"निरा" शुरुआत भर है,बागपत की हर बेटी और महिला को सुरक्षित और स्वस्थ माहवारी देने का संकल्प रहेगा जारी
Baghpath News Update : बागपत में गुरुवार को एक नई सोच गूंजी जिसने महिलाओं और किशोरियों की दैनिक संघर्ष से जुड़ी एक बड़ी समस्या को सुशासन, संवाद और समाधान के साथ जोड़ दिया। जिलाधिकारी आईएएस अस्मिता लाल ने गुरुवार कों बड़ौत से ‘निरा’ मुहिम का शुभारंभ किया, जो देश में पहली बार 100% कॉटन आधारित, पुनःप्रयोग योग्य, प्लास्टिक-रहित सेनेटरी पैड मॉडल को जनपद में लागू करने की पहल है। यह वह मुहिम है जिसका जन्म एक संवाद से हुआ जब एक बालिका ने मिशन शक्ति कार्यक्रम में धीमी आवाज़ में कहा था, “मैडम, पैड महंगा होता है…”। यह एक वाक्य प्रशासन के लिए एक नई यात्रा की शुरुआत सिद्ध हुआ और निरा मुहिम साकार हुई।
Baghpath News Update

जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह शुरुआत भर है, और बागपत की हर बेटी और महिला को सुरक्षित, स्वस्थ और संकोचमुक्त माहवारी देने का संकल्प आगे भी जारी रहेगा। उपस्थित बेटियों एवं महिलाओं के चेहरे पर आत्मविश्वास से भरी मुस्कान, निरा मुहिम की सफलता का प्रतीक बनी।बड़ौत के रविदास मंदिर के निकट वार्ड संख्या 01 में आयोजित इस कार्यक्रम में नगर पालिका अध्यक्ष बबीता तोमर, एसडीएम बड़ौत भावना सिंह, डिप्टी कलेक्टर मनीष यादव, यूनिसेफ इंडिया टीम से गरिमा, स्वास्थ्य विभाग की टीमें, शिक्षक, स्वयं सहायता समूहों की महिलाएँ, सफाई कर्मी, छात्राएँ और स्थानीय लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का माहौल आशा, संवेदनशीलता और नई दिशा से भरा था।
जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने स्वयं 225 महिलाओं और किशोरियों को ‘निरा’ पैड प्रदान किए और विशेष रूप से वहां उपस्थित पुरुषों को भी पैड देकर यह संदेश दिया कि माहवारी केवल महिलाओं का विषय नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है।

‘निरा’ का उद्देश्य पैड देने के साथ साथ महिलाओं की गरिमा, स्वास्थ्य, आर्थिक राहत और पर्यावरणीय सुरक्षा को केंद्र में रखना है। ग्रामीण क्षेत्रों में महंगे पैड न खरीद पाने की समस्या, असुरक्षित साधनों जैसे कपड़ा या खराब गुणवत्ता वाले पैडों के उपयोग से होने वाले संक्रमण, और डिस्पोज़ेबल पैड्स के कारण बढ़ता कचरा पहले से ही बड़ा संकट था।
अनुमान बताते हैं कि बागपत जिले में हर महीने कई लाख डिस्पोज़ेबल पैड उपयोग होते हैं, जो सालाना बड़ी संख्या में प्लास्टिकयुक्त कचरा पैदा करते हैं। ये पैड नालियों को जाम करते हैं, खेतों में फेंके जाने पर मिट्टी को प्रदूषित करते हैं, इन्हें जलाने पर जहरीला धुआँ हवा में फैलता है और सफाई कर्मियों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न होता है।
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एक डिस्पोज़ेबल पैड को नष्ट होने में 500 से 800 साल तक लगते हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि यह न केवल महिला स्वास्थ्य बल्कि पर्यावरण और स्वच्छता के लिए भी एक बड़ी चुनौती है।इसी पृष्ठभूमि में ‘निरा’ इन समस्याओं का स्थायी समाधान प्रस्तुत करता है। 100% कॉटन से बना यह पैड पूरी तरह प्लास्टिक-रहित और केमिकल-रहित है, जिसे 2 से 3 वर्षों तक सुरक्षित रूप से उपयोग किया जा सकता है। इसका कपड़ा त्वचा के अनुकूल है, जिससे संक्रमण, जलन और रैशेज़ जैसे जोखिम कम होते हैं।
