Astrology: अपनी जन्म कुंडली से जानें कि कब होगा आपका भाग्योदय
Astrology: ज्योतिष शब्द का शाब्दिक अर्थ है मार्ग दिखाना और एक अग्निपुंज की तरह हमारे जीवन को रोशन करना। जब आप ज्योतिष को इस परिभाषा के रूप में देखते हैं तो निश्चित रूप से आप अपना जीवन ज्योतिष के उपयोग से उज्ज्वल बना सकते हैं। ज्योतिष के द्वारा आप अपने लिए सटीक और ग्रहों के अनुकूल मार्ग या बिजनेस और जीवन शैली का चुनाव कर सकते हैं। यदि आप केवल अपने हस्ताक्षर बदल लें और अपने जन्म कुंडली के कारक ग्रह के अनुसार आचार-विचार और पहनावा रखें तो कुछ ही महीनों में आपको लाभ होने लगेगा। और खास बात यह कि इसमें आपको कुछ भी खर्च करने की आवश्यकता नहीं है। इसके साथ ही यदि आपके पास विकल्प हैं तो आप अपनी जन्मकालीन ग्रहों की स्थिति से अपने लिए अनुकूल व्यवसाय का चयन कर सकते हैं। सभी तरह के प्रयोग आपकी उन्नति में सहायक हो सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाला सवाल - भाग्योदय कब होगा?
एक साधारण व्यक्ति के लिए भाग्योदय होना जीवन की सबसे महत्वपूर्ण घटना होती है। भाग्योदय का अर्थ है कि जीवन में मनमाफिक सफलता मिलना। इसलिए ज्योतिषी से सबसे अधिक यही प्रश्न किया जाता है। यह एक स्वाभाविक प्रश्न है और वैसे भी जब कुछ भी पूछने के लिए नहीं हो तो भी यही सवाल किया जाता है। लेकिन यहां स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि किसी भी सटीक निर्णय पर पहुंचने के लिए समग्र कुंडली का विश्लेषण आवश्यक है। नीचे में जो योग दे रहा हूं वे सब एक दिशा निर्देश का काम करते हैं। वास्तव में क्या होगा इसका पता लगाने के लिए कुंडली के साथ ही हस्तरेखाओं को भी देखना चाहिए। क्योंकि (Astrology) कुछ चीजें हस्तरेखाओं से ज्यादा क्लीयर होती हैं। वैसे भी कोई भी योग एक निश्चित मापदंड पर काम करता है। जैसे आपके भाग्य स्थान पर उच्च का बृहस्पति हो तो इसका अर्थ है कि आप भाग्यशाली हैं। लेकिन ऐसा तभी होगा जब कि लग्न और लग्नेश भी बलवान हो। क्योंकि धारण करने और भोगने की क्षमता केवल लग्न में होती है। क्योंकि लग्न शरीर है। जब शरीर में किसी उपलब्धि या प्राप्ति को भोगने की क्षमता नहीं होगी तो उपलब्धि का कोई अर्थ नहीं होगा। इसका अर्थ हुआ कि नवम में उच्चस्थ बृहस्पति होने से आपका भाग्य तो प्रबल है लेकिन इस योग का कोई लाभ आपको नहीं प्राप्त होगा। इसी प्रकार से दूसरे योगों के बारे में विचार करना चाहिए। इसलिए जिन योगों के बारे में मैं बता रहा हूं उनको तभी उपयोगी माने जब कि जन्म कुंडली में दूसरे भाव और ग्रह भी शक्तिशाली हो।
भाग्योदय कराने वाले प्रमुख योग कौन से हैं?
1 - आमतौर पर जब केंद्र और त्रिकोण के संयुक्त स्वामी की दशा आए तो जातक का भाग्योदय होता है। हालांकि सभी मामलों में ऐसा नहीं होता है। परंतु यदि केंद्र और त्रिकोण का मालिक शुभ स्थिति में हो तो प्रायः भाग्योदय करवा देता है।
2 - बृहस्पति सर्वोच्च शुभ ग्रह है। अनुभव में आता है कि यदि बृहस्पति शुभ ग्रह की राशि में हो या फिर स्वगृही या उच्चस्थ हो तो ज्यादातर मामलों में बृहस्पति की महादशा में भाग्योदय हो जाता है। लेकिन सभी लोगों के जीवन में बृहस्पति की महादशा आए ही, यह कोई जरूरी नहीं है। कुछ लोगों में दशा क्रम इस तरह से होता है कि बृहस्पति की महादशा का क्रम जीवन में नहीं आता है।
3 -यदि केंद्र का मालिक पाप ग्रह हो तो उसकी महादशा में भी भाग्यदोय हो सकता है।
4 - लग्नेश यदि पर्याप्त शुभ स्थिति में हो तो प्रायः भाग्योदय करवा देता है। हालांकि ज्यादातर ज्योतिषी लग्नेश की दशा को शुभ मानते हैं लेकिन अनुभव में पाया है कि लग्नेश यदि बलवान हो तभी शुभ फल देता है अन्यथा खराब या तटस्थ रहता है।
5 - अक्सर पंचमेश की महादशा में नया काम शुरू होता है लेकिन यह भाग्योदय की गारंटी नहीं है। यदि पंचमेश शुभ और बलवान नहीं हो तो नये व्यापार में नुकसान होने की आशंका रहेगी।