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August 2025 Masik Shivratri Kab Hai: इस महीने कब है मासिक शिवरात्रि जानें शुभ मुहूर्त

12:35 PM Aug 21, 2025 IST | Kajal Yadav
august 2025 masik shivratri kab hai  इस महीने कब है मासिक शिवरात्रि जानें शुभ मुहूर्त
August 2025 Masik Shivratri Kab Hai

August 2025 Masik Shivratri Kab Hai: हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। 2025 में यह व्रत 21 अगस्त को पड़ रहा है। इस दिन सभी भक्त शिवलिंग पर जल, बेलपत्र और धतूरा अर्पित कर बड़ी ही आस्था के साथ भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं, आइए जानते हैं क्या है सही तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि।

हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है। इस शिवरात्रि में लोग भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करते हैं। यह मासिक शिवरात्रि हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यह व्रत मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव ने लिंग रूप में प्रकट होकर सृष्टि की आधारशिला रखी थी। उसके बाद भगवान विष्णु और ब्रह्मा ने सबसे पहले उनकी पूजा की थी, इसलिए इसे शिवजी का प्राकट्य दिवस भी कहा जाता है। इस अवसर पर सभी भक्त शिवलिंग की पूजा करते हैं और रातभर जागरण में शिव भगवान के नाम का जाप करते हैं।

मासिक शिवरात्रि 2025 की तिथि और मुहूर्त

तिथि प्रारंभ: 21 अगस्त 2025, दोपहर 12:44 बजे
तिथि समाप्त: 22 अगस्त 2025, सुबह 11:55 बजे
निशिता काल पूजा मुहूर्त: 21 अगस्त रात 12:02 से 12:46 बजे तक

पूजा-विधि और प्रमुख अनुष्ठान

प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
सूर्य देव को अर्घ्य दें और घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
मंदिर जाकर शिवलिंग पर दूध, जल, बेलपत्र, धतूरा और अगरबत्ती अर्पित करें।
घी का दीपक जलाएं और शिव-पार्वती मंत्रों का जाप करें।
निशिता काल में विशेष पूजा करें और रात्रि जागरण कर भजन-कीर्तन करें।

Masik Shivratri 2025 August Fasting Rules

August 2025 Masik Shivratri Kab Hai
August 2025 Masik Shivratri Kab Hai

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने से भगवान शिव की कृपा हमारे ऊपर बनी रहती है। जीवन में मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। यह परंपरा प्राचीन काल से ही देवी-देवताओं और महापुरुषों द्वारा भी निभाई जाती रही है। कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी, इंद्राणी, सरस्वती, गायत्री, सावित्री, सीता, पार्वती और रति ने भी शिवरात्रि का व्रत रखा था। विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं। अविवाहित कन्याएं अच्छे वर और सुखद दांपत्य जीवन की कामना के लिए उपवास रखती हैं।

1. भक्तगण पूर्ण उपवास (निर्जला), फल और दूध के साथ आंशिक उपवास, या हल्के सात्विक भोजन के साथ उपवास में से चुन सकते हैं।

2. आमतौर पर अनाज, दालें और मांसाहारी खाद्य पदार्थ जैसे प्याज, लहसुन और मसाले से परहेज किया जाता है।

3. फल, दूध, मेवे और हल्का सात्विक भोजन (यदि पूर्ण उपवास नहीं रखा जा रहा हो) की अनुमति है।

4. जल्दी उठें, स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।

5. व्रत को पूरी निष्ठा और प्रतिबद्धता के साथ मनाने का संकल्प लें।

6. शाम की पूजा से पहले स्नान करें और मंदिर जाएं।

7. व्रत अगले दिन स्नान करने के बाद तोड़ा जाता है, आदर्शतः चतुर्दशी तिथि समाप्त होने से पहले।

8. प्रार्थना करें, "ओम नमः शिवाय" जैसे मंत्रों का जाप करें और ध्यान करें।

9. रात्रि जागरण के दौरान नकारात्मकता, क्रोध, कठोर शब्दों और सोने से बचें।

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Kajal Yadav

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