ट्रंप का नमक खाकर फंस गए आसिम मुनीर! अब कैसे देंगे अमेरिका के खिलाफ ईरान का साथ?
ट्रंप का नमक खाकर फंस गए आसिम मुनीर!
पाकिस्तान और ईरान के बीच लगभग 900 किलोमीटर लंबी सीमा साझा होती है. यह स्थिति अमेरिका को पाकिस्तान की जमीन या एयरस्पेस का उपयोग करने के लिए प्रेरित कर सकती है, ताकि ईरान के खिलाफ पूर्वी सीमा से निगरानी और आक्रमण की योजनाओं को अंजाम दिया जा सके.
US-Pakistan Relations: डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद अमेरिका और इजरायल का रुख ईरान के प्रति काफी आक्रामक दिखाई दे रहा है. ऐसे में हालात इस ओर इशारा कर रहे हैं कि ईरान पर किसी बड़े सैन्य अभियान की तैयारी चल रही है. इस पूरे परिदृश्य में पाकिस्तान की भूमिका बेहद अहम हो सकती है, क्योंकि उसकी भौगोलिक स्थिति उसे रणनीतिक दृष्टि से एक निर्णायक देश बना देती है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान और ईरान के बीच लगभग 900 किलोमीटर लंबी सीमा साझा होती है. यह स्थिति अमेरिका को पाकिस्तान की जमीन या एयरस्पेस का उपयोग करने के लिए प्रेरित कर सकती है, ताकि ईरान के खिलाफ पूर्वी सीमा से निगरानी और आक्रमण की योजनाओं को अंजाम दिया जा सके. अफगानिस्तान युद्ध के समय भी अमेरिका ने पाकिस्तान के सैन्य अड्डों और एयरस्पेस का उपयोग किया था, इसलिए अब एक बार फिर वैसी ही अपेक्षा की जा सकती है.
ट्रंप की पाकिस्तान के प्रति नरमी
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोका था और पाकिस्तान को “पसंदीदा देश” भी करार दिया. इसके अलावा 18 जून 2025 को पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर और ट्रंप के बीच व्हाइट हाउस में एक महत्वपूर्ण बैठक और लंच हुआ. इसे अमेरिका की ओर से पाकिस्तान को ईरान के खिलाफ रणनीति में शामिल करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.
लेकिन ईरान को भी उम्मीद है कि पाकिस्तान मुश्किल समय में उसकी मदद कर सकता है. ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है कि अगर ट्रंप पाकिस्तान से कुछ मदद मांगते हैं तो अमेरिका की ओर से क्या-क्या मांग की जा सकती है. अगर ऐसा होता है तो पाकिस्तान के लिए मुश्किल हो सकती है कि वो किसका साथ दे.
क्या हो सकती हैं अमेरिका की मांगें?
संभावना है कि अमेरिका पाकिस्तान से तीन तरह की सहयोग की अपेक्षा कर सकता है:
सैन्य अड्डों का इस्तेमाल: ताकि ईरान की पूर्वी सीमा पर दबाव बनाया जा सके.
एयरस्पेस की अनुमति: ईरान पर हवाई हमलों के लिए पाकिस्तान का हवाई मार्ग महत्वपूर्ण हो सकता है.
तटस्थ रुख: अमेरिका यह भी चाहेगा कि पाकिस्तान ईरान को प्रत्यक्ष या परोक्ष सहयोग न दे.
ईरान की उम्मीदें और परमाणु मुद्दा
ईरान की तरफ से पाकिस्तान से मदद की उम्मीद को हालांकि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने इस तरह के दावों से इनकार किया है. पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र है और अमेरिका नहीं चाहेगा कि उसकी तकनीकी जानकारी ईरान को मिले. जनरल आसिम मुनीर की धार्मिक छवि को देखते हुए यह आशंका और भी गहरी हो जाती है.
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पाकिस्तान के लिए चुनौतीपूर्ण फैसला
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक है और वह IMF व अन्य अंतरराष्ट्रीय मदद पर निर्भर है. अमेरिका की तरफ से वित्तीय और सैन्य सहायता के संकेत मिलने के बावजूद पाकिस्तान को मुस्लिम देशों के साथ अपने संबंध भी बनाए रखने हैं. ऐसे में ईरान से दूरी बनाना आसान नहीं होगा. जनरल मुनीर को अब यह तय करना होगा कि वह किस रास्ते पर चलते हैं, अमेरिका का साथ देकर लाभ उठाना या इस्लामी एकता के साथ खड़े रहना.