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‘ओम बन्ना’ का मंदिर, यहाँ बुलेट मोटर साइकिल से लोग मांगते है मन्नत

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04:37 PM Aug 18, 2017 IST | Desk Team

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भारत अनेक अजीबोगरीब किस्से कहानियों वाला देश है और यहाँ पर आपको कई किस्से ऐसे मिलेंगे जिसपर पहली बार में विश्वास कर पाना नामुमकिन सा ही लगेगा। क्या कभी आपने कहीं मोटर साइकिल की पूजा होते हुए देखी है ? अगर नहीं तो आज जान लीजिये भारत में एक जगह ऐसी भी है जहाँ पर बुलेट मोटर साइकिल की बाकायदा पूजा होती है और साथ ही इस दोपहिया वहां का मंदिर भी बना हुआ है। ये मंदिर किसी व्यक्ति से अपना वहां प्रेम जताने के लिए नहीं बनाया है और ऐसी मान्यता है कि इस स्थान के दर्शन मात्र से दुर्घटना में होने वाली अकाल मृत्यु का भय नष्ट हो जाता है।

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आईये जानते है इस मंदिर के पीछे की कहानी जो आपको बेशक चौंका देगी। जोधपुर-पाली हाईवे नं. 65 पर स्थित जोधपुर से 45 किमी. और पाली जिला मुख्यालय से 20 किमी. की दूरी पर चोटिला गाँव के पास स्थित है बुलेट वाले बाबा ओम बन्ना का स्थान, ये मंदिर सिर्फ राजस्थान में ही नहीं बल्कि पुरे भारत में मशहूर हो चला है।

ओम बन्ना का जन्म पाली (राजस्थान) के चोटिला गाँव में 5 मार्च, 1965 में ठाकुर जोगसिंह राठौड़ के घर हुआ। इन बाबा का वास्तविक नाम ओम सिंह राठौड़ था। कहा जाता है बचपन में ही एक पंडित ने आपके बारे में कहा था कि यह बालक एक दिन अपने कुल का सम्पूर्ण देश में पूजित करवाएगा।

ओम बन्ना के पिता चोटिला के सरपंच थे और वे उनकी इकलौती संतान होने के कारण घर में सभी के लाडले थे और जिस ज़माने में लोगों के पास साइकिल भी नहीं हुआ करती थी, उस समय ओम बन्ना के पास रॉयल एनफील्ड बुलेट मोटर साइकिल हुआ करती थी जो ओम बन्ना को बहुत अधिक प्रिय थी।

बताया जाता है 2 दिसम्बर, 1988 (अष्टमी) को ओम बन्ना अपनी बुलेट RNJ 7773 द्वारा अपने ससुराल बगड़ी सांडेराव से अपने गाँव चोटिला लौट रहे थे कि पाली जिला मुख्यालय से 20 किमी. पहले चोटिला के पास ही रात के समय उनकी बुलेट का संतुलन खराब हो गया और वो सड़क किनारे एक पेड़ से टकरा गई और वहीँ पर ओम बन्ना की मृत्यु हो गई।

पुलिस ने घटना स्थल पर पहुँच कर बन्ना की बाइक अपने कब्जे में ले ली और उनका शरीर परिवार वालों को सौंप दिया पर सुबह बुलेट मोटर साइकल थाने से गायब मिली। जब खोजा गया तो बुलेट दुर्घटना स्थल पर मिली। अबकी बार पुलिस बुलेट का सारा पेट्रोल निकाल कर चैन से बांध दिया और इसके बाद भी अगले दिन बुलेट गायब हो कर उसी स्थान पर पहुँच गई जहाँ दुर्घटना हुई थी।

इस घटना को जानकार पिता जोगसिंह ने पुत्र की आत्मा की इच्छा समझकर दुर्घटना स्थल पर एक चबूतरा बनवाया और बुलेट मोटर साइकिल को वहीं खड़ी करवा दिया और ओम बन्ना का मंदिर बनवा दिया। लोगों का मानना है जिस दिन से ये मंदिर बना है इस मार्ग पर कोई दुर्घटना नहीं हुई है। अब इस मंदिर पर बाबा ओम बन्ना के जन्मतिथि और पुण्यतिथि दोनों दिन मार्गशीष शुक्ला अष्टमी का मेला लगता है। लोग मन्नते मांगते है और जो भी यहाँ से गुज़रता है यहाँ रूककर जरूर जाता है।

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