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रिया चक्रवर्ती को जमानत

देश के बहुचर्चित और अत्यन्त विवादित सुशान्त सिंह कांड से जुड़ी फिल्म अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती को बम्बई उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी है।

01:18 AM Oct 08, 2020 IST | Aditya Chopra

देश के बहुचर्चित और अत्यन्त विवादित सुशान्त सिंह कांड से जुड़ी फिल्म अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती को बम्बई उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी है।

देश के बहुचर्चित और अत्यन्त विवादित सुशान्त सिंह कांड से जुड़ी फिल्म अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती को बम्बई उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी है। पूरे मामले में रिया के सुशान्त सिंह के साथ सम्बन्धों को लेकर जो विवाद सुशान्त सिंह के परिवार वालों ने शुरू किया था उसका इस मामले से कोई सम्बन्ध इसलिए नहीं है क्योंकि रिया को नारकोटिक्स ब्यूरो द्वारा लगाए गये आरोपों के आधार पर एक महीने पहले गिरफ्तार किया गया था। जहां  रिया के सुशान्त सिंह राजपूत की सन्देहास्पद मृत्यु के मामले में संलिप्त होने का सवाल है तो अब यह साफ हो चुका है कि राजपूत ने आत्महत्या की थी, परन्तु यह पूरा मामला जिस तरह किसी जासूसी फिल्म की तरह आगे बढ़ा और इसके पात्र रहस्यात्मक तरीके से अदलते-बदलते रहे, उससे यह तो सिद्ध हो ही गया कि पूरे प्रकरण में तथ्यों के स्थान पर कल्पित अवधारणाएं केन्द्र में रहीं। केवल सन्देह के आधार पर सुशान्त सिंह की आत्महत्या को हत्या बताने की कवायद भी जमकर होती रही और इस मामले को अन्ततः सीबीआई को जांच के ​लिए देना पड़ा। अपराध जगत की यह अनोखी घटना इसलिए मानी जायेगी क्योंकि मुम्बई पुलिस सुशान्त मामले की जिस तरह जांच कर रही थी उसमें सन्देह की ज्यादा गुजाइश नहीं थी।  मुम्बई पुलिस वैज्ञानिक तरीके से परखे गये सबूतों के आधार पर अपनी जांच को आगे बढ़ा कर इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि सुशान्त सिंह ने आत्महत्या की है। अब अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के चिकित्सा मंडल ने भी यही राय व्यक्त की है।
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 जहां तक मीडिया में छप रही खबरों की मानें तो सीबीआई भी इस तथ्य से सहमत है। यह भी कम विस्मयकारी नहीं है कि सुशान्त मामले में सीबीआई के अलावा देश की दो और बड़ी जांच एजेंसियों ने भी इसकी तह तक जाने की कोशिश की।  चूंकि सुशान्त के पिता ने अपने पुत्र की मत्यु के बहुत दिनों बाद पटना के पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करा कर रिया पर सुशान्त के धन को हड़पने के आरोप लगाये थे अतः प्रवर्तन निदेशालय भी जांच में शामिल हो गया। बाद में पता चला कि सुशान्त सिंह ड्रग लेता था तो नारकोटिक्स ब्यूरो भी शामिल हो गया। प्रवर्तन निदेशालय को अपनी जांच में रिया के विरुद्ध धन हड़पने का कोई सबूत नहीं मिल पाया।  जो कुछ भी मिला वह इतना ही था कि सुशान्त अपनी प्रेयसी रिया पर किसी सम्पन्न व्यक्ति की हैसियत से खर्च करता था। मगर नारकोटिक्स ब्यूरो को यह सबूत मिला कि रिया चक्रवर्ती सुशान्त के ​लिए ड्रग मंगाया करती थी।
 ध्यान देने वाली बात यह है कि रिया और सुशान्त लिव-इन-रिलेशनशिप में थे। ऐसे सम्बन्धों के अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में सर्वोच्च न्यायालय अपने पूर्व फैसलों में व्याख्या कर चुका है। यह ड्रग मंगाने की कड़ी जाकर फिल्म जगत से जुड़ी और दीपिका पादुकोण से लेकर श्रद्धा कपूर और सारा अली खान जैसी अभिनेत्रियो से नारकोटिक्स ब्यूरो ने पूछताछ की। इससे सुशान्त सिंह कांड लगातार रोमांचक होता गया और किसी जासूसी फिल्म की तरह हर मोड़ पर नया रहस्य पैदा होता रहा जिससे भारत के आम नागरिकों में इस प्रकरण के प्रति उत्सुकता जागृत होती रही। टीवी चैनल चटखारे ले-लेकर विवरण सुनाते और दिखाते रहे जिससे सीबीआई जांच से ध्यान हट कर फिल्म जगत पर चला गया और तथ्यों की तरफ से लोगों का ध्यान हट कर दीपिका पादुकोण व श्रद्धा कपूर पर चला गया। इस पूरे मामले की विशेषता यह भी रही कि सभी घटनाओं में महिला पात्रों की भूमिका ही केन्द्र में रही। हालांकि ड्रग व्यापार के आरोपों में ब्यूरो ने रिया के भाई शौविक चक्रवर्ती  समेत सुशान्त से जुड़ेे दो अन्य व्यक्तियों को भी गिरफ्तार किया परन्तु मध्य में महिला पात्र ही रहे परन्तु इसका सबसे दुखद पहलू यह है कि सुशान्त मामले पर दो राज्य सरकारों महाराष्ट्र व बिहार में ही आपस में ठन गई। इससे हम अन्दाजा लगा सकते हैं कि आज के दौर में राजनीति का स्तर किस तरफ जा रहा है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि सुशान्त सिंह का जन्म किस राज्य में हुआ था फर्क इस बात से पड़ता है कि अपने जीवन में उसने क्या हासिल किया। मुम्बई पहुंच कर फिल्मों में उसने सफलता प्राप्त की और अच्छा धन कमाया।
 जाहिर है वह मुम्बई में समाजसेवा करने नहीं गया था बल्कि अपने निजी जीवन को सुखी बनाने गया था अतः उसकी मृत्यु का राजनीतिकरण राजनीतिक जगत के ही वैचारिक खोखलेपन को उजागर करता है मगर अब मुद्दा यह है कि इस पूरे मामले की जांच पूरी तरह निष्पक्षता के साथ हो और कानून की रुह के ठोस सबूतों के आधार पर हो। रिया को जमानत देते हुए उच्च न्यायालय ने साफ कर दिया है कि कानून की नजर में सभी नागरिक एक समान होते हैं अतः जांच एजेंसियों को अपना कार्य सन्देह के आधार पर खड़ी की गई अवधारणाओं के सहारे नहीं बल्कि ठोस व पक्के सबूतों के आधार पर करना होगा। राजनीति से इन जांच एजेंसियों का कोई लेना-देना नहीं है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
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