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वित्तीय अनियमितताओं की जांच में अंकेक्षक भी होंगे जिम्मेदार

एक अधिकारी ने कहा है कि समूह के बही खातों का आडिट (अंकेक्षक) करने वाली इकाइयों को भी कई सवालों के जवाब’ देने होंगे क्योंकि उनकी भूमिका पहरेदार की होती है।

01:21 PM May 06, 2019 IST | Desk Team

एक अधिकारी ने कहा है कि समूह के बही खातों का आडिट (अंकेक्षक) करने वाली इकाइयों को भी कई सवालों के जवाब’ देने होंगे क्योंकि उनकी भूमिका पहरेदार की होती है।

नई दिल्ली : आईएलएंडएफएस समूह की कंपनियों में वित्तीय अनियमितताओं की जांच के बीच केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि समूह के बही खातों का आडिट (अंकेक्षक) करने वाली इकाइयों को भी कई सवालों के जवाब’ देने होंगे क्योंकि उनकी भूमिका पहरेदार की होती है। अपेक्षा यह की जाती है कि वे बड़े पैमाने की गड़बड़ियों का पता लगाएंगी। कंपनी मामलों के मंत्रालय में सचिव इंजेती श्रीनिवास ने कहा कि अभी इस विषय में कोई फैसला नहीं सुनाया जा सकता पर प्रथम दृष्टया आडिटरों की भूमिका को लेकर सवाल उभरते है।

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श्रीनिवास ने कहा कि हम नहीं कह रहे हैं कि अंकेक्षक को भूसे के ढेर में सूई को भी देख लेना चाहिए था। लेकिन जब किसी कमरे में हाथी हो तो उनकी नजर उस पर तो पड़नी ही चाहिए थी।’ गौरतलब है कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र की परियोजनाओं का वित्तपोषण करने वाली इस विशाल कंपनी समूह पर कुल 94,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज का बोझ है। इसकी कई इकाइयों और उनके अधिकारियों के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं और नियमों के उल्लंघन के मामले में जांच पड़ताल चल रही है।

सचिव श्रीनिवास ने कहा, ‘ प्रथम दृष्टया उनकी (अंकेक्षकों की) भूमिका को लेकर अनेक सवाल उठ रहे हैं। यदि उनकी गलती पायी गयी तो उस पर कार्रवाई होना स्वाभाविक है। ’ पिछले साल इस समूह की कुछ कंपनियां समय पर कर्जों का भुगतान नहीं कर सकीं। उसके बाद इस प्रतिष्ठित कंपनी समूह में गड़बड़ियों का पता चला। इससे वित्तीय बाजार में भी उथल पुथल मच गयी। कंपनी मामलों के मंत्रालय के तहत आने वाला गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) इस मामले की जांच कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह देखा जाएगा कि यह कर्तव्य विमुख होने या लापरवाही बरतने का मामला तो नहीं है।

कहीं इसमें प्रबंधों की मिलीभगत या उनकी ओर से अपराध को बढ़ावा देने का मामला तो नहीं है। इसमें जनता का कितना निवेश जुड़ा है। इन सब बातों के आधार पर कार्रवाई तय होगी। श्रीनिवास ने कहा कि पर अभी इस समय किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी।’ उन्होंने बातचीत में किसी आडिटर विशेष का नाम नहीं लिया पर कतिपय खबरों में कहा गया है कि इस मामले में वैश्विक आडिट कंपनी डेलायट और बीएसआर एंड एसोसिएट्स जैसी कई आडिट फर्मों की भूमिका शक के घेरे में है।

मामला सामने आने से पहले किसी आडिट रपट में यह बात नहीं आयी कि आईएलएंडएफएस समूह की विभिन्न कंपनियों ने नियमों को ताख पर रख कर कई संकटग्रस्त कंपनियों और शीर्ष प्रबंधों से जुड़ी कंपनियों को कर्ज बांटे। उन्होंने कहा कि कंपनियों के सुचारू संचालन में आडिटर की बड़ी भूमिका होती है। वह ‘द्वारपाल’ की भूमिका में होता है। यदि वह अपना काम पूरी सावधानी से करे तो आडिट के नियम ऐसे है कि बड़े पैमाने पर चलने वाली गड़बड़ी उसकी निगाह से बच नहीं सकती।

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