यह मॉडल पर्यावरण को लगभग 80 से 90 प्रतिशत तक कचरे मुक्त बना सकता है। बागपत प्रशासन के अनुसार यह पहल न केवल कचरा प्रबंधन को सरल बनाएगी बल्कि नालियों, खेतों और कूड़ा स्थलों पर फैले खतरनाक कचरे में भारी कमी लाएगी। इससे सफाई कर्मियों के स्वास्थ्य सुरक्षा में भी उल्लेखनीय सुधार होगा क्योंकि अब मेंस्ट्रुअल वेस्ट में कमी आएगी।
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लॉन्च कार्यक्रम में महिलाओं और किशोरियों ने पहली बार बिना संकोच अपने सवाल रखे—कैसे उपयोग करना है, कैसे धोना-सुखाना है, स्कूल में क्या करना चाहिए, संक्रमण से कैसे बचना है आदि। जिलाधिकारी और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सभी प्रश्नों के सरल, स्पष्ट और वैज्ञानिक उत्तर दिए। प्रशासन द्वारा तैयार किए गए पोस्टर और गाइड भी वितरित किए गए, ताकि हर महिला को इससे संबंधित सभी आवश्यक जानकारी मिल सके।
यह दृश्य बागपत में संकोच टूटने और संवाद की शुरुआत का प्रतीक बना।कार्यक्रम में हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया, जिसमें उपस्थित लोगों ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, महिला स्वास्थ्य और माहवारी जागरूकता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्ज की। इसने समाज के भीतर सम्मान, संवाद और संवेदनशीलता की एक नई विचारधारा स्थापित की। पुरुषों की सक्रिय उपस्थिति यह संकेत थी कि बागपत में अब माहवारी को लेकर चुप्पी टूट रही है और इसे सहयोग, समझ और सम्मान से देखा जा रहा है।
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जिलाधिकारी ने कहा कि ‘निरा’ को एक पायलट परियोजना के रूप में लागू किया जा रहा है और आने वाले दिनों में बेटियों और महिलाओं से मिलने वाले फीडबैक के आधार पर इसे पूरे जिले में विस्तारित किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को भविष्य में पैड निर्माण से जोड़ने पर विचार किया जा रहा है, जिससे ग्रामीण महिलाओं को स्थानीय रोजगार भी मिलेगा।
विद्यालयों में किशोरियों के लिए विशेष निरा किट उपलब्ध कराने की भी योजना है, जिसमें पैड्स के साथ स्वच्छता पुस्तिकाएँ भी होंगी।जिलाधिकारी आईएएस अस्मिता लाल के नेतृत्व में बागपत प्रशासन पहले भी ‘हमारी बेटी हमारी कुलदीपक’ और ‘आंचल ब्रेस्टफीडिंग बूथ’ जैसी पहलों के माध्यम से मिशन शक्ति को नई दिशा देता रहा है।
निरा सिर्फ एक पैड नहीं, बल्कि एक वादा है
‘निरा’ मुहिम इन प्रयासों की अगली कड़ी है, जो महिलाओं के स्वास्थ्य, सम्मान और पर्यावरणीय संतुलन के बीच अद्भुत सामंजस्य स्थापित करती है। यह पहल बताती है कि जब सुशासन वास्तविक संवाद से जुड़ता है और महिला शक्ति प्राथमिकता बनती है, तब समाज में स्थायी परिवर्तन आता है। बागपत में महिलाओं के चेहरों पर मुस्कान, पुरुषों की समझ बढ़ने की स्वीकारोक्ति और प्रशासन की प्रतिबद्धता ने यह संदेश दिया कि ‘निरा’ सिर्फ एक पैड नहीं, बल्कि एक वादा है—सम्मान का, सुरक्षा का, पर्यावरण बचाने का, और उन आवाजों को महत्व देने का जो अक्सर अनसुनी रह जाती थीं।
महिला शक्ति भी प्रगति का आधार बनती है
‘निरा’ मुहिम ने यह साबित किया है कि बागपत न केवल परिवर्तन की ओर बढ़ रहा है, बल्कि नए विचार, नई संवेदनशीलता और नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है—एक ऐसे भविष्य की ओर जहाँ संवाद से समाधान जन्म लेते हैं और महिला शक्ति भी प्रगति का आधार बनती है।इस अवसर पर एसडीएम बड़ौत भावना सिंह ,डिप्टी कलेक्टर मनीष कुमार यादव ,अधिशासी अधिकारी नगर पालिका बड़ौत मनोज रस्तोगी ,चेयरपर्सन बबीता तोमर यूनिसेफ से गरिमा सहित आदि उपस्थित रहे।
रिपोर्ट:--मेहंदी हसन बागपत
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