राष्ट्रमंडल खेलों में भी स्वर्ण जीता था लेकिन वह भी एशियाई खेलों के बड़े दबाव का सामना नहीं कर सकीं। कुश्ती में हरियाणा के पहलवान बजरंग पूनिया ने अपनी प्रतिभा के साथ न्याय किया। टेबल टेनिस में मोनिका बत्रा पूरी तैयारी के साथ जकार्ता पहुंची हैं लेकिन उसके लिए भी प्रतिस्पर्धा आसान नहीं होगी।

एथलेटिक्स में हिमा दास पर सबकी नजरें हैं। हिमा दास ने आईएएएफ ट्रैक आैर फील्ड स्पर्धा में 400 मीटर में स्वर्ण जीता था। बैडमिंटन में पी.वी. सिंधु, साइना नेहवाल, के. श्रीकांत, टेनिस में रोहन बोपन्ना, दिविज शरण आैर रामनाथन, मुक्केबाजी में शिव थापा और सोनिया लाठेर से भी काफी उम्मीदें हैं। जिम्नास्टिक में दीपा कर्माकर से तो भारतीयों को बहुत ही उम्मीदें हैं। एशियाई खेल महत्वपूर्ण तो हैं लेकिन अब यह आर्थिक बोझ भी बन गए हैं। ओलिम्पिक खेलों से देशों को लाभ होता है लेकिन एशियाई खेलों पर खर्चा ही होता है। वियतनाम ने तो आर्थिक बोझ को देखते हुए एशियाई खेलों से हाथ खींच लिया था। फिलहाल देेशवासियों की नजरें अपने खिलाड़ियों पर लगी हुई हैं।

Advertisement
Advertisement
Next Article