आंखें दान कर बनीं मानवता की मिसाल, अब बेजुबानों के लिए उठाया दिल जीतने वाला कदम, जानें कौन हैं IAS अस्मिता लाल
Baghpat DM Asmita Lal Kon Hai: आईएएस अधिकारी बनने का सफर जितना कठिन होता है, उससे कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण होता है रोजाना कुछ नया और बेहतर करने का प्रयास। उत्तर प्रदेश के छोटे से जिले बागपत की जिलाधिकारी अस्मिता लाल ऐसा ही उदाहरण पेश कर रही हैं। अपने काम को लेकर वे अक्सर चर्चा में रहती हैं, और इस बार भी उनका एक अनोखा कदम इंटरनेट पर खूब सराहा जा रहा है।
Baghpat DM Asmita Lal Kon Hai: आवारा जानवरों के लिए बनाया अनोखा शेल्टर होम
हम सबने विज्ञान में रीयूज़, रीसायकल और वेस्ट से बेस्ट बनाने जैसे शब्द पढ़े हैं, लेकिन इन्हें असल जिंदगी में लागू करना एक बड़ी बात है। बागपत की डीएम अस्मिता लाल ने इन विचारों को जमीन पर उतारकर मिसाल पेश की है। ठंड के मौसम में कांपते हुए आवारा कुत्तों को देखते हुए उन्होंने पुरानी कार के टायर और प्लास्टिक के खाली ड्रम का इस्तेमाल किया और उनसे छोटे-छोटे शेल्टर होम तैयार करवाए। इन घरों में कुत्तों के लिए गद्दे और तकिए भी रखे गए ताकि उन्हें ठंडी रातों में गर्म और सुरक्षित जगह मिल सके। उनका यह कदम सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और लोग उनकी इस संवेदनशील सोच की खूब प्रशंसा कर रहे हैं।

Baghpat DM Asmita Lal Success Story: कौन हैं IAS अस्मिता लाल?
अस्मिता लाल ने जनवरी 2025 में बागपत जिले की डीएम के रूप में कार्यभार संभाला। वे दिल्ली की रहने वाली हैं और साल 2015 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। उनकी शिक्षा की बात करें तो उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान (Psychology) में ग्रेजुएशन किया है। इसके बाद उन्होंने जेएनयू (JNU) से लोक नीति एवं प्रबंधन (Public Policy and Management) में पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया। अपनी पढ़ाई और सोच को मैदान में उतारकर अस्मिता लगातार लोगों की समस्याओं को समझकर समाधान निकालने की कोशिश करती हैं।
DM Asmita Lal News: नेत्रदान के संकल्प से बनीं मिसाल
अस्मिता लाल उन चुनिंदा अधिकारियों में शामिल हैं जिन्होंने मरणोपरांत नेत्रदान (Eye Donation) करने का संकल्प लिया है। उनके इस फैसले ने समाज में एक सकारात्मक संदेश दिया और वे इस कारण काफी चर्चा में भी रहीं।

सीपीआर ट्रेनिंग को लेकर चलाई जिला स्तरीय मुहिम
जिलाधिकारी बनने के बाद अस्मिता ने जिले में सीपीआर (Cardiopulmonary Resuscitation) की जागरूकता को बढ़ाने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्होंने जिला स्तर पर एक बड़ा अभियान शुरू किया, जिसमें आम नागरिकों से लेकर स्कूलों और सरकारी संस्थानों तक को शामिल किया गया। खास बात यह है कि अभियान शुरू करने से पहले उन्होंने खुद सीपीआर की ट्रेनिंग ली, ताकि वे लोगों को सही मार्गदर्शन दे सकें।

जमीनी समस्याओं को समझकर काम करने वाली अधिकारी
अस्मिता लाल का हमेशा यही प्रयास रहा है कि वे लोगों की वास्तविक जरूरतों को समझें और उसी आधार पर फैसले लें। चाहे जानवरों की मदद की बात हो, स्वास्थ्य प्रशिक्षण का अभियान हो या सामाजिक मुद्दे—हर क्षेत्र में उनका काम समाज को प्रेरित करता है।
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