बांग्लादेश ने भारत से मांगी 50,000 टन चावल की मदद
बांग्लादेश की खाद्य संकट: भारत से 50,000 टन चावल की गुहार
बांग्लादेश इस समय कई मुश्किलों में फसा हुआ है। देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से उथल-पुथल हो गई है। वहीं देश में अनाज की कमी होना शुरू हो गई है। अब मुहम्मत यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार अपने देश के खाद्य भंडार में कमी को दूर करने और इस तरह चल रहे मुद्रास्फीति के दबाव के बीच अनाज की उपभोक्ता मांग को पूरा करने के लिए भारत से 50,000 टन चावल खरीदने के लिए मदद मांगी हैै।
बांग्लादेश की बढ़ी मुश्किलें
बांगेलादेश में हिंसा के अलावा कई परेशानियां देखने को मिल रही है। एक ओर जहां हिंसा फैली हुई है, वहींं अब देश को अनाज की आपूर्ति कम पड़ रही है। बता दें बांग्लादेश ने भीरत से भारी मात्रा में चावल की मांग की है। चावल का उपयोग राज्य प्रायोजित खाद्य वितरण कार्यक्रमों की आपूर्ति के लिए किया जाएगा, जो लगातार उच्च मुद्रास्फीति के बीच उपभोक्ता मांग को पूरा करने के लिए पूरे जोरों पर चल रहे हैं। इस खरीद के लिए संबंधित प्रस्ताव को कल वित्त सलाहकार सालेहुद्दीन अहमद की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की सलाहकार समिति की बैठक में मंजूरी दी गई।
भारत से मांगे 50,000 टन चावल
ऐसे में खाद्य मंत्रालय अब भारत में मेसर्स बागड़िया ब्रदर्स प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से 456.67 डॉलर प्रति टन की लागत से चावल का आयात करेगा। खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 17 दिसंबर तक बांग्लादेश के पास 11.48 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक था। इसमें से करीब 7.42 लाख टन चावल था। चालू वित्त वर्ष में 17 दिसंबर तक सरकार ने 26.25 लाख टन खाद्यान्न का आयात किया था, जिसमें 54,170 टन चावल था।
स्थानीय बाजार से एकत्र किया जाएगा अनाज
सरकार की योजना चालू वित्त वर्ष 2024-25 में विभिन्न माध्यमों से 20.52 लाख टन खाद्यान्न वितरित करने की है। कुल में से 8 लाख टन चावल चालू अमन सीजन के दौरान स्थानीय बाजार से एकत्र किया जाएगा। इसके बाद 2025 की शुरुआत में बोरो सीजन के दौरान स्थानीय स्तर पर अधिक मात्रा में चावल की आपूर्ति की जाएगी।