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महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि अजित पवार की अगुवाई वाला समूह उस समय असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) था, जब पार्टी में जुलाई 2023 में दो गुट उभरे थे, और अजित तथा शरद पवार नीत खेमों की अयोग्यता याचिकाएं खारिज कर दीं। नार्वेकर ने यहां विधानमंडल परिसर में अपने फैसले में कहा, ‘‘(विधायकों की) अयोग्यता का अनुरोध करने वाली सभी याचिकाएं खारिज की जाती हैं।
Highlights
अजित पवार के अपने समर्थकों के साथ जुलाई 2023 में महाराष्ट्र की शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल होने और उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद अयोग्यता याचिकाएं शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार नीत प्रतिद्वंद्वी खेमों ने दायर की थीं। नार्वेकर ने फैसले में कहा कि पार्टी संस्थापक शरद पवार के फैसलों पर सवाल उठाना या उनकी इच्छा की अवहेलना करना दल-बदल नहीं है बल्कि यह केवल एक आंतरिक असहमति है। उन्होंने कहा कि दल-बदल रोधी प्रावधानों से संबद्ध संविधान की 10वीं अनुसूची का इस मामले में दुरूपयोग किया गया।
पार्टी नेतृत्व बड़ी संख्या में सदस्यों को अयोग्य करार दिये जाने की धमकी देकर उनकी असहमति की आवाज दबाने के लिए 10वीं अनुसूची का इस्तेमाल नहीं कर सकता। फैसले में कहा गया है कि राकांपा में (जुलाई 2023 में) हुआ घटनाक्रम स्पष्ट रूप से पार्टी की अंदरूनी असहमति थी। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी में टूट होने के समय अजित पवार खेमे में ज्यादातर विधायक थे। उन्होंने कहा कि अजित पवार खेमे के फैसले ने राकांपा की इच्छा को प्रदर्शित किया।
पिछले हफ्ते, अजित पवार नीत पार्टी को असली राकांपा करार देने संबंधी निर्वाचन आयोग के फैसले के बाद नार्वेकर का यह निर्णय आया है।
विधानसभा अध्यक्ष के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राकांपा-शरदचंद्र पवार पार्टी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि यह शिवसेना में अयोग्यता मामले में दिये नार्वेकर के पूर्व के फैसले का ही दोहराव है।