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आयुष्मान योजना: छोटे अस्पतालों को बाहर करने पर बाबूलाल मरांडी की नाराजगी

आयुष्मान योजना में छोटे अस्पतालों को बाहर करने पर मरांडी की नाराजगी

02:47 AM Feb 12, 2025 IST | IANS

आयुष्मान योजना में छोटे अस्पतालों को बाहर करने पर मरांडी की नाराजगी

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने ‘आयुष्मान भारत योजना’ में झारखंड सरकार की ओर से अस्पतालों को लेकर तय किए गए नए मापदंडों को अव्यावहारिक करार दिया है।

झारखंड सरकार की ओर से जारी नई गाइडलाइंस में इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में न्यूनतम 30 और शहरी क्षेत्रों में न्यूनतम 50 बेड वाले हॉस्पिटल ही सूचीबद्ध किए जाएंगे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि इस नियम के लागू होने से गरीब मरीजों की परेशानी बढ़ जाएगी।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड की धरती से विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना ‘आयुष्मान भारत’ की शुरुआत की थी, लेकिन अब झारखंड सरकार के अव्यावहारिक फैसले ने आमजनों के लिए समस्याएं उत्पन्न कर दी हैं।”

उन्होंने आगे लिखा, ”आयुष्मान भारत के तहत झारखंड में शहरी क्षेत्रों में कम से कम 50 बेड और ग्रामीण क्षेत्रों में कम से कम 30 बेड वाले निजी अस्पताल ही योजना में शामिल होंगे। इससे सैकड़ों छोटे अस्पताल बाहर हो जाएंगे, जिससे गरीब मरीजों को इलाज में दिक्कत होगी। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां छोटे अस्पतालों पर निर्भरता ज्यादा है, मरीजों को महंगे और दूर के बड़े अस्पतालों में जाना पड़ेगा। इससे स्वास्थ्य सेवाएं गरीबों के लिए और सीमित हो जाएंगी।”

उन्होंने राज्य सरकार से निर्णय पर पुनर्विचार करने और इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है, ताकि कोई भी व्यक्ति ‘आयुष्मान योजना’ के लाभ से वंचित न हो।

मरांडी ने कहा कि अगर कहीं गड़बड़ी हो रही है, तो उसकी जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करें। लेकिन, ऐसा आदेश न दें, जिससे किसी को ‘आयुष्मान योजना’ के लाभ से वंचित होना पड़े।

उन्होंने राज्य सरकार से निर्णय पर पुनर्विचार करने और इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है, ताकि कोई भी व्यक्ति ‘आयुष्मान योजना’ के लाभ से वंचित न हो।मरांडी ने कहा कि अगर कहीं गड़बड़ी हो रही है, तो उसकी जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करें। लेकिन, ऐसा आदेश न दें, जिससे किसी को ‘आयुष्मान योजना’ के लाभ से वंचित होना पड़े।

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